- गर्मी में कान्हा उपवन में गोवंश के हाल-बेहाल
- खाने को मिल रहा सूखा चारा, देखभाल भी नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अगर आपको गर्मी लग रही है तो आप छांव में बैठने का इंतजाम कर सकते हैं। हवा नहीं है, तो ऐसी जगह तलाश कर सकते हैं, जहां आपको भरपूर हवा मिले, लेकिन उन निरीह पशुओं के बारे में भी जरा सोचकर देखिये। जिन्हें आपने कैद तो कर दिया है, लेकिन अब उनकी सुध लेना आपको गवारा नहीं है। जी हां, बढ़ते तापमान में जहां आम आदमी गर्मी से बिलबिला रहा है। वहीं, कान्हा उपवन में नगर निगम द्वारा बनाई गई गोशाला बदहाल है। यहां गर्मी से तपते टीन शेड के नीचे गोवंश गर्मी से बेहाल है। पीने को पानी मिल भी रहा है तो वह भी गर्म। उपर से खाने को मिल रहा है तो सूखा चारा। बड़ी दिक्कत तो यह है कि जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी आंखे मूंद रहे हैं।
भाजपा सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में सबसे मुख्य सड़कों पर बेसहारा घूम रहे आवारा गोवंश को प्रश्रय देना है। इसके लिए नगर निगम के माध्यम से परतापुर बराल में कान्हा उपवन के नाम से गोशाला बनाई गई है। जहां नगर निगम सीमा में आवारा घूम रहे गोवंश को ले जाकर उनकी सुध लेना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रमुख प्राथमिकता को जानते हुए भी अधिकारियों ने शुरू में तो कान्हा उपवन में इंतजामों पर बराबर नजर रखी, लेकिन अब फिर पुराना ढर्रा अपना लिया गया है।
कान्हा उपवन में एक बड़ी समस्या यह भी हो रही है कि यहां सफाई के पर्याप्त इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं। गोवंश के गोबर करने पर उसे ऐसे ही पानी चलाकर नालियों में बहा दिया जाता है। इसका नतीजा यह निकलता है कि पहले से ही चॉक यहां की नालियां गोबर भर जाने से पूरी तरह जाम हो जाती हैं। फिर उसमें से उठता बदबू का भभका यहां रहना मुश्किल कर देता है। लेकिन बेजुबान ऐसे में ही रहने को विवश हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गोवंशों के पानी पीने के लिए हौज बनाई गई हैं।
खाने के लिए दिया जा रहा सूखा चारा
बेसहारा गोवंशों का तो हाल बेहाल है, लेकिन कान्हा उपवन में भी गोवंश के कुछ बेहतर हालात नहीं हैं। एक तो प्रचंड गर्मी। इससे राहत के कोई खास इंतजाम नहीं और खाने को सिर्फ सूखा भूसा। ऐसे में गोवंश बीमार हो रहे हैं। सूखा चारा कई बार तो ऐसा हो जाता है कि पशु भूखा होने की वजह से भी सिर्फ सूखा भूस ही होने की वजह से उसको खा नहीं पाता है। कान्हा उपवन में कार्यरत स्टाफ जब इस सूखे चारे में पानी मिला देता है तो पशु उस नर्म चारे को आसानी से खाने लगता है।
एक गोवंश के भरण पोषण को 30 रुपये
सरकार से एक गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलते हैं। अब खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि महंगाई में महज 30 रुपये में एक पशु का पेट किस प्रकार से भरा जा सकता होगा। सबसे कमाल की बात तो यह है कि यदि ईमानदारी से 30 रुपये भी खर्च किये जायें तब भी पशुओं के मुंह कुछ चारा लग सकता है। पर ऐसा भी नहीं हो रहा।
पंखे हैं, लेकिन अधिकांशत: हैं खराब
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम के निर्देशन में चलाई जा रही कान्हा उपवन में गोवंश के लिए पंखे लगाये तो गये हैं, लेकिन इनमें से कई पंखे खराब पड़े हैं। धूल मिट्टी व भूसे से यह पंखे भरे पड़े हैं। इनकी मरम्मत कराने के लिए भी किसी को सुध नहीं है।