कई बार महिलाएं मीनोपोज के समय या प्रसव या फैमिली प्लानिंग के दौरान इस समस्या से गुजरती हैं। वैसे यूरिन इनकांटिनेंस का मेन कारण पेल्विक फ्लोर मसल्स और नर्व का कमजोर पड़ जाना है। विशेषज्ञों की मानें तो यह जीवन शैली से संबंधित समस्या है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं का सेवन, चाय कॉफी शराब कोल्ड डिंÑक्स का अधिक सेवन भी इसका कारण बन सकते हैं।
यह मामूली समस्या नहीं है। कई महिलाएं डायपर्स सेनिटरी नेपकिंस इस्तेमाल कर समस्या से छुट्टी पा लेना चाहती हैं, लेकिन इसमें मुश्किल यह है कि यह प्रैक्टिकल नहीं है। इससे एक तो आत्मविश्वास पर विपरीत असर पड़ता है, दूसरा ज्यादा समय तक इस्तेमाल से इनफ्लेमेशन, रैशेज आदि हो जाते हैं। यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। इसके लिये परंपरागत तरीके से भी उपचार लिया जा सकता है और कारगर न होने पर सर्जरी के बारे में भी सोचा जा सकता है।
सबसे पहले तो आपके लिए जरूरी है कि अपने इनकांटिनेंस यानी यूरिन लीकेज टाइप को जानें।
स्टेÑस-खांसने, छींकने, सीढ़ी उतरने, एक्सरसाइज आदि शारीरिक क्रियाओं के दौरान हल्का यूरिन लीकेज। ओवर एक्टिव ब्लैडर फंक्शन-बार बार यूरिन पास करने की अर्जेंसी, मानसिक या शारीरिक विकलांगता, टॉयलेट तक न पहुंच पाने पर यूरिन पास होना। सोते हुए अनजाने में बिस्तर गीला होना।
ओवर फ़लो-ब्लैडर भर जाने पर अनजाने ही यूरिन लीक करना। मिक्स्ड ट्रांजिएन्ट-स्टैÑस व अर्ज के लक्षण मिले जुले से हों, जिससे टेंपररिली यूरिन लीक होना। ये अन्य समस्या जैसे सर्दी खांसी या कोई खास दवाइयों को लेने के दौरान होता है और उनके ठीक होने पर भी ठीक हो जाता है। इस बीमारी के प्रभावी इलाज के लिये देश विदेश के यूरोलॉजिस्ट व गायनेकोलोजिस्ट प्रयासों मे जुटे हुए हैं।
दवाइयों में डायूरेक्टिक मेडिसिंस हैं। टीवीटी (टैंशन फ्री वेजाइनल टेप), टीओटी (ट्रांस आॅबट्युरेटर टेप) के अलावा इंट्रावेसिकल बोटोक्स इंजेक्शन अन्य उपचार विधियां हैं। कालपोसस्पेंशन और सेकरल न्युरोमोड्युलेशन अन्य उपचार विधियां हैं।
टीवीटी के तहत प्रोलीन से बने एक खास तरह के टेप को यूरेथ्रा के नीचे स्थापित किया जाता है जो खांसने, भागने, छींकने इत्यादि के दौरान यूरेथ्रा पर दबाव बनाए रखकर यूरिन लीकेज को रोकता है। टीओटी इलाज कीे सर्जिकल तकनीक है, जिसमें विशेष टेप को ट्रांसओब्ट्यूरेटर और प्यूबो-रेक्टलिस के जरिए स्थापित किया जाता है। इससे उछलने, कूदने, खांसने छींकने जैसी शारीरिक क्रियाओं के दौरान यूरेथ्रा अपने स्थान पर बना रहता है। उस पर बाहरी दबाव असर नहीं करता और यूरिन लीकेज की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
अच्छा तो यह होगा कि कंजर्वेटिव तकनीकें को जैसे जीवन शैली में बदलाव, व्यायाम इत्यादि को ही फालो किया जाए तनाव से बचें। अच्छी और गहरी नींद लें लेकिन डॉक्टर की राय जरूरी है। डॉक्टर भी वैसे तो मिनिमल इनवेसिव तरीकों पर ही जोर देते हैं। प्राब्लम को देखते हुए ही वे छोटा सा आॅपरेशन भी बता सकते हैं।