Saturday, January 4, 2025
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आगरा में फैली है धुंध की चादर, सांस लेने में दिक्कत, यहां की हवा सबसे जहरीली

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: यूपी में आगरा जिले में पराली, कचरा जलाने और वाहनों के प्रदूषण के साथ सड़कों की खुदाई के कारण शहर में हवा बेहद जहरीली हो गई है। कई जगह एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक 500 के स्तर के करीब जा पहुंचा है। बृहस्पतिवार की सुबह कोहरे और प्रदूषण के कारण स्मॉग की सफेद चादर छाई रही। लोगों को आंख, नाक में जलन की शिकायत रही। अस्थमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत हुई।

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सड़कों पर दृश्यता बेहद कम रही। हाईवे, एक्सप्रेसवे और ताजमहल के पास सुबह 10 बजे तक दृश्यता बेहद कम दर्ज की गई। शहर में अमर होटल के पास फतेहाबाद रोड, आईएसबीटी ट्रांसपोर्टनगर और यमुना किनारा रोड पर सबसे ज्यादा प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। किसी गैस चैंबर में बदल गई ताजनगरी में सांस रोगियों के लिए बृहस्पतिवार का दिन बेहद मुश्किल भरा रहा। मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों और निजी अस्पतालों में सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ।

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जगह एक्यूआई
अमर होटल 496
आईएसबीटी 463
हाथीघाट ब्रिज 453
राजा की मंडी 408
बाग फरजाना 408
जीपीओ 404
शाहगंज 403
नामनेर 362
नरीपुरा 336
संजय प्लेस 324

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अस्थमा रोगियों की उखड़ने लगी सांस

एसएन मेडिकल कॉलेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग की ओपीडी में सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। बीते तीन दिनों में क्रमश: 151, 215 और 250 मरीज पहुंचे हैं। मेडिकल कॉलेज के अलावा प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों में चिकित्सकों के पास सांस रोगियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। अस्थमा रोगियों की सांस उखड़ रही है और खांसी की शिकायत पर डॉक्टर पंप का इस्तेमाल करने का परामर्श दे रहे हैं। सांस रोगियों को अब स्प्रे और पंप का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जबकि दिवाली से पहले वह दवा पर ही निर्भर थे।

बच्चों को लग रहे नेबुलाइजर

अस्थमा और सांस रोगियों के साथ बच्चों पर भी प्रदूषण ने बुरा असर डाला है। पीएम कणों के फेफड़ों में पहुंचने के कारण बच्चों को नेबुलाइजर लगाना पड़ रहा है। निजी और सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉ. शरद गुप्ता के मुताबिक हर दिन 30 से ज्यादा बच्चे ऐसे आ रहे हैं जो प्रदूषण के कारण परेशान हैं। सर्दी के कारण वह पहले से मुश्किलें झेल रहे थे, प्रदूषण के कारण उनकी स्थिति और खराब हो रही है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि अधिकारी खुद तो एयर प्यूरीफायर लगाकर ऑफिस और घर में बैठे हैं, शहर के लोगों की चिंता नहीं है। ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) को सख्ती से लागू करने के साथ प्रदूषण नियंत्रण के तत्काल उपाय कराए जाएं। दो घंटे किसी सड़क पर खड़े होकर दिखाएं, तब वह प्रदूषण के दुष्प्रभाव को समझ पाएंगे।

जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई हो

टीटीजेड अथॉरिटी के सदस्य केशो मेहरा ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए छिड़काव करने और निर्माण सामग्री पर रोक के कदम उठाए जाएं। जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे, उन पर कार्रवाई हो। उनकी सीआर (करियर रिपोर्ट) में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की जाए। यह मांग हमने कमिश्नर और डीएम से की है।

नोटिस दे रहे, क्षतिपूर्ति वसूल रहे

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि कोयले, लकड़ी को जलाने से रोकने के लिए छापेमारी की जा रही है। ग्रैप के लिए हमने संबंधित विभागों से कहा है कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाएं। पानी का छिड़काव और धूल कणों पर नियंत्रण के उपाय सख्ती से अपनाएं। हमारी टीमें सर्वे कर रही हैं और लापरवाही पर विभागों को नोटिस तथा पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगा रहे हैं।

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