- गणतंत्र दिवस पर इसके उद्घाटन की बनी थी योजना मगर अब यह योजना टली
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे अब फरवरी तक पूरा होगा। इसकी डेड लाइन एनएचएआई ने कार्यदायी संस्था के लिए जारी की है। हालांकि हाधी-अधूरी तैयारियों के बीच पहले गणतंत्र दिवस पर इसके उद्घाटन करने की योजना थी, मगर अब यह योजना टल गई है। सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी एक्सप्रेस-वे का दौरा कर वास्तविकता जान चुके हैं। क्योंकि परतापुर बाइपास पर लूप का निर्माण तो चल रहा है, जिसमें अभी समय लगेगा। इसके अलावा डासना में भी काम अधूरा हैं।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर ही एनएचएआई की गाजियाबाद शाखा ने पूरा फोकस कर रखा है। रात-दिन काम चल रहा था, मगर ठंड ज्यादा पड़ रही है, जिसके चलते रात में काम नहीं हो पा रहा है। अभी मिट्टी का काम भी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में कंकरीट के काम किया जाएगा, जिसमें काफी तेजी लाने की आवश्यकता है। परतापुर बाइपास पर जो लूप बनाया जा रहा है, उसमें अभी मिट्टी का काम ही चल रहा है।
मिट्टी का काम भी टुकड़ों में हो रहा हैं, जिसके चलते पूरा काम ही पीछे खिसकता दिख रहा हैं। मिट्टी का काम पूरा होने के बाद ही कंकरीट का काम चलेगा, उसके बाद ही काली सड़क बनेगी। अभी एनएचएआई के अधिकारियों ने कार्यदायी संस्था को डेड लाइन जारी की है, जिसमें फरवरी माह में काम पूरा करने के लिए कहा गया है,ताकि इसके बाद एक्सप्रेस-वे का विधिवत रूप से उद्घाटन किया जा सके।
32 किमी के इस दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो पा रहा है। छह वर्ष पहले इसका निर्माण कार्य आरंभ किया गया था, लेकिन तब से निर्माण पूरा नहीं हो पा रहा है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे ऐसा है, जो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के कार्यकाल में ही पूरा कर दिया था,जो तीन सौ किलोमीटर से भी लंबा है, मगर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का काम पूरा नहीं हो पा रहा है, यदि इसकी लंबाई ज्यादा रही होती तो एक दशक भी बीत सकता था।
इतना तब है जब भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल या फिर अन्य भाजपा नेता भी निर्माण को तेजी से कराने के लिए लगातार फोकस कर रहे हैं,फिर भी निर्माण की डेड लाइन हर बार ढ़ा दी जाती है। अब तक दस बार इसके निर्माण पूरा करने की डेड लाइन तय की जा चुकी हैं।
खनन को लेकर कर ली आंखें बंद
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण में प्रयोग की जा रही मिट्टी कहां से आ रही हैं? इसके लिए अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई। फिर ऐसी दशा में कहां से खनन किया जा रहा हैं? खनन करने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? खनन छह से सात फुट गहरा किसानों के खेतों में किया जा रहा हैं।
इसकी शिकायत काशी व अन्य गांव के लोगों ने प्रशासन से की हैं, मगर ठेकेदार मिट्टी खनन की अनुमति नहीं दिखा पा रहा हैं। प्रशासन ने भी मिट्टी खनन के सवाल पर अपनी आंखें मूंद ली हैं। आम आदमी ने मिट्टी खनन किया होता तो उसमें जुर्माना बनाकर कार्रवाई करने में प्रशासन तनिक देर नहीं लगाता, लेकिन यहां मामला एक्सप्रेस-वे से जुड़ा हैं, इसलिए भी प्रशासन ठेकेदार पर खास मेहरबान बना हुआ हैं।