- अन्नू के घर लगी बधाई देने वालों की भीड़, परिवार में जश्न का माहौल
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: चीन के एशियन गेम्स में अन्नू रानी ने गोल्ड मेडल जीतकर देश की दिवाली सुनहरी कर दी है। अन्नू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड पर भाला गाड़ा तो पूरे देश से लेकर मेरठ जश्न में डूब गया। मेडल जीतते ही रात में अन्नू के घर बधाई देने वालो की भीड़ जमा हो गई। ढोल नगाड़ों के साथ मिठाई बांटने का दौर शुरू हुआ। अन्नू के परिवार को बधाई देने वालों की देर रात तक भीड़ लगी रही। अन्नू के परिजन व गांव के लोग इस उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे थे। परिवार की महिलाओं ने दीपक जलाकर जश्न मनाया। गौर्वांवित मां बोली अन्नू ने दिवाली से पहले ही दिवाली मनवा दी। आज पूरा देश अन्नू पर गर्व कर रहा है।
एशियन गेम्स के 10वें दिन मंगलवार की शाम को अन्नू ने प्रदर्शन किया। शुरूआती चार प्रयास निराशाजनक रहे। मगर पांचवे प्रयास में अन्नू ने सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 62.92 मीटर भाला फेंका और देश की झोली में गोल्ड मेडल डाला। अन्नू की बारी आने से पहले ही परिजन और ग्रामीण टीवी से मानो चिपक गए। गोल्ड मेडल की घोषणा होते ही सभी खुशी से झूम उठे। मीडिया के साथ तमाम लोगों की भीड़ अन्नू के घर पहुंच गई। देर रात तक अन्नू के परिवार को बधाई देने वालों का तांता उनके घर लगा रहा।
बहादरपुर के साथ ही पूरे क्षेत्र के लोगों का यही कहना था कि उन्हें अन्नू रानी पर गर्व है। जिसने देश का मान बढ़ाया है। अन्नू के परिवार ने दीपक जलाकर दिवाली मनाई। अन्नू की मां ने कहा कि बेटी ने सीना गर्व से बढ़ा कर दिया है। अन्नू रानी के पिता अमरपाल सिंह भी इस ऐतिहासिक घड़ी पर भावुक हो उठे। पूरे कॅरियर में अन्नू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले भाई उपेंद्र सिंह भी इस गौर्वांवित घड़ी में भावुक होते नजर आए। सबसे पहला फोन अन्नू रानी ने अपने भाई उपेंद्र को किया और खुशी साझा की।
परिवार को था पूरा विश्वास
अन्नू रानी के परिवार को पूरा विश्वास था कि इस बार वह एशियन गेम्स में मेडल जरूर जीतकर लौटेगी। अन्नू के पिता अमरपाल कहते हैं कि पूरा परिवार और गांव भगवान से प्रार्थना कर रहा था और सभी को विश्वास था कि अन्नू मेडल जीतेगी। सभी की दुआ अन्नू रानी के काम आई। देश की जनता की दुआ से ही आज अन्नू मेडल जीत सकी है।
विश्व पटल पर चमक रहा खेतों में ‘गढ़ा’ सितारा
क्रांतिधरा के बहादरपुर गांव में किसान के घर जन्मी जैवलिन थ्रो अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अन्नू रानी का शिखर तक पहुंचने का सफर बेहत संघर्ष पूर्ण और युवाओं के लिए एक इबारत लिखने वाला रहा है। बचपन से ही जैवलिन की दीवानी रही अन्नू पर हमेशा जीत हासिल करने की धुन सवार रही है। संसाधनों का अभाव और सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने के बाद भी अन्नू का हौसला कम होने के बजाये दिन पर दिन बढ़ता गया।
अन्नू ने अपने हौसले को हथियार बनाया और एशियाई गेम्स के बाद कॉमनवेल्थ में न केवल जगह पाई, बल्कि देश को कांस्य पदक दिलाकर इतिहास रच दिया। वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी अपनी जगह बनाकर अन्नू ने तिरंगे को विश्व के सामने ऊंचा किया है। आइये जानते है कि किस तरह खेतों में बांस की जैवलिन को साधना के रूप में अपनाते हुए अन्नू चौधरी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में इतिहास रचने तक का सफर तय किया।
अन्नू रानी का जन्म मेरठ जिले के बहादरपुर गांव निवासी किसान अमरपाल सिंह के घर हुआ। अन्नू रानी का रुझान शुरू से ही एथलेटिक्स गैम्स के प्रति रहा है। बचपन में अन्नू पिता के साथ खेतों पर जाती और बांस की जैवलिन से निशाने साधती। शुरू में अन्नु को परिवार की ओर से साथ नहीं मिला। मगर बाद में पिता ने उसके हुनर को पहचाना और अन्नू को हीरा बनने के लिए तराशने में पूरा सहयोग किया। पिता खेतों में हल चलाते और अन्नू अपनी धुन में जैवलिन की साधना करती। वर्ष 2009 से दबथुवा इंटर कॉलेज के शिक्षक धर्मपाल सिंह की देखरेख में अन्नू ने तीन खेल डिस्कस, जैवलिन और शाट पुट में किस्मत आजमाई।
कहते हैं कि प्रतिभा को शिखर तक पहुंचाने के लिए रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। अन्नू रानी के साथ भी यही हुआ। धर्मपाल ने उसकी प्रतिभा को पचहानते हुए जैवलिन पर लाकर अन्नू को खड़ा कर दिया। समय का चक्र चला तो पूर्व नेशनल एथलीट दीपक और कैलाश प्रकाश स्टेडियम के कोच बीके बाजपेयी ने अन्नू के हुनर को तराशने का काम किया। इसके बाद तो फिर गोल्डन गर्ल ने जीत की रफ्तार पकड़ ली। नार्थ जॉन, इंटर जॉन, सीनियर नेशनल, नेशनल आॅपन स्टेट, आॅल इंडिया यूनिवर्सिटी, सिंगापुर, चीन, एशियन गेम्स में कांस्य पदक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में जगह बनाने के साथ ही ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी का खिताब अपने नाम किया।
इसके अलावा यूथ एशियन स्पर्धा के साथ न जाने कितने गोल्ड मेडल को अपने और देश की झोली में डाला। पिछले कुछ दिन से अन्नू पटियाला में अपने हुनर को निखारने में पसीना बहा रही है। इसी बीच अन्नू ने लखनऊ में सीनियर इंटर स्टेट प्रतियोगिता में जीत का ऐसा जैवलिन साधा कि 14 साल से कोई न पार करने वाले रिकॉर्ड को एक ही झटके में तोड़कर इतिहास रच दिया। इसी तरह किसान की बेटी अन्नू चौधरी ने खेतों से कॉमनवेल्थ गेम्स में हाथ आजमाने के बाद बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बनाई, बल्कि देश को कांस्य पदक का तोहफा भी दिया। काबिले तारीफ यह है कि नेशनल चैंपियन बनने तक के इस सफर में सरकार की ओर से अन्नू रानी की कोई मदद नहीं की गई। बावजूद इसके अन्नू रानी दूसरे देशों में जाकर भारत का गौरव बढ़ा रही है।
मेडलों की रानी अन्नू
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अन्नू रानी को मेडलों की रानी भी कहा जा सकता है। क्योंकि अन्नू ने इतनी जीत दर्ज की कि उसे खुद भी याद नहीं होगा कि कितने मेडल देश के दामन में डाल चुकी है। अन्नू रानी ने वर्ष 2010 में जूनियर फेडरेशन में मोल्ड मेडल जीता। 2011 से 13 तक लगातार तीन पदक झटके। इसी बीच 2012 में हैदराबाद में खेली गई 52वीं नेशनल इंटर स्टेट में गोल्ड जीता, सिंगापुर में 2012 में खेली गई 72वीं ओपन टैÑक एंड फील्ड में गोल्ड, चेन्नई में 52वीं नेशनल ओपन में गोल्ड, सीनियर फेडरेशन गेम्स में कांस्य, नेशनल इंटर स्टेट 2013 में रजत, एशियन गेम्स 2014 में कांस्य पदक, 2017 में एशियन एथलेटिक्स गेम्स में कांस्य पदक, 2022 में कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करने के अलावा दर्जनों मेडल अपने नाम किए। आज एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर नया कीर्तिमान खड़ा कर दिया।