जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वर्ष 2009 में सभी को आधारिक शिक्षा का अधिकार तो बच्चों को मिल गया, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर की बेहतर बनाने की कहानी जरा भी परवान नहीं चढ़ सकी। मौजूदा समय में अधिकतर सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई और बच्चों को मिलने वाली आधारिक सुविधाओं का अभाव अभी भी साफ देखा जा सकता है। इससे भी ज्यादा बड़ी समस्या तब पैदा हो रही है, जब संबंधित विभाग के आला अधिकारी न तो इस ओर कोई खास ध्यान देते हैं और न ही जिम्मेदारों पर कोई प्रभावी एक्शन ही ले रहे हैं। इसका नतीजा है कि स्कूलों में अव्यवस्था बनी हुई है और बेसिक शिक्षा विभाग की अधिकारी चुप्पी साधे बैठी हैं।
नगर क्षेत्र चतुर्थ के उच्च प्राथमिक विद्यालय सुंदरा पुठ्ठा में जब आधारिक सुविधाओं का जायजा लिया गया तो जो तस्वीर सामने आई वह काफी खराब थी। जगह-जगह उगी घास और कई जगहों से टूटी दिवारों के साथ ही प्रांगण में कई जगह गंदगी देखने को मिली। झंडारोहण के लिये बनाए गए गोल चबूतरा का प्लास्टर भी उखड़ा मिला। शौचालय के बाहर झाड़ियों और गंदगी का अंबार दिखाई दिया। पानी के लिये लगाये गये सरकारी नल भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मिला। स्कूल के पिछले हिस्से में प्लास्टिक के गिलास भी पाए गये। स्कूल की दीवार के बाहर से एक बिजली का तार भी जमीन से लगभग छूकर जा रहा है, जिससे हादसे की संभावना बनी हुई है।
नजर हटी, समस्या बढ़ी
सरकारी विद्यालयों में बदहाली की जो मौजूदा तस्वीर सामने आई है उसका एक बड़ा कारण समय-समय पर निरीक्षण न होना भी माना जा रहा है। इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा संबंधितों को उचित दिशा-निर्देश न देना और दिशा-निर्देशों का पालन न करने वालों पर बराबर एक्शन न लेना भी एक कारक माना जा सकता है।
इसकी है जरूरत
समस्या के समाधान के लिये वार्ड-6 के पार्षद प्रशांत कसाना ने कहा कि सरकारी विद्यालयों की देखरेख को लेकर जो मानक हैं, उनका पालन सुनिश्चित किया जाना बेहद जरूरी है। परिसर की नियममित साफ-सफाई, समय-समय पर पौधारोपण और उनका संरक्षण करके परिसर को हरा-भरा बनाने के साथ ही स्कूली बच्चों को परिसर में पीने का पानी, शौचालय आदि की उचित व्यवस्था, कक्षा-कक्षों में पढ़ाई का उचित माहौल तैयार करना के लिये बीएसए द्वारा उचित दिशा-निर्देश दिया जाना भी जरूरी है। पर दुर्भाग्य से ऐसा किया नहीं जा रहा है। इसके लिए पूरी तरह से बीएसए जिम्मेदार हैं।