Thursday, May 22, 2025
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बिहार नहीं छोड़ेंगे सीएम नीतीश कुमार

  • राज्यसभा में जाने की अटकलों को जदयू ने किया खारिज, मंत्री ने कही ये बड़ी बात

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राज्य की सियासत से मन नहीं भरा है। बीते कुछ दिनों से चर्चा गर्म है कि वह उपराष्ट्रपति बन सकते हैं या राज्यसभा में जा सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को उनकी पार्टी जदयू ने इन्हें सिरे से खारिज कर दिया है। बिहार के मंत्री व जदयू नेता संजय झा ने कहा कि ये अफवाह और शरारत है। ये बातें सच्चाई से परे है।

संजय झा ने यह भी कहा कि उन्हें इस अफवाह पर आश्चर्य हो रहा है कि नीतीश कुमार राज्यसभा में जाने पर विचार कर रहे हैं! उन्हें बिहार की सेवा का जनादेश मिला है। वह मुख्यमंत्री के पूरे कार्यकाल में जनता की सेवा करते रहेंगे। नीतीश कुमार कहीं नहीं जा रहे हैं। नीतीश कुमार 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का सीएम चेहरा रहे हैं और जनता ने गठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश दिया।

दरअसल बीते दिनों  में नीतीश कुमार ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में एक बार भी राज्यसभा में नहीं जाने का कथित तौर पर जिक्र किया था। इसे लेकर अटकलें लगने लगीं कि उनका बिहार की सियासत से मन भरने लगा है। हालांकि बिहार की सत्ता में बदलाव को लेकर भाजपा और जदयू के बीच अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन सियासी अनुमानों की घुड़दौड़ शुरू हो गई है। इसीलिए मंत्री संजय झा ने यह स्पष्टीकरण दिया है कि यह शरारत है तथा सचाई से इनका कोई वास्ता नहीं है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने उक्त आशय का जिक्र पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में किया था। भाजपा या गठबंधन दलों के स्तर पर उन्होंने इस संबंध में अब तक कुछ नहीं कहा है। अगर नीतीश भाजपा के समक्ष इस आशय की इच्छा व्यक्त करेंगे, तब राज्य की सियासत में बदलाव के लिए संभावित फार्मूले पर बातचीत होगी। इस बीच, चर्चा का बाजार गर्म है कि एक सहमति के तहत भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने की पेशकश कर सकती है। ऐसे में बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री हो जाएगा और बदले जदयू को उपमुख्यमंत्री के दो पद मिलेंगे।

यह जोखिम लेना पसंद नहीं करेंगे:
इस फार्मूले को लागू करना आसान नहीं है। अगर नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बने तो वह सक्रिय राजनीति से दूर हो जाएंगे। ऐसे में जदयू के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो पार्टी को संभाल पाए। किसी एक नेता पर सहमति बनाना भी आसान नहीं है। इससे जदयू में भगदड़ की स्थिति बन सकती है, इसलिए वह यह जोखिम लेना पसंद नहीं करेंगे।

बिहार विधानसभा में जदयू के पास इस बार भाजपा के मुकाबले आधी सीटें हैं। नीतीश फिर से मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, मगर सरकार में उनकी पिछले कार्यकाल जैसी धमक नहीं है। उन्हें कई बार भाजपा के समक्ष हथियार डालने पड़े हैं। हाल ही में गठबंधन की सहयोगी वीआईपी के तीन विधायकों के पाला बदलने से भाजपा के विधायकों की संख्या 77 हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।

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