Saturday, May 10, 2025
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शादी का पंजीकृत कराने वालों की भीड़

  • अनिवार्य किए जाने के बाद बढ़ रही भीड़, जुलाई माह तक ढाई हजार और 2022 में 4105 शादियां हुई पंजीकृत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ऐसे तमाम प्रकरण जहां पति-पत्नी को अपनी शादी के दस्तावेज लगाने हों, उनके लिए वर्ष 2017 से शादी को पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इस आदेश के लागू होने के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय में शादियों को रजिस्टर्ड कराने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

मेरठ कार्यालय से लिी जानकारी के अनुसार जनवरी से जुलाई माह तक मेरठ जनपद के समस्त छह सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में 2500 से अधिक शादियां पंजीकृत कराई गई हैं। वर्ष 2022 में 4105 शादियां मेरठ जनपद में रजिस्टर्ड कराई गई हैं। जबकि वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 3426 रहा है।

दरअसल, वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर अधिष्ठापित विवाहों के पंजीकरण को अनिवार्य करने के लिए धर्म को दृष्टि में लाए बगैर हर शादी को पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना में नियमावली का नाम उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली-2017 दिया गया है।

इस नियमावली के अंतर्गत विवाह का पंजीकरण हर उस विवाह के संबंध में लागू किया गया, जो भारत में प्रचलित किसी भी धर्म में किसी भी रीति से संपन्न विवाह कराया गया हो। इस नियमावली के लागू होने के बाद संपन्न हर एक विवाह, पुनर्विवाह जहां विवाह के पक्षकारों में से कोई एक उत्तर प्रदेश राज्य का स्थायी निवासी हो, अथवा विवाह उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा के अंदर संपन्न हुआ हो।

उसका पंजीकरण कराना आवश्यक कर दिया गया है। हालांकि इसमें यह प्रावधान भी रखा गया कि अधिसूचना जारी होने से पहले होने वाले विवाह केवल इस आधार पर अवधि मान्य नहीं समझ जाएंगे जिसका इसलिए मावली के अंतर्गत पंजीकरण नहीं कराया गया है।

इसलिए जरूरी किया गया विवाह पंजीकरण

राज्य सरकार या भारत सरकार की ओर से संचालित ऐसे कार्यक्रमों योजनाओं को जिनमें वैवाहिक स्थिति की सूचना दिया जाना आवश्यक होगा। इस नियमावली के प्रारंभ होने के पश्चात संपन्न विवाह से संबंधित व्यक्ति को विवाह पंजीकरण क्रमांक भरा जाना अनिवार्य होगा।

ऐसे कराया जा सकता है पंजीकरण

विवाह के पक्षकार स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की वेबसाइट पर दिए गए प्रारूप पर या राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रारूप पर विवाह पंजीकरण के लिए आॅनलाइन आवेदन करके विवाह का पंजीकरण कर सकते हैं। आवेदन पत्र में पति एवं पत्नी के आधार कार्ड नंबर भरा जाएगा। यदि विवाह के पक्षकारों में से कोई एक भारत का नागरिक नहीं है, तो आवेदन पत्र में उसके पासपोर्ट का विवरण अंकित किया जाएगा। तथा पासपोर्ट की प्रति आवेदन के साथ अपलोड की जाएगी।

विवाह पंजीकरण के लिए ये डाक्यूमेंट जरूरी

उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 में किए गए संशोधन के अनुसार पक्षकारों की पहचान के संबंध में आधार के अतिरिक्त किसी एक अतिरिक्त पहचान पत्र को अपलोड किया जाना अनिवार्य किया गया है। जिसमें स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य अभिलेख शामिल हैं। पक्षकारों के पते के संबंध में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, राशन कार्ड, यूटिलिटी बिल, रेंट एग्रीमेंट, बैंक पासबुक, सरकार द्वारा निर्गत कोई अन्य अभिलेख अपलोड किए जा सकते हैं। पक्षकारों की आयु जन्म तिथि प्रमाण पत्र के संबंध में पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, हाईस्कूल-एसएससी प्रमाण पत्र, रजिस्ट्रार जन्म मृत्यु पंजीकरण के स्तर से जारी प्रमाण पत्र, सीएमओ के स्तर से जारी जन्मतिथि आयु प्रमाण पत्र अववश्यक किए गए हैं।

पहले एक साल में पंजीकरण कराने पर लगेगा 10 रुपये शुल्क

इस नियम के अंतर्गत पहले एक वर्ष की अवधि में होने वाले विवाह के पंजीकरण का शुल्क 10 रुपये होगा। एक वर्ष की अवधि से अधिक होने पर पंजीकरण शुल्क 50 रुपये होगा। जो 50 रुपये प्रतिवर्ष विलंब शुल्क के साथ जमा कराना अनिवार्य होगा। जिन आधार कार्ड के साथ उनके मोबाइल नंबर जुड़े हैं, उनको सत्यापन के बाद विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र आॅनलाइन जनरेट होकर आवेदक के मोबाइल पर भेज दिया जाएगा।

अनिवार्य रूप से विवाह का पंजीकरण कराने के आदेश के पीछे सरकार की मंशा स्पष्ट है कि विभिन्न मामलों में विशेषकर महिलाओं के समक्ष साक्ष्य के अभाव में अधिकारों से वंचित रहने की स्थिति बन जाती है। अनिवार्य विवाह पंजीकरण से बाल विवाह पर भी रोक लगाए जाने में मदद मिलेगी। विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र विभिन्न योजनाओं के लाभ लेने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा विशेषकर यूरोप के देशों में जाने वाले दंपतियों के लिए शादी प्रमाण पत्र एक जरूरी दस्तावेज होता है। बीते वर्षों में शादियां पंजीकृत कराने के मामलों में काफी उछाल भी आया है। -एके त्रिपाठी, सब रजिस्ट्रार चतुर्थ, सदर मेरठ

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