Tuesday, July 9, 2024
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शुद्ध लिखने के लिए व्याकरण और विषय की पूर्ण जानकारी जरूरी

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पढ़ने और बोलने की विधाओं से बिल्कुल इतर लिखने की कला के बारे में कहा जाता है कि यह कठिनतम विधा है जो किसी व्यक्ति को पूर्ण बनाता है। इस मान्यता के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि पढ़ने और बोलने की विधाओं में व्याकरण की शुद्धता का उतनी कठोरता और सावधानी से ध्यान नहीं रखा जाता है|
जितनी की लिखने की विधा में किया जाता है। साथ ही शुद्ध और सटीक लेखन से कथ्य अधिक स्पष्ट होता है, जो कहना चाहते हैं उस संदेश में कोई संदेह शेष नहीं रह जाता है। इसका एक अन्य कारण यह भी है कि जो चीजें लिखी जाती हैं वे कई स्वरूपों में रिकार्ड और रेफ्रन्स के रूप में लंबे टाइम पीरिअड के लिए सुरक्षित हो जाती हैं।
पूरी दुनिया में शुद्ध और स्पष्ट लिखना लेखन कला की मौलिक कसौटी के रूप में शुमार किया जाता है। यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण और पवित्र लेखन धर्म के रूप में माना जाता है। लेखन में किसी प्रकार की अशुद्धि न केवल लेखक की काबिलियत पर एक प्रश्न चिह्न होता है, बल्कि इसका प्रभाव घातक अस्त्र जैसा ही विनाशकारी होता है। लेखक कहना कुछ चाहता है और लेखन में अशुद्धि के कारण कहा कुछ और चला जाता है। पूर्ण शुद्धता के अभाव में एक लेखक की कोई भी रचनाएं न तो सर्वश्रेष्ठ हो सकती हैं और न ही मार्केट में बेस्ट सेलिंग का रैंक पाने में कामयाब हो पाती हैं।
राइटिंग की शुद्धता और स्पष्टता महज इतना तक ही सिमट कर नहीं रह जाती है। छात्र जीवन में विविध कम्पीटीटिव परीक्षाओं में सुनिश्चित सफलताओं में भी यह अहम भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत जीवन में भी कम्यूनिकेशन के लिए भी जब हम किसी को कुछ लिखते हैं तो हमें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है कि लेखन की किसी अशुद्धता के परिणामस्वरूप कथ्य के अर्थ का अनर्थ नहीं हो जाए।
इसके अतिरिक्त लेखन में व्याकरण के नियमों के कठोर पालन के साथ-साथ शब्दों के सटीक उपयोग के बारे में भी काफी सावधान बरतनी पड़ती है। इसके अभाव में लेखन सार्थक और सारगर्भित नहीं हो पाता है और यह पाठकों को प्रेरित करने मे असफल रह जाता है।
कहना क्या चाहते हैं, बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए 
जब हमारा उद्देश्य निर्धारित और स्पष्ट नहीं होता है तो भटकाव की स्थिति होती है और ऐसी स्थिति में हम गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते हैं। लेखन की कला इससे बिल्कुल अलग नहीं है। लिखने के समय जब हमें यह पता नहीं होता है कि हमें लिखना क्या है, कहना क्या है तो जाहिर है ऐसी स्थिति में हम जो भी लिखते हैं उसमें स्पष्ट संदेश का नितांत अभाव होता है।
यही कारण है कि हमें यह अवश्य ज्ञात होना चाहिए कि हम कहना क्या चाहते हैं। जब हम अपने कथ्य और संदेश के बारे में स्पष्ट और निश्चित होते हैं तो लेखन आसान, उद्देश्यपूर्ण और सटीक होता है।
शब्दों के उपयोग के प्रति सावधानी बरतें
कहा जाता है कि शब्द लोडेड पिस्टल होता है और यही कारण है कि यदि इसे सावधानीपूर्वक इस्तेमाल नहीं किया जाए तो फिर परिस्थितियां प्रतिकूल होते देर नहीं लगती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि यदि कथ्य के लिए सटीक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाए तो अर्थ के घातक परिणाम होते हैं। लिहाजा शब्दों के सटीक प्रयोग नितांत अनिवार्य होते हैं।
एक शब्द के विभिन्न परिप्रेक्ष्य में विभिन्न भाव और विभिन्न अर्थ होते हैं और यही कारण है कि हमें अपनी राइटिंग में उसी शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए जो हमारे कथ्य को बिल्कुल सटीक भाव और अर्थ प्रदान करता हो। इसके लिए अच्छी क्वालिटी के डिक्शनरी और थिसौरस का प्रयोग काफी लाभप्रद होता है।
