Friday, July 11, 2025
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फिरोजाबाद में डेंगू ने मासूमों की ली जान, मातम से सहमी सुहागनगरी

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: फिरोजाबाद: नगला कमान में सूनी पड़ी गली नगला अमान की गलियां सूनी पड़ी हैं। चौपाल पर इक्का-दुक्का लोग बैठे हैं। जिस नीम के पेड़ के नीचे ठहाके लगते थे, आज मातम पसरा हुआ है। घरों के आंगन सूने पड़े हैं। घरों में बच्चों की किलकारियां नहीं, उनकी दर्द भरी आहें सुनाई दे रही हैं।

उन्हें ग्लूकोज की बोतलें चढ़ रही हैं। नन्हीं सी जानों के जिस्म को सुइयों ने घायल कर दिया है। यह वही गांव है, जहां डेंगू से पहली मौत हुई थी। इसके बाद इस जानलेवा बीमारी ने पूरे जिले को अपनी चपेट में ले लिया।
जिला मुख्यालय से सात किमी दूर है नगला अमान।

14 अगस्त को यहां शिवनंदन नाम के व्यक्ति की मौत हुई थी। तेज बुखार के चलते उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

उसकी मौत के बाद डेंगू की पुष्टि हुई। शिवनंदन की मौत के बाद अब तक इस गांव में आठ लोग दम तोड़ चुके हैं। जिनमें विमलेश, रामनिवास, नेहा, कामना आदि शामिल हैं। ये सभी लोग डेंगू और वायरल की चपेट में आए थे।

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आज भी गांव का ऐसा कोई घर नहीं, जहां लोग बीमार न पड़े हों। सर्वाधिक संख्या बच्चों की है। इस गांव में गंदगी की जबरदस्त मार है। शुक्रवार दोपहर इस गांव में अमर उजाला की टीम पहुंची। गांव की ऐसी कोई सड़क न थी, जहां जलभराव न हो। खाली प्लॉटों में कीचड़ और बदबूदार पानी भरा पड़ा था।

क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि अभी हाल में ही नालियों का निर्माण हुआ है, इससे पहले तो यहां सिर्फ गंदा पानी भरा रहता था।

गांव के सुधीर यादव ने बताया कि पूरा गांव डेंगू का दंश झेल रहा है। शुरुआत में तो प्रशासनिक अमला आया था लेकिन अब कोई नहीं आता। बहुत परेशान हैं। वीरेश कुमार ने कहा कि लोग घरों से बाहर निकलने में घबराने लगे हैं। अपनी रिश्तेदारियों में जा रहे हैं। पूरे गांव में ही दहशत का माहौल बन गया है।

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दानवीर यादव ने कहा कि दवाई का छिड़काव नहीं हो रहा है। पोखर में गंदा पानी भरा हुआ है। मच्छर अभी भी पनप रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही।

लोगों का कहना है कि जिले भर से बच्चों की मौत की सूचना मिल रही है। अस्पतालों में इतनी भीड़ है कि इलाज और दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। निजी अस्पताल भी फुल चल रहे हैं। बच्चों को बचाए रखने के लिए उन्हें रिश्तेदारियों में भेज रहे हैं। विजयपुर नगला भाउ सिंह, हुसैनपुर की भी यही कहानी है।

दवाओं का छिड़काव भी ठीक तरह से नहीं हो रहा है। पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस कारण मच्छर पनप रहे हैं और बीमारी लगातार पैर पसार रही है।

डेंगू और वायरल बुखार तमाम कोशिशों के बाद भी बढ़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में चार दिनों में भर्ती होने वालों की संख्या दो गुनी हो गई है। वार्ड में करीब 360 मरीज भर्ती हैं। इसमें 120 से ज्यादा मरीज शुक्रवार को ही भर्ती किए गए। जिनकी हालत में सुधार आया, उनको चिकित्सकों ने दवा देकर घर जाने को कह दिया।

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कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के लिए मारामारी रही। अब डेंगू और वायरल के मरीजों की जान बचाने के लिए प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक में तीन दिन में 400 से ज्यादा यूनिट मरीजों के लिए दी गई हैं। आगरा से भी प्लेट्लेट्स आवयकतानुसार मंगाई जा रही हैं।

 

ब्लड कैंपों में दान किए रक्त से भी मरीजों की जान बचाई जा रही है। इधर, तीमारदार अपने बच्चों की जान बचाने के लिए प्राइवेट ब्लड बैंक से भी प्लेटलेट्स का इंतजाम करके ला रहे हैं।

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