- बुखार और कमजोरी ने खड़ी कर दी थी अन्नू के सामने बड़ी चुनौती
- करीब तीन साल बाद किया उम्दा प्रदर्शन
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: हिम्मत और हौसले की मिसाल अन्नू रानी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि इंसान जिद के आगे कुछ नहीं टिकता है। एशियन गेम्स से ठीक पहले ही अन्नू रानी को बुखार ने इतना तोड़ दिया था कि महज 52 मीटर ही भाला पहुंच पा रहा था। मगर अन्नू रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वक्त की कमी के बावजूद जर्मनी जाकर न केवल दिन-रात पसीना बहाया, बल्कि अपनी कमजोरी को ताकत में बदलकर सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर विश्वभर के खिलाड़ियों को चौंका दिया।
जिस तरह अन्नू को बुखार के चलते कमजोरी का सामना करना पड़ा। किसी को नहीं लग रहा था कि देश की बेटी सोने पर भाला गाड़ देगी। मगर अन्नू ने उन सभी को गलत साबित कर दिया जो थोड़ी-सी परेशानी पर हार मान जाते हैं। इसलिए सभी कहने पर मजबूर हैं कि हिम्मत का दूसरा नाम अन्नू रानी है। तीन साल की तपस्या के बाद अन्नू ने आखिरकार एक शानदार रिकॉर्ड कायम कर दिया।
मेरठ के बहादरपुर गांव में किसान के घर जन्मी एथलीट अन्नू रानी ने देश को कई इंटरनेशनल मेडल देकर तिरंगे का मान बढ़ाया है। वर्ष 2022 में ही अन्नू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक देश के नाम किया था। मगर अन्नू यहां रुकने वालों में से नहीं है। अपनी मेहनत और साधना से अन्नू को आगे बढ़ने के अलावा कुछ नहीं दिखता है। करीब तीन साल से अन्नू रानी तपस्या कर रही थी। अन्नू रानी वो लक्ष्य नहीं साथ पा रही थी, जिसका सपना आंखों में मचल रहा था।
परिवार भी लगातार अन्नू की हिम्मत का सारथी बना रहा। इस बीच कई बार ऐसा मोड़ आया कि अन्नू को लगा अब बस हो गया, लेकिन अन्नू चुनौतियों के सामने कभी नहीं झुकी। अन्नू के पिता अमरपाल बताते हैं। कुछ दिन पहले ही अन्नू को कई दिन बुखार रहा। बुखार के कारण अन्नू को शारीरिक रूप से काफी कमजोरी आ गई थी। हालत यहां तक पहुंच गई थी कि भाला 52 मीटर से आगे नहीं जा रहा था। सभी को एक मायूसी होने लगी थी कि एशियन गेम्स सिर पर हैं। ऐसे में मेडल का सपना कैसे पूरा होगा।
मगर अन्नू रानी ने अपनी कमजोरी को हौसला बनाया। जर्मनी में करीब दो महीने तक दिन-रात पसाना बहाया और खुद को मेडल के लिए तैयार किया। मंगलवार को वह घड़ी भी आ गई, जब अन्नू को मेडल जीतना था। शुरुआती चार प्रयास अन्नू रानी के कोई खास नहीं रहे। मगर देश की बेटी ने पांचवें प्रयास में 62.92 मीटर भाला फेंककर न केवल गोल्ड मेडल भारत को दिया। बल्कि यह साबित कर दिया है कि हौंसलों के आगे चुनौती कोई मायने नहीं रखती हैं।
अन्नू रानी ने जब अपने भाई को वीडियो कॉल की तो मेडल की सूचना देते समय भावुक हो गई। बड़े भाई ने भी अन्नू को खूब आशीर्वाद दिया। भले ही अन्नू ने चंद सेकेंड में मेडल अपने नाम कर लिया। मगर इसके पीछे साल की वो रातें है जिनमें मेडल के सपनों ने अन्नू को सोने नहीं दिया। आज अन्नू की सफलता पर पूरे देश को गर्व हो रहा है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और तमाम सखसियत अन्नू रानी को सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दे रही हैं।
वीडियो कॉल पर भावुक हुई अन्नू
मेडल की घोषणा होते ही अन्नू रानी ने सबसे पहला कॉले अपने भाई और शुरुआती कोच उपेंद्र सिंह को किया। अन्नू ने वीडियो कॉल करते हुए सफलता की सूचना दी। इसी बीच अन्नू रानी भाई के सामने भावुक हो गई। भाई ने भी अन्नू रानी को खूब आशीर्वाद दिया।