हम सबने अब मास्क पहनना छोड़ दिया है। सोशल डिसटेंसिंग को भी हम भूल चुके हैं। कोरोना के समय ये काम हम बार-बार करते थे लेकिन आज हम हाथ धोने से भी कतराते हैं। यहां तक कि अगर आज हमें कोई मास्क लगाए दिखता है तो उसका मजाक बनाते हैं। कुल मिलाकर हम कोरोना काल में बरती गई सावधानियों को भूल चुके हैं। हम उन दर्दनाक तस्वीरों को भी भूल गए हैं जब अस्पतालों में चीख पुकार मची हुई थी। अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। शमशान में दाह संस्कार के लिए भी लम्बी लाइनें लगी हुई थीं। सवाल यह है कि क्या हम उसी रास्ते पर दुबारा से जा रहे हैं? क्योंकि देश में कोरोना वायरस की रफ़्तार बहुत तेजी से बढ़ रही है जो बहुत बड़े खतरे का संकेत है। देश के कई राज्यों में कोरोना टॉप गियर में है। जिसने केंद्र सरकार को भी अलर्ट कर दिया है। ‘मिनिस्ट्री आॅफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर’ के मुताबिक अब तक महाराष्ट्र में कोरोना के कुल 2,117 एक्टिव केस पाए गए हैं जिसमें 161 नए केस पिछले चौबीस घंटों में दर्ज किए गए हैं। वहीं गुजरात में कोरोना के 1,697 एक्टिव केस मिले हैं जिसमें 168 नए केस पिछले चौबीस घंटों में देखे गए हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 528 एक्टिव केस हैं और 57 नए केस पिछले चौबीस घंटों में सामने आए हैं।
कर्नाटक में 792 एक्टिव केस हैं और यहां पिछले चौबीस घंटों में 109 नए केस का पता चला है। तमिलनाडु में कुल 608 एक्टिव केस हैं और यहां पर भी वायरस ने अपनी रफ़्तार बढाई हुई है, यहां पिछले चौबीस घंटों में 26 नए केस दर्ज किए गए हैं। तो वहीं केरल का सबसे बुरा हाल है यहां कुल एक्टिव केस की संख्या 2,471 है जिसमें 160 केस पिछले चौबीस घंटों में दर्ज किए गए हैं।
हमारे देश में कोरोना संक्रमण किस गति से फैल रहा है उसको समझने के लिए आंकड़ों को देखें तो भारत में 8 मार्च तक कोरोना के कुल 2,082 एक्टिव केस थे जो 15 मार्च तक बढ़कर 3,264 हो गए। वहीं 16 मार्च को एक दिन में कोरोना के 700 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं और अब देश में एक्टिव केस 10,000 से ज्यादा हैं। अब तक इस वायरस की रफ़्तार दोगुनी से भी ज्यादा गति से बढ़ी है।
केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की सरकारों को चिठ्ठी लिखकर सावधानी बरतने के साथ ‘मैक्रोलेवल’ पर ‘सर्विलांस टेस्टिंग’ और ‘मॉनिटरिंग’ बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने कोविड-19 और मौसमी इन्फ्लुएंजा के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों की तैयारियों को जांचने के उद्देश्य से अप्रैल माह में राष्ट्रव्यापी ‘मॉकड्रिल अभियान’ चलाने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से सभी जिलों के सार्वजनिक अथवा निजी स्वास्थ्य केंद्रों को इस अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। मॉकड्रिल का उद्देश्य दवाओं,अस्पतालों में बिस्तरों, चिकित्सा उपकरणों,और मेडिकल आॅक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा करना है। कमी पेशी की सूरत में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
दरअसल कोरोना वायरस एक ‘बहरूपिया वायरस’ है। कोरोना वायरस जितना ‘म्यूटेंट’ होता है ये उतना ही घातक हो जाता है। कोरोना के केस जितनी तेजी से दोगुने हुए हैं उससे भारत में कोरोना महामारी की अगली लहर की आशंका बन गई है। कोरोना के नए मामलों में बढ़ोत्तरी के पीछे इसके सब-वैरिएंट एक्सबीबी.1.16 एवं एक्सबीबी.1.15 के होने की संभावना जताई जा रही है। कोरोना का एक्सबीबी.1 वैरिएंट बेहद संक्रामक था और इसका ये नया सब-वैरिएंट और भी तेजी से नए लोगों में फैल सकता है।
खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि ये वैक्सीन से बनी इम्युनिटी को भी बाईपास कर सकता है। इस वेरिएंट को लेकर पूरी दुनिया में ‘जीनोम सिक्वेंसिंग’ भी की गई है। इस सिक्वेंसिंग में एक्सीबी.1.16 सब-वेरिएंट के सबसे ज्यादा 48 मामले भारतीय सैंपल में ही मिले हैं। जबकि ब्रुनेई में 22, अमेरिका में 15,और सिंगापुर के 14 सैंपलों में ये मिला है। कोरोना और एच3एन2 ‘इन्फ्लुएंजा’ का एक साथ आना बहुत घातक संयोजन (डेडली कॉम्बिनेशन) हो सकता है।
एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस पहली बार देश में मौत का कारण बना है। एच3एन2 इन्फ्लूएंजा हर उम्र के लोगों पर अटैक कर रहा है। ठीक उसी समय कोरोना के केस बढ़ना वास्तव में तनाव का कारण बन गया है। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश में अब तक 246 कोरोना के एक्टिव केस मिले हैं। जिसमें 62 नए केस पिछले चौबीस घंटों में दर्ज किए गए हैं। हालांकि संक्रमण से बचाव के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान भी काफी सुस्त रफ़्तार में चल रहा है।
किसी भी सरकारी अस्पताल में अब वैक्सीन नहीं है। जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में ‘कोर्बेवेक्स’ का टीका 400 रुपये में लगाया जा रहा है। यह टीका 12 वर्ष से 14 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को लगाया जाता है। वहीं वयस्कों को इसकी सतर्कता (प्रीकॉशन) डोज का भी न लग पाना वास्तव में चिंता का विषय है।
केंद्र सरकार की ओर से टीके उपलब्ध कराने और दिशा निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। बीते शनिवार को प्रदेश में कोरोना से संक्रमित 37 नए रोगी मिले हैं। इसमें गौतम बुद्ध नगर में 12, लखनऊ में 6, सहारनपुर में 5, ललितपुर में 4, व मेरठ में 3 मरीज मिले हैं। गौरतलब है कि कोरोना के जो कुल 184 केस हैं उसमें सर्वाधिक 38 गौतम बुद्ध नगर और 36 गाजियाबाद में हैं।