Wednesday, June 11, 2025
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नजरिया: दलाली की गिरफ्त में पैथोलॉजी

रोहित कौशिक

डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा गया है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज अनेक डॉक्टरों के क्रियाकलाप संदेह के घेरे में हैं। इस दौर में कई डॉक्टर पेशेवर दलाल बनकर चिकित्सा के पेशे को न सिर्फ बदनाम कर रहे हैं, बल्कि अपनी विश्वसनीयता भी खत्म कर रहे हैं। आज डॉक्टर ज्यादा लालच के चक्रव्यूह में फंस गए हैं। यही कारण है कि समाज का डॉक्टरों पर से विश्वास कम हुआ है। आज एक आम आदमी यह मानता है कि पैथोलॉजी की जांच के लिए डॉक्टर आपको जिस लैब पर भेज रहा है, वहां से वह मोटा कमीशन ले रहा है। यह मात्र आम आदमी की समझ नहीं है, बल्कि एक कटु और शर्मनाक सत्य है। इस दौर में पैथोलॉजी लैब का व्यवसाय कमीशन के आधार पर चल रहा है। न कमीशन लेने वाले डॉक्टरों को शर्म है और न कमीशन देने वाले पैैथोलॉजिस्ट को अपने पेशे की गरिमा का ध्यान है। हालांकि इस माहौल में भी अनेक डॉक्टर अपने पेशे की गरिमा बचाए हुए हैं और वे मरीजों की जांच कराने के लिए पैथोलॉजी लैब से कमीशन नहीं लेते हैं।
दरअसल, पहले चिकित्सा के पेशे में मानवीय हित सर्वोपरि था। इसलिए यह पेशा दलाली से मुक्त था। यही कारण था कि पहले डॉक्टर जानबूझकर मरीज पर आर्थिक बोझ नहीं डालता था। लेकिन धीरे-धीरे चिकित्सा के पेशे का व्यावसायीकरण होता चला गया। आज हालात ये हैं पैथोलॉजी लैब का क्षेत्र दलालों का अड्डा बन गया है। आज कई डॉक्टर, पैथोलोजी से संबन्धित जांच के लिए आपको उसी पैथोलॉजी लैब पर भेजते हंै, जहां से उन्हें मोटा कमीशन प्राप्त होता है। जाहिर है कि इस माहौल में डॉक्टर, पैथोलॉजी लैब से अधिक से अधिक कमीशन लेने के चक्कर में कुछ अनावश्यक परीक्षण भी करा लेते हैं। इसका आर्थिक बोझ पर मरीजों पर पड़ता है। डॉक्टरों ने अपने-अपने समूह बनाए हुए हैं। अगर आपने अपनी मर्जी से किसी दूसरी पैथोलॉजी लैब पर परीक्षण करा लिया तो उस परीक्षण को बड़ी ही चालाकी से गलत सिद्ध कर दिया जाता है। शमर्नाक यह है कि कई पैथोलॉजी लैब तो योग्य पैथोलॉजिस्ट के बिना ही चल रही हैं और योग्य डॉक्टर इन अवैध पैथोलॉजी लैब पर ही मरीजों को परीक्षण के लिए भेज रहे हैं।
एमबीबीएस के उपरान्त पैथोलॉजी में एमडी डिग्री प्राप्त करने पर ही डॉक्टर, पैथोलॉजी लैब खोल सकता है। ऐसे डॉक्टर को पैथोलॉजिस्ट कहा जाता है। इस क्षेत्र में एक बड़ा खेल खेला जा रहा है। कई जगहों पर लैब टेक्नोलाजी में डिप्लोमा प्राप्त टेक्नीशियन अवैध रूप से पैथोलॉजी लैब चला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से बचने के लिए ये लैब टेक्नीशियन किसी योग्य पैथोलॉजिस्ट से साठ-गांठ करके उसका बोर्ड अपनी पैथोलॉजी लैब पर