- रिटायर्ड हुए मेडिकल फिजिसिस्ट ने नहीं सौंपा मशीन का रिकार्ड व डोजीमीटर
- रिकार्ड रूम पर कब्जा, अपना ताला लगाकर चले गए रिटायर्ड फिजिसिस्ट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित होने वाली कोबाल्ट थेरेपी मशीन पिछले 15 दिनों से नए मरीजों के लिए दिखावा साबित हो रही है। 30 जून से मशीन द्वारा किसी भी नए मरीज को थेरेपी नहीं दी जा सकी है। इसकी वजह मशीन का डाटा व डोजीमीटर विभाग के पास नहीं होना है।
जिन अधिकारी के पास यह है वह अपने रिटायमेंट के बाद विभाग के आॅफिस में अपना ताला जड़कर चले गए हैं। अब इस मशीन से नए मरीजों को थेरेपी नहीं मिल पा रही है।
कैंसर के मरीजों के कोबाल्ट थेरेपी वरदान
मेडिकल में 19 मई से कैंसर के मरीजों को थेरेपी देने के लिए कोबाल्टा-60 मशीन की शुरुआत हुई थी। मशीन द्वारा महज 35 रुपये प्रतिदिन की दर पर कैंसर के मरीजों को थेरेपी दी जा रही है। जबकि निजी अस्पतालों में थेरेपी की कीमत दो से ढाई लाख रुपये है। बड़ी संख्या में कैंसर मरीज मेडिकल में थेरेपी लेने पहुंचते है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ मेडिकल कॉलेज इकलौता कॉलेज है जिसमें यह थेरेपी उपलब्ध है।
मशीन को शुरू होने में सात साल का लंबा समय लगा जिसके बाद यह तीन महिने पहले शुरू हुई थी। मेडिकल के रेडियो थेरेपी विभाग के पास बीती 30 जून से थेरेपी देने के लिए जरूरी डोजीमीटर व रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। विभाग के एचओडी डा. सुभाष सिंह ने बताया कि 30 जून को मेडिकल के फिजिसिस्टि ए के तिवारी रिटायर्ड हो गए थे, लेकिन उन्होंने रिटायर होने के बाद मशीन का डाटा व रिकार्ड समेत डोजीमीटर विभाग को हैंडओवर नहीं किया। इस वजह से तीस जून के बाद से थेरेपी लेने आने वाले कैंसर के नए मरीजों को मशीन का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विभाग के वरिष्ठ डाक्टर का कहना है कि एके तिवारी ने उस कमरे में अपना ताला लगा दिया है। जिसमें थेरेपी के लिए जरूरी उपकरण व रिकार्ड रखा है। ऐसे में बिना जरूरी उपकरणों व डोजीमीटर के मरीजों को थेरेपी नहीं दी जा सकती। बताया जा रहा है कि रिटायर्ड फिजिसिस्टि एके तिवारी अपना री-अपाइटमेंट कराना चाहते हैं। इस वजह से वह चार्ज नहीं छोड़ना चाहते है। साथ ही हैंडिंग ओवर व टेकिंग ओवर में भी बड़ा खेल होने की संभावना है। जिस वहज से हैंडिंग ओवर-टेकिंग ओवर नहीं किया जा रहा है।
पिछली 30 जून से मशीन से मिलने वाली थेरेपी का लाभ नए मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। रिटायर होने वाले अधिकारी ने विभाग को चार्ज नहीं दिया है। ऐसे में बिना जरूरी सामान के थेरेपी नहीं हो सकती। जल्दी ही इसका रास्ता निकाल लिया जाएगा।
-प्रो. आरसी गुप्ता, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज।