- परिजनों ने किया सवाल तो बोले-उठाकर ले जाओ लाश
- डाक्टरों और स्टाफ के खिलाफ थाना नौचंदी में पीड़ितों ने दी तहरीर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चंद सिक्कों के लिए डाक्टरी जैसे पेशे में लगे कुछ लोग कहां तक गिर सकते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकप्रिय अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भी सिर्फ अस्पताल का बिल बनाने भर के लिए शव का डायलेसिस करते रहे। परिजनों ने जब इसको लेकर सवाल किया तो स्टाफ गाली-गलौज पर उतर आया। जिन डाक्टरों के देखरेख में इलाज चल रहा था, उनसे जब शिकायत की गयी तो उन्होंने अपना मोबाइल ही स्वीच आॅफ कर लिया।
ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र निवासी युवक अनुभव शर्मा ने बताया कि उनके पिता राजेश शर्मा को गत 21 मार्च को दिल में अचानक दर्द उठा। परिजनों ने जिस डाक्टर की देखरेख में इलाज चल रहा था उन्हें कॉल किया। डाक्टर के कहने पर गढ़ रोड स्थित लोकप्रिय अस्पताल में लेकर गए। जाते ही उन्हें आईसीयू में वेंटीलेटर पर लिटा दिया गया। शाम को आठ बजे परिजनों को बताया गया कि फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया है। उनमें पानी भर गया है। डायलेसिस करना पडेÞगा।
अनुभव शर्मा ने बताया कि उनसे एक फार्म पर साइन कर लिए गए। डायलेसिस शुरू कर दिया गया। लेट नाइट करीब दो बजे उन्हें बताया गया कि राजेश शर्मा खत्म हो गए हैं। पिता की मौत की खबर से अनुभव शर्मा आवाक रह गया। बदहवासी की हालत में वह जहां उसके पिता का शव वेंटीलेटर पर पड़ा था, वहीं जा पहुंचा। वह एकटक अपने पिता को देखता रहा। उसी दौरान वहां स्टाफ से एक शख्स पहुंचा और अभद्रता करने पर उतर आया। दरअसल, उससे इतना पूछा गया था कि ऐसा क्या हुआ जो उसके पिता की मौत हो गयी।
आरोप है कि इस कर्मचारी ने भड़कते हुए कहा कि इतना भी नहीं पता कि वेंटीलेटर पर किसी को तभी रखा जाता है, जब उसकी धड़कने रुक जाती हैं। आते ही मरीज को आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया था। तभी समझ जान चाहिए था कि स्थिति क्या थी। युवक ने जब पूछा तो क्या यह समझ लिया जाए कि उसके पिता के शव का डायलेसिस किया जा रहा था। इतना सुनते ही वहां स्टाफ के अन्य लोग आ धमके।
अभद्रता शुरू कर दी गयी। परिजन उनके आगे अकेले पड़ गए थे। उन्होंने पिता का शव उठाया और अस्पताल का बिल भरकर वहां से निकल आए। मृतक के पुत्र अनुभव शर्मा ने बताया कि पूरे मामले का उल्लेख करते हुए गढ़ रोड स्थित लोकप्रिय अस्पताल के खिलाफ नौचंदी थाने में तहरीर दी है।
मूल्यांकन का फिर बहिष्कार
मेरठ: मुजफ्फरनगर में यूपी बोर्ड के वाराणसी से सहायक शिक्षक धर्मेंद्र कुमार की हत्या के बाद सरकारी सहायता बढ़ाने सहित अन्य मांगो पर विचार करने को सरकार को तीन दिन अल्टीमेटम का समय समाप्त होने के बाद शिक्षक संगठनों ने शुक्रवार शाम को बैठक कर आज मूल्यांकन के बहिष्कार का निर्णय लिया है, जिसके चलते अब मूल्यांकन पर संकट के बादल गहरा गये हैं। वहीं, दूसरी ओर मेरठ के चारों मूल्यांकन केंद्रों पर परीक्षकों द्वारा कापियां जांचने का कार्य किया गया।
संगठन की ओर से जानकारी दी गयी कि राजकीय हाईस्कूल महगांव वाराणसी सहायक अध्यापक धर्मेंद्र कुमार की मुजफ्फरनगर में हुई निर्मम हत्या के विरोध में प्रदेश के सभी शिक्षकों ने 18 मार्च को सांकेतिक तौर मूल्यांकन बहिष्कार किया था तथा 19 मार्च को सभी संगठनें ने बैठक कर पांच बिन्दुओं का मांग पत्र यूपी बोर्ड के सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया था। शिक्षक संगठनों ने सरकार एवं विभाग को तीन दिन का समय दिया था। किन्तु सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। जिसके कारण विवश होकर कल से मूल्यांकन बहिष्कार का निर्णय लिया गया।
प्रयागराज में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट), उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट), उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट), उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चेतनारायण), उत्तर प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक संघ, राजकीय शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (बीपी सिंह गुट), राजकीय शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (पाण्डेय गुट), प्रधानाचार्य परिषद उत्तर प्रदेश एवं अटेवा पेंशन बचाओ मंच तो प्रान्तीय प्रतिनिधियों शामिल रहे। सभी ने संगठनों ने सर्वसम्मति से प्रदेश के सभी 259 मूल्यांकन केन्द्रों में पूरी तरह मूल्यांकन बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने अपने-अपने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश महामंत्री से बैठक के दौरान ही आनलाइन सहमति प्राप्त की।