लगा लेते हैं। ये लैब टेक्नीशियन ज्यादातर परीक्षण खुद ही करते हैं और फर्जी रूप से उस डॉक्टर के हस्ताक्षर करके जांच रिपोर्ट जारी कर देते हैं। पैथोलॉजी लैब योग्य डॉक्टर द्वारा संचालित की जा रही हो या फिर अवैध रूप से या लैब टेक्निीशियन द्वारा संचालित की जा रही हो, कुछ अपवादों को छोड़कर यह व्यापार पूरी तरह से कमीशन पर केंद्रित हो गया है। डॉक्टर, पैथोलॉजी लैब से 60 प्रतिशत तक कमीशन मांगते हैं। विचारणीय प्रश्न यह है कि 60 प्रतिशत कमीशन लेने और देने के बाद डॉक्टरों के अंदर कितनी नैतिकता और मानवीयता बची रह जाती है?
कई बड़े ब्रांड वाली पैथोलोजी लैब हर शहर और कस्बे में अपने कलेक्शन सेंटर खोलती हैं। दरअसल, शहरों और कस्बों के स्थानीय पैथोलॉजिस्ट सभी जांच नहीं करते हैं। एक स्थानीय पैथोलॉजिस्ट का पैथोलॉजी से संबन्धित सभी मशीन रखना और सभी जांच करना व्यावहारिक तौर पर भी संभव नहीं है। इसलिए स्थानीय पैथोलॉजिस्ट बड़े ब्रांड वाली लैब के कलेक्शन सेंटर के माध्यम से ही बड़ी और विशिष्ट जांच का नमूना (सैंपल) बाहर भेजते हैं। अगर शहरों में बड़ी लैब के कलेक्शन सेंटर न हों तो स्थानीय नागरिकों और स्थानीय पैथोलोजिस्ट के यहां आई हुर्इं बड़ी और विशिष्ट जांच संभव नहीं हो पाएंगी। इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए शहरों और कस्बों में बड़े बं्राड वाली पैथोलॉजी लैब के कलेक्शन सेंटर होना बहुत जरूरी है। बड़ी लैब के कलेक्शन सेंटर अपनी सीमित आय के चलते डॉक्टरों को या तो बहुत कम कमीशन देते हैं या फिर देते ही नहीं है। इसलिए समय-समय पर बड़ी लैबों को बदनाम करने की भी कोशिशें होती रहती हंै। इसी तरह बड़ी लैब स्थानीय स्तर पर पैथोलॉजिस्ट का एकाधिकार भी तोड़ती है। यही कारण है कि अनेक स्थानीय डॉक्टर इन बड़ी लैबों में कमियां निकालते रहते हैं। डॉक्टरों को कमीशन न दे पाने के कारण बड़े ब्रांड वाली लैब के कलेक्शन सेंटरों के व्यवसाय में अपेक्षाकृत ज्यादा ईमानदारी होती है।
इस दौर में पैथोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह जरूरी है कि बड़े ब्रांड वाली लैबों के कलेक्शन सेंटर ज्यादा से ज्यादा खोले जाएं। अब समय आ गया है सरकार, ईमानदार डॉक्टर और जनता सामूहिक रूप से पैथोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने लिए गंभीर और ठोस कदम उठाए ताकि मरीजों का शोषण रोका जा सके। सुखद यह है कि इस अंधकारपूर्ण समय में भी कुछ डॉक्टर और पैथोलॉजिस्ट समर्पण और ईमानदारी के साथ मरीजों का दु:ख दूर कर रहे हैं। शायद ऐसे डॉक्टरों की वजह से ही अभी भी चिकित्सा के पेशे की कुछ गरिमा बची हुई है। पैथोलॉजी के क्षेत्र में जमकर हो रही दलाली को रोकने के लिए डॉक्टर स्वयं अपने गिरेबान में झांककर आत्मचिंतन करें।

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