Tuesday, September 17, 2024
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आस्था के नाम पर गंगा मेले में भ्रष्टाचार हावी

  • सात स्वीकृत स्नान घाट, मौके पर महज तीन, जानकारी के बाद भी जिम्मेदार मौन
  • स्वीकृत एक किलोमीटर बैरिकेडिंग रह गई आधा किलोमीटर से भी कम

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: भ्रष्टाचार इस पूरे तंत्र पर इस तरह हावी हो गई है कि अब धार्मिक आस्था भी भ्रष्टाचार के दंश से बच नहीं पा रही है। जिला पंचायत के तत्वावधान में मखदूमपुर गंगा घाट पर आयोजित होने वाली कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले भी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। आस्था के नाम पर जिला पंचायत ने 49 लाख के बजट जारी तो कर दिया,

लेकिन मेला उद्घाटन से पूर्व बजट धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। जिसके चलते मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को परेशनी झेलनी पड़ेगी। आस्था के नाम पर हुए खिलवाड़ पर हर कोई चुप नजर आता है। वहीं, सहायक अभियंता की कथनी भी धरातल पर बजट के साथ खिलवाड़ करती नजर आ रही है।

बता दे कि जिला पंचायत के तत्वावधान में कार्तिक पूर्णिमा मखदूमपुर गंगा घाट पर प्रतिवर्ष हिन्दू धर्म की आस्था का प्रतीक कहे जाने वाले गंगा मेले का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए जिला पंचायत लाखों का बजट खर्च करती है। जिसके चलते मेरठ और आसपास के जनपद से आने वाले लाखों श्रद्धालु गंगा किनारे डेरा जमाकर पितृों की आत्मा शांति के दीपदान कर गंगा में स्नान करते हैं।

हिन्दू धर्म की आस्था को देखते हुए जिला पंचायत ने इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले पर 49 लाखों रुपये का मोटा बजट खर्च किया, लेकिन बजट धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा। आस्था के इस मेले में हर और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जहां मेले में बनाई जाने वाली अस्थाई सड़कों के लिए जंगली जीवों के रहवास उजाड़ दिये गए हैं। वहीं, मेले में आने वाली महिला श्रद्धालुओं के बनाये जाने वाले सात चेंजिंग रूमों में से चार का उद्घाटन से पूर्व तक कोई अता पता ही नहीं है। आस्था के नाम पर होने वाला यह खिलवाड़ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की समझ से परे है।

बैरिकेडिंग घटकर रह गई आधा किलोमीटर

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कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले के दौरान श्रद्धालुओं के स्नान को सकुशल संपन्न करने के लिए जिला पंचायत द्वारा गहरे पानी से पहले बैरिकेडिंग की जाती है। अधिकारियों की माने तो प्रतिवर्ष मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए लगभग एक किलोमीटर बैरिकेडिंग की जाती है। जिला पंचायत में इस बार भी टेंडर में एक किलोमीटर बैरिकेडिंग किए जाने की बात कही, लेकिन निर्वाण सिंह कंपनी ने महल 500 मीटर बैरिकेडिंग कर इतिश्री कर ली।

भ्रष्टाचार के खेल पर अधिकारी मौन

मेले में होने वाले भ्रष्टाचार के इस खेल पर जिला पंचायत के तमाम अधिकारी मौन है। वहीं, मेले में बनाई गई अस्थाई सड़कों का हाल भी भ्रष्टाचार से दूर नहीं है। जिला पंचायत में आठ किलोमीटर अस्थाई सड़कों के निर्माण का टेंडर छोड़ा गया था, लेकिन मौके पर अस्थाई सड़कों का हाल बेहद कम है। जिसके चलते श्रद्धालुओं के वाहन गंगा की रेती से कैसे गुजरेंगे कह पाना मुश्किल है।

क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी

जिला पंचायत के सहायक अभियंता अखिलेश कुमार की कथनी एकदम हास्यस्पद नजर आती है अधिशासी अभियंता का कहना है कि बैरिकेडिंग काम नहीं है। बैरिकेडिंग का बजट किसी अन्य कार्य में लगा दिया गया। जब कार्य के बारे में पूछा गया तो सहायक अभियंता ने चुप्पी साध ली।

पत्रकार बताएं समस्या तो किया जाएगा निवारण

प्रेसवार्ता के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी का पूछे गए सवालों पर कहना था कि समस्या लिखित में दी जाए, जल्दी टीम के द्वारा निवारण कर दिया जाएगा।

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