- एक तरफ प्रदूषण तो दूसरी ओर धूल कर रही परेशान
- आदेशों के बावजूद नहीं हो रहा असर, ग्रांड फाइव रिसोर्ट के सामने डाली जा रही मिट्टी
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: शाम होने से पहले ही अंधेरा छाने लगता है। आप भले ही इसे कोहरे की चादर मान रहे हो, लेकिन हकीकत में यह प्रदूषण की चादर है। मेरठ का एक्यूआई खतरे के निशान पर है। बावजूद इसके यहां प्रदूषण फैलाने वालों पर अंकुश लगाने की बजाय अफसरशाही आराम की चादर ताने सोई हुई है। उनकी ओर से भले ही प्रदूषण का ग्राफ कितना भी बढ़ जाए, लेकिन उन्हें कोई लेना देना नहीं है। कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों एनएच-58 पर नजर आ रहा है।
जहां एनजीटी के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर मिट्टी डाली जा रही है। यहां दिनभर धूल के गुबार उड़ रहे हैं। जोकि वाहन चालकों के लिए मुसीबत तो बन ही रहे हैं साथ ही वह प्रदूषण बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। आलम ये है कि हाइवे पर धूल उड़ती अफसरों को नजर नहीं आती है। यही कारण है कि ऐसा करने वालों पर कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा जा रहा है।
एनएच-58 पर एनजीटी के आदेशों को खुलेआम हवा में उड़ाया जा रहा है। मेरठ का प्रदूषण लाल श्रेणी की लाइन पर है और यहां प्रदूषण को बढ़ाने में मिट्टी का कारोबार करने वाले लोग शामिल हो रहे हैं। हाइवे पर ग्रांड फाइव रिसोर्ट के सामने मिट्टी के ढेर लगा दिए गए हैं। हवा में यह मिट्टी यहां से गुजरने वाले लोगों की आंखों में गिर रही है। जिससे लोग बीमार हो रहे है और इससे प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है। हाइवे पर जगह-जगह मिट्टी डाली जा रही है
और यहां अवैध रूप से निर्माण हो रहा है। इससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए प्रदूषण विभाग द्वारा भी आज तक कोई कार्रवाई इनके खिलाफ नहीं की गई। मिट्टी खनन से लेकर निर्माण से प्रदूषण बढ़ाया जा रहा है, लेकिन इसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। रिसोर्ट के सामने डाली जा रही मिट्टी के बाद भी प्रदूषण विभाग द्वारा रिसोर्ट मालिक को कोई नोटिस नहीं दिया गया है। उधर, रिसोर्ट के मालिक से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।
विभाग को खुलेआम चुनौती देकर फैला रहे प्रदूषण
शहर में ऐसे भी स्थान है जहां मिट्टी डालकर प्रदूषण फैलाने का काम किया जा रहा है। इस मिट्टी का काम दिन में चलने के करण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। प्रदूषण को रोकने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही है, लेकिन उसके बावजूद विभागों को चुनौती देकर इस प्रदूषण को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इस पर विभाग द्वारा भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। साफ जाहिर है कि खनन विभाग, प्रदूषण विभाग और प्रशासनिक अफसर यहां से मुंह फेरे हुए है।
मिट्टी कहां से आ रही है? इसकी अनुमति है या नहीं? कितने घनमीटर की अनुमति है और कितनी मिट्टी डाल दी गई है, यह भी कोई जांचने वाला नहीं है। अफसरशाही की हीलाहवाली का ही नतीजा है कि हाइवे पर चलना दुभर हो गया है। अगर अफसरों की यही ढिलाई रही तो यहां प्रदूषण तो बढ़ेगा ही साथ ही धूल के गुब्बार से कोई बड़ा हादसा होने में देरी नहीं लगेगी।
सुप्रीम कोर्ट सख्त, अफसरों पर असर नहीं
प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आ रहा है। ग्रेप-4 लागू कर सख्ती कर दी गई थी। स्कूलों की छुट्टी तक की गई थी। दिल्ली एनसीआर में अभी भी ग्रेप-3 लागू है। सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण पर अधिकारियों को फटकार भी लगा चुका है, लेकिन यहां अफसरों पर कोई असर नजर नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट भले ही कितना भी सख्त हो जाए, लेकिन अफसर आराम की चादर से बाहर निकलने की जहमत नहीं उठाएंगे।
ग्रेप-4 लागू होने के बाद भी हवा में आदेश
हाइवे पर काम करने के लिए एनएचएआई से भी अनुमति लेनी होगी, लेकिन बिना अनुमति के अवैध रूप से काम किया जा रहा हैं। प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेप-4 लागू किया गया था, लेकिन उन आदेशों को भी हवा में उड़ाया जा रहा है। आखिर अब इनके खिलाफ कब कार्रवाई होगी।