चौधरी परिवार की अपनेपन की भावनाओं से जुड़ी है छपरौली
जयंत की रस्म पगड़ी में इसी मैदान में उमड़ा था सैलाब
अमित पंवार |
बागपत: छपरौली की सरजमीं पर चौधरी परिवार की अपनेपन की ‘भावनाओं’ से जुड़ा सैलाब एक बार फिर उमड़ने वाला है। मौका होगा छोटे चौधरी की प्रतिमा के अनावरण का। इससे पहले 19 सितंबर 2021 को जब यहां सैलाब उमड़ा था और आंखों में आंसू थे, तो मौका था चौधरी जयंत सिंह की पगड़ी का। अब एक बार फिर उसी सरजमीं पर रालोद की भावनाएं उमड़कर आएंगी। क्योंकि, लंबे समय से छोटे चौधरी की प्रतिमा के अनावरण का इंतजार हो रहा था।
हालांकि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां गरजते दिखाई देंगे। वह पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्म स्थली छपरौली में आएंगे।
कोरोना काल में छह मई 2021 का दिन चौधरी परिवार और उनके अनुयाइयों के लिए झटका देकर चला गया था। इस दिन छोटे चौधरी यानी पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का निधन हो गया था। कोरोना की गाइड लाइन उस दौरान जारी थी। जिस कारण रस्म पगड़ी का कार्यक्रम नहीं हो पाया था। उसके बाद 19 सितंबर 2021 को चौधरी जयंत सिंह को चौधरी परिवार की विरासत की पगड़ी बांधने का समय निर्धारित किया गया था। यह कार्यक्रम उसी सरजमीं पर रखा गया था जहां चौधरी परिवार का जुड़ाव सबसे अधिक माना गया है। वह सरजमीं छपरौली थी।
छपरौली कस्बे में श्री विद्या मंदिर के प्रांगण में चौधरी जयंत सिंह को पगड़ी बांधी गई थी। उस दौरान पश्चिमी यूपी ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों से भी पगड़ी आई थी और जयंत को बांधी गई थी। चौधरी परिवार की विरासत की पगड़ी के समय उमड़ा सैलाब मैदान में नहीं आ पाया था। वह चौधरी परिवार के प्रति भावनाएं ही थी। अब एक बार फिर छपरौली की सरजमीं पर वही भावनाएं उमड़ती दिखाई देंगी। इस बार मौका है छोटे चौधरी पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा के अनावरण का।
चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा श्री विद्या मंदिर के प्रांगण में लगाई गई थी। काफी समय से यह पैक थी और अनावरण की बाट जोह रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले इसके अनावरण का कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन चुनाव से ठीक पहले रालोद का एनडीए के साथ गठबंधन हो गया था और चुनावी व्यस्तता के चलते कार्यक्रम टाल दिया गया था। उसके बाद फिर लगातार कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही थी। 12 फरवरी को श्री विद्या मंदिर इंटर कालेज में प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम रखा गया है। खास बात यह है कि जयंत की रस्म पगड़ी के बाद जहां एक बार फिर यहां बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है वहीं प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार चौधरी चरण सिंह की कर्म स्थली छपरौली में कदम रखेंगे। वह अभी तक यहां नहीं आए हैं।
हालांकि छपरौली विधानसभा के मौजिजाबाद नांगल में कथा का शुभारंभा करने वह जरूर आए थे, लेकिन जिस छपरौली का जिक्र चौधरी परिवार के साथ हमेशा किया जाता है उसकी सरजमीं पर वह पहली बार आएंगे। इस बार यहां रालोद के अलावा भाजपा भी दिखाई देगी। क्योंकि, दोनों का गठबंधन है और जयंत केंद्र में मंत्री है। सीएम योगी और जयंत की जुगलबंदी इस मैदान पर आने वाले समय का संदेश देती दिखाई देगी। माना जा रहा है कि छपरौली की सरजमीं से कुछ नई घोषणाएं भी हो सकती हैं। कार्यक्रम को लेकर रालोद ने जहां एडी चोटी का जोर लगा रखा है वहीं सीएम के आगमन को लेकर पुलिस-प्रशासन भी दिन रात लगा हुआ है।
बागपत में खूब आए सीएम, छपरौली नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आगमन बागपत की सरजमीं पर खूब हुआ। वह पहले मुख्यमंत्री है जो सबसे अधिक यहां आए हैं। अन्यथा चुनावी जनसभाओं के अलावा कोई मुख्यमंत्री यहां आने से गुरेज करता था। सीएम बनने से पहले भी योगी आदित्यनाथ पिलाना में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे। उसके बाद सीएम के तौर पर यहां कई बार वह आ चुके हैं, लेकिन छपरौली की सरजमीं पर नहीं पहुंचे थे। अब चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर वह वहां आ रहे है।
इसी मैदान से हुआ था नामकरण…
19 सितंबर 2021 का दिन था और चौधरी परिवार की विरासत की पगड़ी बांधी गई थी। जयंत को जब पगड़ी बांधी तो उनकी आंखों में आंसू थे। उनकी जुबां सिसक रही थी। भीड़ भी उनका हौसला बढ़ाने के लिए नारे लगा रही थी। उस समय मंच से घोषणा हुई थी कि जयंत चौधरी की बजाय चौधरी जयंत सिंह कहा जाएगा। जिसके बाद से चौधरी जयंत सिंह कहा जाने लगा। यानी दादा और पिता के नाम की तरह उनका भी नामकरण इसी छपरौली के मैदान में किया गया था। वह इससे पहले नाम के बाद में चौधरी जगाते थे, लेकिन यहां कार्यक्रम के बाद से उनके नाम से पहले चौधरी लगाया जाने लगा था।