Saturday, June 21, 2025
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वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बढ़ाता डेंगू वायरस

Nazariya 22


ALI KHANविगत वर्षों में डेंगू वायरस ने मानव स्वास्थ्य पर कड़ा प्रहार किया है। दुनियाभर में बीते दो दशक में डेंगू के मामले बढ़कर दस गुना हो गए हैं। वर्ष 2000 में दुनियाभर में डेंगू के पांच लाख मरीज पाए गए थे। इस साल यह तादाद बढ़कर 50 लाख तक पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने डेंगू के बढ़ते मामलों पर चेतावनी देते हुए यह जानकारी साझा की और सभी देशों से अधिक सतर्कता बरतने की अपील की है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, पिछले दो दशकों में डेंगू की वैश्विक घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती पैदा हो गई है। वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा 52 लाख मामले सामने आए, जब 129 देशों को मच्छर जनित इस रोग का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2020 से वर्ष 2022 में कोरोना महामारी की वजह से डेंगू के मामलों में कमी देखी गई। हालांकि, वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामलों में वृद्धि देखी जाने लगी है। वैश्विक संगठन ने चिंता जताई है कि डेंगू के मामले ऐसी जगह भी पाए जाने लगे हैं, जहां यह बीमारी फैलने की संभावना नहीं के बराबर है। उल्लेखनीय है कि इस साल उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। इस क्षेत्र में डेंगू के कुल मामलों में से 80 फीसदी मामले रिकॉर्ड किए गए। अकेले 41 लाख मामले इसी क्षेत्र में दर्ज किए गए हैं। वैश्विक निकाय के मुताबिक, इस क्षेत्र में हर तीन से पांच साल में डेंगू के बड़ी संख्या में मामले सामने आते रहे हैं, पर इस साल यह तादाद रिकॉर्ड स्तर पर रही। इसके अलावा, कुछ यूरोपीय देशों में भी डेंगू की सूचना मिली है, जहां ऐसा होना लोगों के लिए नया अनुभव है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के मुताबिक, वर्ष 2023 में एशिया में पिछले वर्षों की तुलना में डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष रूप से बांग्लादेश, थाईलैंड, भारत, वियतनाम और श्रीलंका में बड़ी तादाद में मामले सामने आए। दुनिया के 30 सबसे डेंगू प्रभावित देशों में इन देशों का नाम दर्ज है। भारत में पिछले वर्ष की तुलना में केरल और बांग्लादेश की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्यों में मामलों में वृद्धि देखी गई। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वर्ष 2023 में डेंगू से मरने वाले मरीजों की तादाद पांच हजार तक पहुंच गई है। इस साल 80 से अधिक देशों में डेंगू ने कहर बरपाया है।

दरअसल, डेंगू बुखार एक कष्टदायक और शरीर को दुर्बल करने वाला मच्छर जनित रोग है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जो लोग दूसरी बार डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, उनमें गंभीर बीमारी विकसित होने का काफी अधिक जोखिम होता है। यदि हम डेंगू बुखार के लक्षणों की बात करें तो इसमें तेज बुखार, शरीर पर दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शुमार हैं। कुछ गंभीर मामलों में रक्तस्राव और सदमा होता है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है। कभी-कभी डेंगू बुखार के लक्षण हल्के होते हैं और यह फ्लू या अन्य वायरल संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। छोटे बच्चों और जिन लोगों को पहले कभी संक्रमण नहीं हुआ है, उनमें बड़े बच्चों और वयस्कों की तुलना में हल्के मामले होते हैं। हालांकि, उनमें गंभीर समस्याएं विकसित हो सकती हैं।

यह सही है कि डेंगू वायरस का लगातार बढ़ता प्रकोप सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। वैज्ञानिकों ने डेंगू के बढ़ते मामलों के लिए जलवायु परिवर्तन को भी जिम्मेदार बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है, डेंगू के बड़े स्तर पर फैलने के कई कारक हैं। इनमें पहला जलवायु परिवर्तन हो सकता है, जो डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज एजिप्टी मच्छर को पनपने के लिए अनुकूल मौसम मुहैया करा रहा है। बढ़ता तापमान, बिना मौसम की बारिश, चक्रवातों की बढ़ती संख्या और बढ़ती आबादी भी इसका कारण है। इसके अलावा, कोरोना महामारी के बाद कई देशों में चरमरा चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था ने भी चुनौती पैदा की है। कई देशों में निगरानी प्रणालियां कमजोर होने की वजह से इसके लक्षणों की पहचान देरी या चूक हो सकती है। डब्ल्यूएचओ ने ट्रांसमिशन के बढ़ते जोखिम और मामलों व मौतों में वृद्धि को देखते हुए वैश्विक स्तर पर जोखिम अधिक होने का आकलन किया है।

आज डेंगू वायरस का प्रभाव दुनियाभर के साथ -साथ भारत में बड़े पैमाने पर देखा जा सकता है। इससे निपटने की बड़ी चुनौती है। यह सर्वविदित है कि कोरोनो महामारी ने मानव स्वास्थ्य संकट को बढ़ाने का काम किया है। जैसा कि हम महामारी से पुनर्निर्माण कर रहे हैं, यह जरूरी है कि मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण की प्रतिबद्धता दिखानी होगी, जिससे प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके। गौरतलब है कि डेंगू वायरस के लगातार बढ़ते प्रकोप के लिए जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेवार कारकों में शुमार है। नि:संदेह, आज जलवायु से होने वाले परिवर्तनों ने आम से लेकर खास मुल्कों की चिंताओं में बेतहाशा इजाफा किया है। हालांकि, विगत वर्षों में जलवायु परिवर्तन पर कई मुल्कों ने एक साथ आकर अनेक कदम उठाए हैं। इसके बावजूद हम जलवायु परिवर्तनों को रोकने में नाकामयाब रहे हैं। लिहाजा, हमें स्वास्थ्य संकट से उबरने के लिए जलवायु परिवर्तनों को रोकने की कोशिशें बढ़ानी होगी।


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