- लाइब्रेरी बंद होने के कारण आर्थिक तंगी के बीच सपनों को पूरा करने के लिए खरीद रहे महंगी पुस्तक
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रदेश सरकार युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए अनेकों प्रयास कर रही हो, लेकिन फिर भी सरकार की नीतियों से गरीब छात्रों को फायदा नहीं हो रहा है। क्योंकि सरकार ने युवाओं की शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने के लिए कक्षाओं का भौतिक सत्यापन शुरु कर दिया हो।
मगर लाइब्रेरी में अभी स्नातक व परास्नातक के साथ प्रतियोगी परीक्षार्थियों की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को बैठने की परमिशन जारी ना करने से उनकों परेशानी में डाल दिया हैं। मध्यम वर्ग के छात्र-छात्राएं स्नातक व परास्नातक स्तर से ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते है।
जिससे वह शिक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करते हुए अपने पैरों पर खड़े हो सके। जिसमें लाइब्रेरी में रखी पुस्तकें उनकी सहायक होती है। क्योंकि वह निम्न शुल्क में किताबों के संग्रह का गहनता से अध्ययन कर लेते हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण शोध के अलावा अन्य सभी छात्र-छात्राओं को लाइब्रेरी में बैठने की परमिशन नहीं है।
जिससे गरीब छात्रों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है कि आखिर इतनी महंगी पुस्तकें कहां से खरीदे। क्योंकि गरीब छात्रों के सामने पहले ही लॉकडाउन एक बड़ा संकट उत्पन्न कर चुका हैं। कक्षाओं के अनुरूप अगर लाइब्रेरी की बात की जाएं तो लाइब्रेरी का माहौल सबसे बेहतर होता है।
क्योंकि लाइब्रेरी के अंदर वहीं बच्चे प्रवेश करते हैं। जिनको अध्ययन करना हो, लेकिन फिर भी शासन ने स्नातक व परास्नातक व प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को लाइब्रेरी में बैठने की अनुमति नहीं दी है। जिससे मध्यम वर्गीय छात्रों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि सरकार ने शोध के छात्रों को दो माह पूर्व अनुमति जारी कर दी थी, लेकिन प्रतियोगी छात्रों के नसीब में अभी सिर्फ इंतजार है। फिर भी छात्रों को उम्मीद है, सरकार उनकी स्थिति को समझते हुए लाइब्रेरी में बैठने की अनुमति भी जारी करेगी। जिससे वह आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।