- बेसिक शिक्षा विभाग में असुविधाओं के बीच पढ़ाई कर रहे बच्चे
- स्कूलों में बैठने के लिए फर्नीचर तक की नहीं है कोई व्यवस्था
- बैठने के लिए टाट पट्टी तक देने से कर रहे गुरेज
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बेसिक शिक्षा विभाग करोड़ों रुपये खर्च करके परिषदीय स्कूलों की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के दावे करता नहीं थकता है, लेकिन उसके दावों की पोल उस समय खुलने में देर नहीं लगती, जब स्कूलों का धरातल पर निरीक्षण किया जाए। कहीं पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, कहीं शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है, शौचालय है तो पानी तक की व्यवस्था उसके अंदर नहीं है, छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है, टाट पट्टी तक की व्यवस्था नहीं है। मुश्किलों के बीच नौनिहाल ककहरा सीख रहे हैं। उन्हें तमाम असुविधाओं का सामना भविष्य की नींव मजबूत करने के लिए करना पड़ रहा है। आलम यह है कि जहां कड़ाके की ठंड में हर कोई कांप रहा है। वहीं, नौनिहालों के बैठने के लिए स्कूलों में टाट पट्टी तक नहीं है।
ऐसा ही हाल शांतिनगर स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। जहां हाड़ कंपाने वाली ठंड में नौनिहाल ठिठुर रहे हैं। जहां जनवाणी के फोटोग्राफर आकाश ने स्कूल की बदहालों को अपने कैमरे में कैद कर लिया। परिषदीय स्कूलों की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कायाकल्प अभियान चलाया गया था। कायाकल्प अभियान के तहत ग्राम पंचायतों, निकायों के अंतर्गत आने वाले परिषदीय स्कूलों में संसाधन और सुविधाएं जुटाने के निर्देश दिए गए थे। कुछ स्कूलों को कायाकल्प के माध्यम से बेहतर बनाने की ओर कदम बढ़ाए भी गए हैं, लेकिन आज भी कुछ स्कूल ऐसे हैं जो असुविधाओं का दंश झेल रहे हैं। उन स्कूलों की हालत ऐसी है कि वह जर्जर स्थिति में पहुंच रहे हैं।
कक्षाओं में बैठते समय भी बच्चे सोचते हैं। कहीं जर्जर भवन की चपेट में न आ जाए। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग हर साल जर्जर भवनों को चिन्हित करके वहां पढ़ाई बंद करा देता है, लेकिन दूसरे भवनों का बंदोबस्त न होने के कारण कुछ स्कूलों में मजबूरी में जर्जर भवन में पढ़ाई करा दी जाती है। यही नहीं स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए टाट पट्टी की समुचित व्यवस्था तक नहीं है। वहां बच्चे ठंड में नीचे बैठने को मजबूर हैं। स्कूल में हेडमास्टर की ओर से टाट पट्टी की व्यवस्था कर भी दी जाती है तो भी बच्चों को ठंड लगती है।
…तो यहां लगता है शराबियों को जमावड़ा
स्कूल के बाहर का फोटो आप देखकर हैरान रह जाएंगे। फोटो में आपको देशी शराब के रेपर नजर आएंगे। यह रेपर किसी शराब के ठेके के बाहर के नहीं है। बल्कि स्कूल के गेट के हैं। गेट के पास शराब के रेपर पड़े हुए रहते हैं। पास में ही शिक्षक संघ का कार्यालय भी है। देखा जाए तो शिक्षा के मंदिर के बाहर इस तरह के रेपर मिलना चिंता का विषय है। बताया जाता है कि यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है। कई बार यहां शराब पीने वालों को मना भी की जाती है, लेकिन वह यहीं पर बैठकर शराब पीते हैं।
प्राथमिक विद्यालय में धड़ाम है स्वच्छता अभियान
स्कूल में स्वच्छता अभियान पूरी तरह से धड़ाम नजर आता है। स्कूलों में भले ही सफाई व्यवस्था के लिए ग्राम पंचायतों, निकायों को जिम्मा दिया गया हो, लेकिन सफाई को लेकर खानापूर्ति की जाती है। स्कूल में लगे कचरे के ढेर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से यहां सफाई व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। कक्षाओं के बहार कूड़े के ढेर लगा दिए जाते हैं। सवाल यह है कि आखिर यहां सफाई क्यों नहीं की जाती है? क्यों कूड़े-कचरे के ढेर यहां लगे हुए हैं?