Sunday, June 29, 2025
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शीघ्र लाभ के लिए मटर की उन्नत किस्मों की खेती करें

KHETIBADI


मटर एक दलहनी फसल है। देश के कई राज्यों में मटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मटर का उपयोग सब्जी के साथझ्रसाथ दलहन के रूप में भी किया जाता है। अगेती मटर की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा देती है जिसके चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। सब्जी और दाल दोनों के रूप में काम आता है। मटर की शुरूआती खेती से कम समय में पर्याप्त मुनाफा होने का लाभ मिलता है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता में योगदान देता है। दलहनी फसल मटर की खेती देश में अगेती और पछेती दोनों किस्मों में की जाती है। शुरूआती मटर आमतौर पर सितंबर के अंत से अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक बोई जाती है, जबकि देर से बुआई नवंबर के अंत तक बढ़ सकती है।

मटर की खेती दोमट और हल्की दोमट मिट्टी में पनपती है, जो इसे कई क्षेत्रों के लिए अनुकूल बनाती है। किसान मटर की इन उन्नत किस्मों को सितंबर के अंत से अक्टूबर के मध्य तक लगा सकते हैं। विशेष रूप से, ये सभी किस्में केवल 50 से 60 दिनों में पक जाती हैं, जिससे किसान अगली फसलों के लिए अपने खेतों को जल्दी से खाली कर पाते हैं।

मटर की उन्नत अगेती किस्में
भारत में कृषि विश्वविद्यालयों ने विभिन्न जलवायु के अनुरूप मटर की विभिन्न किस्में विकसित की हैं। ये किस्में न केवल उच्च पैदावार देती हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदर्शित करती हैं, जिससे फसल रखरखाव लागत कम हो जाती है। मटर की कुछ उपयुक्त शुरूआती किस्मों में आजाद मटर, काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय, काशी अर्ली, पूसा प्रगति, पूसा श्री, पंत मटर-3, आर्किल और अन्य शामिल हैं। किसान अपने विशिष्ट क्षेत्र के आधार पर मटर की इन किस्मों में से चयन कर सकते हैं।

मटर की बुआई कैसे करें?
बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज जनित रोगों से बचाव के लिए मटर को 3 ग्राम मैन्कोजेब या 2 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करने की सलाह दी जाती है। अगेती किस्मों की रोपाई करते समय पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 30७6-8 सेंटीमीटर पर्याप्त होती है। खेत की तैयारी के दौरान प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किलोग्राम पोटाश के साथ-साथ 20-25 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग का प्रयोग करें।

मटर की बुवाई के लिए अक्टूबर महीना सर्वोत्तम है। मटर की अगेती किस्मों की बुवाई सितंबर महीने में करनी चाहिए। पछेती किस्मों की बुवाई नवंबर महीने के मध्य तक की जा सकती है। पहाड़ी क्षेत्रों में मटर की बुवाई के लिए मार्च से मई तक का समय उपयुक्त है।

मटर का पौधा पानी खाद की कमी के कारण ही मुरझाता है। इसलिए मटर की फसल में पर्याप्त पानी खाद का उपयोग करें। साथ ही अधिक उपज लेने के लिए नाइट्रोजन फासफोरस को उपयोग लें।


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