Sunday, January 5, 2025
- Advertisement -

खानपान की गुणवत्ता और क्लिक डिलीवरी

Samvad 50

MANISH KUMAR CHAUDHARYआनलाइन फूड बिजनेस में गति गुणवत्ता पर हावी हो रही है। फूड डिलीवरी एप्स इस होड़ाहोड़ी में लगे हैं कि कौन कितना जल्दी ग्राहकों तक खाना पहुंचाता है। तीस मिनट से शुरू हुई यह होड़ 10 मिनट तक आ पहुंची है। भारत में ये फूड ऐप 10 मिनट से कम समय में ग्राहकों के दरवाजे पर बिरयानी से लेकर गर्म पेय पदार्थ पहुंचाने का वादा कर रहे हैं, क्योंकि अधीर उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। टू मिनट नूडल्स बनने में भले ही दो मिनट से ज्यादा समय लें, वे ग्राहकों तक पहुंचने में इससे भी कम समय ले रहे हैं। खाद्य सामग्री पहुंचाने की इस फटाफट प्रक्रिया में भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। तेज डिलीवरी स्वास्थ्य के बारे में भी चिंताएं पैदा कर रही हैं। देश जंक फूड के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, जो पैकेज्ड फूड की बढ़ती उपलब्धता और ढीले खाद्य सुरक्षा नियमों के कारण बढ़ रहा है।

कुछ कंपनियां इन-हाउस किचन का उपयोग करती हैं, जबकि अन्य रेस्तरां के साथ साझेदारी करती हैं। भले ही कंपनियां यह आश्वासन दें कि गति के बावजूद गुणवत्ता बरकरार है, लेकिन आंधी की तरह यह तेज डिलीवरी खाद्य सामग्री बनाने की प्रक्रिया पर कुछ शक तो खड़े करती ही है। क्योंकि कंपनियों की सामग्री बनाने और वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह से मेल नहीं खाती। जोमैटो की इकाई ब्लिंकिट का फूड डिलीवरी ऐप बिस्ट्रो और जेप्टो कैफे खाने-पीने की चीजों को तेजी से पकाने और इकठ्ठा करने के लिए इन-हाउस किचन पर निर्भर हैं, जबकि स्विगी स्टारबक्स कॉर्प से लेकर मैकडॉनल्ड्स कॉर्प तक के रेस्तरांओं के साथ साझेदारी कर रही हैं। भारत में दशकों से डोरस्टेप डिलीवरी होती आ रही है और कई स्थानीय किराना दुकानदार ग्राहकों तक सामान पहुंचाने के लिए कर्मचारी रखते आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में इसमें क्रांतिकारी बदलाव देखने में आया है। तकनीक ने अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी की पेशकश करने वाले स्टार्टअप्स को जन्म देने में मदद की और इन्हें एक समृद्ध, स्मार्टफोन-प्रेमी, शहरी आबादी की तुरंत संतुष्टि के लिए तैयार किया। इसका नतीजा जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे ऐप थे, जो इतनी तेज गति से अंडे पहुंचाते हैं कि आपके खाने का समय उससे ज्यादा होता है। जबकि इसी तरह की सेवाओं में आमतौर पर दुनिया के अन्य हिस्सों में कुछ घंटे लगते हैं। स्विगी और जोमैटो की सफलता ने भले ही भारतीय खुदरा क्षेत्र को हिलाकर रख दिया हो, लेकिन कुछ उपभोक्ता इतनी जल्दी पकाए गए भोजन की गुणवत्ता के बारे में चिंता जताते हैं। खानपान के प्रति सतर्कता और गुणवत्ता की परख करने वाले इन ग्राहकों को विश्वास नहीं होता कि आॅर्डर के दस मिनट बाद कोई ठीक तरह से पकी हुई ताजा सामग्री उन तक कैसे पहुंचा सकता है।

जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का आॅनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट मार्च, 2029 तक दोगुना से अधिक होकर 15 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। जेप्टो कैफे, जो 2022 में 10 मिनट में भोजन की डिलीवरी शुरू करने वाला पहला प्लेटफॉर्म था, हर महीने सौ कैफे जोड़ रहा है और एक दिन में तीस हजार आॅर्डर प्राप्त कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में क्विक-कॉमर्स कंपनियां वर्तमान में देश के 10-12 सबसे बड़े शहरों से अपने राजस्व का 90 प्रतिशत से अधिक कमाती हैं। अगला नंबर छोटे शहरों का हो सकता है, जिन पर ये कंपनियां नजरें गड़ाए हैं। दस मिनट में सामान ग्राहक तक पहुंचाने का दावा करने वाली जेप्टो सात शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई में किराने, फल और सब्जियों के छह हजार उत्पाद वितरित करती है। बिक्री के मामले में मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर इसके शीर्ष तीन बाजार हैं।

लेकिन खाने की गुणवत्ता का सवाल तो अभी भी मुंह चिढ़ा रहा है। जल्दी पहुंचाने की होड़ में किसी के स्वास्थ्य के साथ तो समझौता नहीं किया जा सकता। खाना पकाने का समय 2 मिनट और डिलीवरी का समय 8 मिनट, ऐसी जल्दबाजी हजम नहीं होती तो ऐसा खाना कैसे हजम होगा, यह बड़ा प्रश्न है। हम खराब पोषण और अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) व अति प्रसंस्कृत भोजन की महामारी से पहले से ही पीड़ित हैं। जिसमें पाम आॅयल और चीनी की मात्रा बहुत अधिक है। कोई दुकानदार अपने माल को खराब नहीं बताता, की तर्ज पर ये त्वरित भोजन पेश करने वाली कंपनियां आश्वस्त करती हैं कि भोजन की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसी कंपनियां कहती हैं कि तेज डिलीवरी समय को पूरा करते हुए गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियंत्रित वातावरण में भोजन तैयार किया जाता है और हर चरण में उच्च स्वच्छता मानकों को लागू किया जाता है- सोर्सिंग से लेकर अंतिम डिलीवरी तक। कर्मचारियों के लिए कठोर प्रशिक्षण और नियमित निरीक्षण भी हैं। लेकिन ह्यटेन मिनट डिलीवरीह्ण पर क्या पूरी तरह खाद्य सामग्री पकाने-बनाने और भेजने के मानकों का पालन हो पाना संभव है? भारत की व्यस्त और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर डिलीवरी का समय बनाए रखने के साथ खाने की गुणवत्ता बनाए रखना भी एक चुनौती है। परंतु खाना कैसा है, इससे ज्यादा फिक्र ग्राहकों को यह है कि खाना कितना जल्दी पहुंचता है। बहुत संभव उनकी इसी मानसिकता का फायदा इन कंपनियों को मिलता है।

janwani address 3

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Kiara Advani: कियारा की टीम ने जारी किया हेल्थ अपडेट, इस वजह से बिगड़ी थी तबियत

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Lohri 2025: अगर शादी के बाद आपकी भी है पहली लोहड़ी, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here