- संग्रह अमीनों ने वीआईपी की रसोई पर निजी जेब से खर्च करने का किया था दावा, उठाया सवाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सर्किट हाउस में वीआईपी की रसोई को लेकर भ्रष्टाचार पर बवाल मच गया हैं। संग्रह अमीनों ने वीआईपी की रसोई पर अपनी निजी जेब से खर्च करने का दावा किया हैं, जबकि सरकार से मिले तीन लाख रुपये कहां गए? इस पर संग्रह अमीनों ने सवाल उठा दिया हैं। अब भ्रष्टाचार का यह मामला डीएम के दरबार में पहुंच गया हैं। डीएम ने संग्रह अमीनों को बुलाकर उनका पक्ष सुना। संग्रह अमीनों ने तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सर्किट हाउस में वीआईपी रुकते हैं। वीआईपी की रसोई की जिम्मेदारी तहसील के संग्रह अमीनों के सुपुर्द हैं। रसोई पर जितना भी खर्च होगा, उसका खर्च संग्रह अमीन उठाते हैं, जिसका बिल बनाकर तहसीलदार को बाद में सौंपा जाता हैं। इसके बाद ही सरकार से इसका भुगतान होता हैं। वीआईपी की रसोई पर जो भी खर्च हुआ, उसकी तीन लाख की धनराशि को लेकर बवाल मच गया हैं।
यह धनराशि विधानसभा चुनाव के दौरान की हैं। इसका भुगतान चुनाव आयोग की तरफ से तहसील में आ गया, ऐसा दावा संग्रह अमीन कर रहे हैं। इस धनराशि को तहसीलदार ने गटक भी लिया। ऐसा आरोप लग रहा हैं। भ्रष्टाचार हुआ हैं, ऐसा आरोप लग रहा हैं। हालांकि इसकी डीएम जांच करा रहे हैं, जिसके बाद ही स्पष्ट होगा कि भ्रष्टाचार कितने रुपये का हुआ। फिलहाल तो तीन लाख का मामला सामने आ रहा हैं। यह खर्च संग्रह अमीनों की निजी जेब से किया गया था। करीब तीन लाख वीआईपी की रसोई पर चुनाव के दौरान आवभगत पर खर्च हुआ।
यह खर्चा संग्रह अमीनों को मिलना था, लेकिन अकेले तहसीलदार तीन डकार गए। अब इस धनराशि की मांग संग्रह अमीनों ने तहसीलदार से की तो उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया गया। तीन संग्रह अमीनों को सस्पेंड किया गया तो कई के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया गया। जब पानी सिर के ऊपर बहने लगा तो तमाम संग्रह अमीन उत्तर प्रदेश राजस्व संग्रह अमीन संघ के तत्वाधान में सोमवार की सुबह डीएम दीपक मीणा से मिलने पहुंचे। संग्रह अमीनों ने डीएम को अपना मांग पत्र दिया, जिसमें तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद को भ्रष्टाचार के सवाल पर कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया।
संग्रह अमीनों का गंभीर आरोप यह था कि विधानसभा चुनाव में जो वीआईपी के खानपान और अन्य खर्च संग्रह अमीनों ने निजी जेब से खर्च किया था, वह करीब तीन लाख खर्चा आया था। इसका हिसाब किताब बनाकर संग्रह अमीनों ने तहसीलदार को सौंपा था। तहसीलदार ने इसका बिल बना कर चुनाव आयोग को भी भेज दिया। यही नहीं, चुनाव आयोग से तीन लाख का भुगतान भी हो गया, जो संग्रह अमीनों को मिलना चाहिए था, वह तहसीलदार की जेब में चला गया। ऐसा आरोप संग्रह अमीनों ने डीएम को दिए शिकायती पत्र में लगाया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि संग्रह अमीनों को जब इस बात का पता लगा की तहसीलदार ने तीन लाख रुपये हड़प लिए हैं, जो उन्हें मिलने चाहिए थे। इसके बाद संग्रह अमीनों ने तहसीलदार पर दबाव बनाना शुरू किया कि उनकी निजी जेब से खर्च हुई धनराशि को दिलाया जाए। संग्रह अमीनों ने जैसे ही तहसीलदार पर दबाव बनाया वैसे ही तहसीलदार ने संग्रह अमीनों का उत्पीड़न आरंभ कर दिया। डीएम ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराने का आश्वासन संग्रह अमीन को दिया हैडीएम से मिलने वालों में जिला संयोजक मनोज गुप्ता जिला सह संयोजक धर्मेंद्र कुमार व अन्य संग्रह अमीन मौजूद रहे।
तीन अमीनों को किया सस्पेंड
तहसीलदार ने तीन संग्रह अमीन मनोज गुप्ता, राज सिंह और विक्रम सिंह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया था। क्योंकि शहरी अमीन 12 है, जिनकी जिम्मेदारी सर्किट हाउस में वीआईपी की देखने की होती है। अब जो भी वीआईपी पर आए खर्च को लेकर भ्रष्टाचार ने सनसनी पैदा कर दी है। निलंबन को लेकर भी संग्रह अमीनों ने डीएम से मिलकर अपनी बात रखी हैं, ताकि इसमें कोई समाधान हो सके।
आज से हो सकता है कार्य बहिष्कार का ऐलान
प्रदेश अमीन संघ के पदाधिकारी मंगलवार से तहसीलदार के खिलाफ कार्य बेहिष्कार का ऐलान कर सकते हैं। क्योंकि संग्रह अमीनों की सोमवार को बैठक चली, जिसमें कार्य बहिष्कार करने का भी निर्णय पर चर्चा हुई। इसमें डीएम हस्ताक्षेप कर तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते है तो मंगलवार को संग्रह अमीन कार्य बहिष्कार का ऐलान करेंगे।
अभी तीन लाख रुपये नहीं आये। संग्रह अमीन गलत बता रहे हैं। तीन संग्रह अमीनों का निलंबन राजस्व वसूली नहीं करने पर किया गया हैं। वीआईपी की देख-रेख से इसका कोई मतलब नहीं हैं।
फिर राजस्व वसूली के लिए दबाव बनाया जाएगा। लक्ष्य भी पूरा करना हैं। उन पर लगाये जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप गलत हैं।
-रामेश्वर प्रसाद, तहसीलदार, सदर (मेरठ)