- 2350 मुस्लिम वोट मिले 26 साल बाद भाजपा को मिले 80 हजार से ज्यादा वोट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में शहर सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 1996 के बाद पहली बार 80 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। इससे पहले 1996 में लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने 84770 वोट हासिल कर जीत दर्ज कराई थी। इस बार जबरदस्त धु्रवीकरण होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी कमलदत्त शर्मा को करीब 150 मुस्लिम बूथों पर छुटपुट वोट मिले हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक करीब 2350 मुस्लिम वोट ले जाने में प्रत्याशी को सफलता मिली है।
2017 के चुनाव में लक्ष्मीकांत बाजपेयी को 74448 वोट मिले थे। 2012 के चुनाव में 68154 वोट, 2007 के चुनाव में 47413, 2002 के चुनाव में 48739 वोट, 1996 के चुनाव में 84770 वोट और 1993 के चुनाव में 74812 वोट और 1989 के चुनाव में 46317 वोट मिले थे। इस बार का चुनाव भाजपा जाट मुस्लिम गठजोड़ के जबरदस्त दबाव में लड़ रही थी। शहर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रुप में कमल दत्त शर्मा को जब चुनाव मैदान में उतारा गया तो हर कोई हैरान था।
दरअसल, यह टिकट संघ की पसंद के रूप में देखा जा रहा था। इस सीट के लिये दर्जा प्राप्त मंत्री सुनील भराला भी प्रयास कर रहे थे। इसके अलावा कई और दावेदार थे। शहर सीट पर भाजपा संगठन एकजुट होकर चुनाव में नहीं उतरा। इसके पीछे एक कारण यह भी था कि संगठन से जुड़े अधिकांश लोग कैंट सीट प्रत्याशी अमित अग्रवाल के साथ जुड़े हुए थे। इसके अलावा एक भी स्टार प्रचारक का कार्यक्रम भी नहीं रखा गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दक्षिण और शहर सीट के अलावा सिवालखास सीट पर आये थे।
शहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी कमल दत्त शर्मा को मिले वोटों का आकलन किया जाए तो करीब 150 मुस्लिम इलाकों में स्थित बूथों पर कमलदत्त को 2350 वोट मिले। कुछ बूथों पर भाजपा को 100 तो किसी पर 74 वोट तक मिले। पचास से कम वोट वाले बूथों की संख्या भी काफी है। शहर के 351 बूथों में हर बूथ पर भाजपा को वोट मिले हैं। कमल दत्त को 80330 वोट मिले। इसमें 400 बैलेट वोट भी है। माना जा रहा है कि भाजपा का हाईकमान जब मेरठ की चार सीटों की हार की समीक्षा करेगा तब आपसी कलह और गुटबाजी साफ दिखेगी। वहीं सपा प्रत्याशी रफीक अंसारी का हर बूथ पर वोट मिलना लाजिमी है।