राइटिंग सुगठित होना चाहिए
राइटिंग का सुगठित होने का अर्थ यह है कि लेख में कोई भटकाव नहीं है, यह विषय पर केंद्रित है। इस प्रकार के लेख से लेखक का अपने विषय पर मजबूत पकड़ को दशार्ता है। एक कॉम्पैक्ट आर्टिकल अपने विचारों और भावों के आस-पास ही संघनित और सुगठित होता है।
पाठक भी ऐसे लेख को पढ़ते समय भटकता नहीं है और वह उस लेख से जुड़ा हुआ महसूस करता है। सुगठित लेखों में सार्थक विचार, भाव और जानकारियां बारी-बारी से पाठक के पास आती रहती हैं और इसके परिणामस्वरूप नीरसता नहीं आती है, जिज्ञासा बनी रहती है और पाठक लेख से बंधा हुआ महसूस करता है।
जरूरी है विषय वस्तु के बारे में पूर्ण ज्ञान 
हम जब लिखने बैठते हैं तो सबसे विचित्र समस्या जो हमारे सामने आ खड़ी होती है वह यह है कि हमें उस विषय के बारे में बहुत ज्ञान नहीं होता है। इस कारण से हम तेजी से लिखने में भी असफल रहते हैं।  हम सोचते रह जाते हैं और ब्लैंक पेज डराता रहता है।
यह स्थिति साहित्य में तकनीकी रूप से राइटर्स ब्लॉक भी कहलाता है। इस प्रॉब्लम का एक समाधान यह है कि जब हम किसी विषय पर लिखने बैठें तो हमारे पास उस विषय के बारे में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। ऐसी स्थिति में भाव और विचार सहज रूप से जेनरेट होता जाता है और हम आसानी से एक अच्छा लेख लिख पाते हैं।
एडिटिंग है बहुत जरूरी 
लेखन में एडिटिंग की जब बात करते हैं तो सामान्य रूप से हमारा तात्पर्य लेख में व्याकरण की गलतियों को पहचान करके उनको शुद्ध रूप में लिखना होता है। लेकिन आर्ट आॅफ राइटिंग में एडिटिंग का प्रभाव इतना भर ही नहीं होता है। लेखों के संपादन में व्याकरण की अशुद्धियों के अतिरिक्त स्पेलिंग, वाक्य संरचना, पैराग्राफ संरचना, पंक्चूऐशन, सिन्टैक्स इत्यादि अशुद्धियों को शुद्ध करना होता है। कंटेन्ट करेक्शन का कार्य भी एडिटिंग का एक मुख्य हिस्सा होता है। लिहाजा किसी लेख की एडिटिंग बड़ी सावधानीपूर्वक करनी चाहिए।
प्रूफरीडिंग को नजरअंदाज नहीं करें
एडिटिंग के बाद का प्रोसेस प्रूफरीडिंग का होता है। प्रूफरीडिंग का कार्य आसान नहीं होता है। यह किसी भी लेख को फाइनली जमा करने या प्रिंटिंग में भेजने के पूर्व का एक अनिवार्य प्रक्रिया है जो किसी लेख में वैसी अशुद्धियों को पहचान करके दूर करने में किया जाता है जो अनजाने में एडिटिंग की प्रक्रिया के बाद भी छूटे रह जाते हैं।
व्याकरण की गलतियों के साथ-साथ स्पेलिंग, कंटेन्ट, पंक्चूऐशन और सिन्टैक्स की अशुद्धियां जो अंत तक लेख में छुपे रह जाते हैं उनको ढूंढ़ कर शुद्ध कर लेना ही प्रूफ रीडिंग कहलाता है। जब हम किसी लेख का प्रूफरीडिंग कर लेते हैं तो फिर वह पूर्ण रूप से दोषरहित हो जाता है।
लिखने के समय में निम्नांकित बातों का हमेशा ध्यान रखें-
जब तक आवश्यक नहीं हो, साधारण शब्दों का इस्तेमाल करें।
अपने सब्जेक्ट मैटर को अच्छी तरह से जानें।
छोटे वाक्य लिखें। इससे कंटेन्ट को समझना आसान हो जाता है।
बड़े पैराग्राफ अच्छे नहीं माने जाते हैं, छोटे पैराग्राफ में ही लिखने की कोशिश करें।
जहां तक संभव हो ऐक्टिव वॉयस में ही लिखें।
नए विचार लिखें, विचारों को दुहराएं नहीं ।
पाठक को घुमाएं नहीं, जो कहना हो डायरेक्ट कहें।
भारी-भरकम शब्दों या फ्रेज का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए ।
लिखे हुए टेक्स्ट की ध्यानपूर्वक एडिटिंग करें। फिर प्रूफ रीडिंग करें।
लिखने से पहले सब्जेक्ट मैटर के बारे में रिसर्च करें और आवश्यक जानकारियों का संग्रह करें ।
कुछ विशिष्ट लिखें ताकि यह असाधारण और उत्कृष्ट हो ।
जैसे बोलते हैं वैसे ही लिखें ।
विभिन्न विषयों पर पुस्तकों को पढ़ें। इससे राइटिंग स्किल डिवलप होती है।
शब्दों के चयन में सावधान रहें। केवल सटीक और उचित शब्दों का ही इस्तेमाल करें।
और अंत में अन्य कलाओं की तरह राइटिंग कला में भी पूर्णता प्रैक्टिस से ही हासिल होती है।
श्रीप्रकाश शर्मा


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