Monday, May 12, 2025
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केन-बेतवा लिंक से बदलेगा बुंदेलखंड

NAZARIYA


GIRISH PANDEYवह धरती जहां से जंगे आजादी की पहली लड़ाई (1857) में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। वह धरती जो दुनिया के महानतम रचनाकार और रामचरितमानस जैसा कालजयी महाकाव्य लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि रही हो। वह धरती जो वनवास के दौरान भगवान श्रीराम को सर्वाधिक प्रिय रही हो। वनवास के दौरान उनका सर्वाधिक समय बुदेलक्खण्ड की धरती (चित्रकूट) पर ही गुजरा। इतनी पवित्र धरती के लिए पूर्व की प्रदेश और केंद्र की सरकारों ने कुछ भी नहीं किया। पानी, जो बुंदेलखंड की सबसे बड़ी और बुनियादी जरूरत थी, उसके लिए भी कुछ खास नहीं। पहली बार किसी सरकार ने बुंदेलखंड के लाखों लोगों और यहां के खेतों की प्यास बुझाने के लिए शिद्दत से प्रयास किया है। सरकार ने न केवल बुंदेलखंड के लोगों और खेतों के प्यास की चिंता की, बल्कि विकास कार्यों पर भी समान रूप से फोकस किया। अर्जुन सहायक नहर, चिल्ली-मसगांव, कुलपहाड़ स्प्रिंकलर प्रणाली, खेत तालाब योजना के तह खोदे गए तालाबो के अलावा इस बाबत किया गया ताजा प्रयास केन-बेतवा लिंक पर केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी है। यह परियोजना उस नदी जोड़ो महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है जिसका सपना स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था।

चंद रोज पहले बुंदेलखंड के महात्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। लगभग 4400 करोड़ रुपये की इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के बांदा, हमीरपुर, झांसी और महोबा एवं मध्य प्रदेश के सागर, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना जिले लाभान्वित होंगे। दोनों प्रदेशों की लगभग 10.50 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध होगा। दोनों नदियों के पानी के बेहतर प्रबंधन से भूगर्भ जल का ऊपर उठना, 130 मेगावाट की पनबिजली और सौर ऊर्जा से उत्पादित होने वाली 27 मेगावाट की बिजली बोनस होगी। परियोजना को आठ साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होने पर गैर बारिश के सीजन (नवम्बर से मई तक ) में मध्य प्रदेश को 1834 अरब लीटर और उत्तर प्रदेश को 750 अरब लीटर पानी मिलेगा। बारिश के सीजन में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को क्रमश: 2350 और 1700 अरब लीटर पानी मिलेगा।

मालूम हो कि करीब दो दशक पहले इस परियोजना का सपना स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। तबसे दोनों राज्यों की कई चक्रों की बैठक के बाद पिछले साल 22 मार्च को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की पहल पर हुई दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस बाबत समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए। पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी देकर इसपर अंतिम मुहर लगा दी।

रही बुंदेलखंड के विकास परियोजनाओं की बात तो बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, डिफेंस कॉरिडोर जैसे मेगा प्रोजेक्ट इस धरती के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। जिस बुंदेलखंड में सरकारों की उपेक्षा से उबड़ खाबड़ सड़कें ही स्थानीय पहचान बन गई थीं, वहां 296 किमी लंबा एक्सप्रेस वे का निर्माण अकल्पनीय सा लगता है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का अस्सी प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है और इसके जरिए डबल इंजन की सरकार चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया व इटावा को न केवल सुगम यातायात दे रही है बल्कि औद्योगिक विकास व निवेश का प्लेटफार्म भी तैयार कर रही है।

करीब 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना लागत का बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे इस पठारी क्षेत्र को यमुना एक्सप्रेस वे से लिंक कर दिल्ली की दूरी भी काफी कम कर देगा। सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के किनारे औद्योगिक गलियारा भी विकसित कर रही है जहां फूड प्रोसेसिंग, मिल्क प्रोसेसिंग, हैंडलूम आधरित यूनिट बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का आधार बनने जा रही हैं। इसी तरह डिफेंस कॉरिडोर भी वृहद स्तर पर निवेश और रोजगार की संभावनाओं से बुंदेली धरती पर यहां के लोगों का भविष्य स्वर्णिम बना रहा है।

डिफेंस कॉरिडोर को लेकर हुए रक्षा उत्पाद कम्पनियों के कांफ्रेंस में हजारों करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा हुई थी जो लगातार बढ़ ही रही है। अनुमानत: डिफेंस कॉरिडोर में पौने दो लाख करोड़ रुपये के उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे रक्षा उत्पाद आयात करने वाला भारत निर्यातकतार्ओं में शुमार हो जाएगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे और डिफेंस कॉरिडोर के जरिये लिखी जा रही विकास की इबारत की ही देन है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में वहां जमीनों के दाम पांच से छह गुना तक बढ़ गए।

पिछले दिनों जिस सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पण किया, वह 44 साल पहले शुरू हुई थी। यह सिंचाई की ऐसी पहली परियोजना नहीं है। इससे पहले विंध्य क्षेत्र की प्यास बुझाने के लिए वर्षों से लंबित बाण सागर और बुंदेलखंड के लिए बेहद जरूरी और वर्षों से लटकी अर्जुन सहायक नहर परियोजना का भी प्रधानमंत्री मोदी लोकार्पण कर चुके हैं।


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