Tuesday, July 9, 2024
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पहले दिन मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

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  • गूंजे जयकारे, आज की जाएगी मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना की पाबंदियां पूरी तरह से खत्म हुई और पूरे दो साल बाद भक्तों ने शहर के प्रमुख मंदिरों में माता रानी के दर्शन कर अराधना की। नवरात्र का उल्लास शनिवार से शुरु हो गया है। सुबह घट स्थापना के साथ ही माता के जयकारें गूंजने लगे। नवमी तिथि 10 अप्रैल को मनाई जाएगी।

बता दें कि चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन श्रद्धा, आस्था व भक्ति की त्रिवेणी में श्रद्धालुओं ने गोते लगाए। मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतारें लगीं। हाथ में पूजा का थाल व मुंह पर मास्क लगाए श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा करते रहे। दो साल बाद मंदिरों में मेले जैसा माहौल रहा। उधर श्रद्धालुओं ने घर पर भी घट स्थापना कर माता का गुणगान किया।

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मनसा देवी मंदिर कालिया गढ़ी में मां भगवती के प्रथम दिव्य स्वरूप मां शैलपुत्री की भक्तिभाव से आराधना हुई। पंडित भगवत गिरी ने माता का शृंगार कर महिमा बताई। गोल मंदिर में पंडित राम नारायण शर्मा ने माता का भव्य शृंगार कर पूजन किया। सुबह से मंदिर में भक्ति व आस्था का संगम हुआ। न्यू मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर महादेव मंदिर में भक्ति भाव के साथ माता के प्रथम दिव्य स्वरूप की आराधना की गई।

मुख्य पुजारी पंडित श्रवण कुमार झा ने हवन यज्ञ कर माता का आह्वान किया। वही सदर काली माई मंदिर में तड़के से श्रद्धालुओं की कतारें लगी। मुख्य पुजारी सोंकेत बनर्जी ने माता का शृंगार कर आरती की। औघड़नाथ मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बच्चा पार्क स्थित कंठी माता मंदिर में पंडित दिनेश नौटियाल ने माता के दिव्य स्वरूप की आराधना की और पूजन कराया।

दो साल बाद पहले की तरह लगने वाला मेला शनिवार को मनसा देवी, गोल मंदिर व कंठी माता मंदिर पर लगा। ऐसे ही झारखंडी महादेव मंदिर नगर निगम परिसर, भोलेश्वर मंदिर नई सड़क, सती मंदिर सूरजकुंड, बाबा मनोहर नाथ मंदिर सूरजकुंड, चंडी देवी मंदिर व दुर्गा मंदिर नौचंदी ग्राउंड में भी माता का पूजन किया गया।

आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्यो में सदैव विजय प्राप्त होती है। ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था।

नारद जी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया था। ताकि वह भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी और तपश्वारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की अराधना के दौरान उन्होंने केवल फल और फूलों का ही सेवन किया।

मां मंशा देवी करती है मुरादें पूरी, झोलियां भरकर जाते हैं भक्त

मान्यता है कि मां मंशा देवी अपने दरबार में आने वाले भक्तों की मुरादें जरूर पूरी करती है। मंशा देवी के दर्शन और मन्नत मांगने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। गढ़ रोड स्थित मेडिकल कॉलेज के सामने जागृति विहार में मां मंशा देवी का मंदिर है। मंशा देवी के प्रांगण में शिव परिवार, दुर्गा माता, मंशा माता, संतोषी माता और राम भक्त यानि पांच दरबार स्थित है।

यह एक प्राचीन सिद्ध पीठ मंदिर है। प्रत्येक रविवार को मंदिर परिसर में मेला लगता है और दूर-दूर से लोग आकर हलवा और प्रसाद का भोग लगाते हैं। यहां प्राचीनकाल से मां की अराधना कर जन-जन का आत्म कल्याण होता रहा है। लोगों का कहना है कि यह मंदिर आजादी से पहले का है। यानि की यह मंदिर 200 साल पुराना है। इस मंदिर को मरघट वाली माता का मंदिर भी कहा जाता है।

कभी इस मंदिर के आसपास बाग और जंगल हुआ करता था और मंदिर के पास ही श्मशान घाट था। मंदिर की मान्यता है कि मां किसी को भी खाली हाथ नहीं लोटने देती है। मंदिर पुजारी भगवत गिरी ने बताया कि मंदिर की खासियत है कि यहां नवरात्र के दौरान पूरे 9 दिन नौ देवी के रुपों के दर्शन कराए जाते हैं। शनिवार को मां नीला या काला चोला, रविवार को लाल रंग और सोमवार को सफेद, मंगलवार को नारंगी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला और शुक्रवार को जामुनी रंग का चोला धारण करती है।

वहीं मंदिर की खासियत है कि मंदिर की दीवार पर अपनी मुराद लिखने से मन्नत जल्द पूरी होती है। इसलिए लोग यहां अपनी मुराद भी लिखते है। नवरात्र के नौ दिन मां का अलग-अलग शृंगार किया जाता है और हवन भी होता है। रात्रि के दौरान मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

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