Monday, June 9, 2025
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चारा नहीं, कूड़े से पेट भर रहे निराश्रित गोवंश

  • गोश्रय स्थल में भी बुरा हाल, न हरा चारा और न ही बीमारी में दवाएं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर के निराश्रित गोवंश को चारा मय्यसर नहीं हो रहा। भूख से बेहाल ऐसे गोवंश ढलावघरों पर कूड़े-कचरे से पेट भरने के लिए चारे की तलाश में भटकते देखे जा सकते हैं।

पूरे शहर के ढलावघरों पर भूख से बेहाल गोवंशों को कूड़ा-कचरा खाते देखा जा सकता है। गोवंश सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है, फिर भी विभाग निराश्रित गोवंश को लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आ रहा है।

विभाग के आला अफसरों की इसको लेकर गंभीरता तभी नजर आती है, जब ऐसे गोवंशों की भूख व बीमारी से मौत की खबरे समाचार पत्रों की सुर्खियां बन जाती हैं। उसके बाद ही अफसरों की नींद टूटती है। इसके लिए सबसे ज्यादा कुसूरवार नगर निगम के वो अफसर नजर आते हैं।

जिला प्रशासन ने जिन्हें सड़क पर भूख प्यास से व्याकुल घूमने वाले निराश्रित गोवंशों को पकड़ कर आश्रय स्थलों पर भेजने की जिम्मेदारी दी गयी है, लेकिन जो हालात गोवंश की नजर आती है।

उससे तो यही लगता है कि जिला प्रशासन की ओर से दी गयी जिम्मेदारी को लेकर निगम के अफसर गंभीर नहीं हैं। निराश्रित गोवंश को लेकर कमोवेश ऐसी ही हालत कैंट क्षेत्र की भी है।

जो गाय दूध देना बंद कर देती हैं या बूढ़ी और बीमार हो गयी हैं, पालने वालों ने ऐसी गायों को छोड़ दिया है। भोजन की तलाश में ऐसी तमाम गाय कैंट के ढलावघरों पर पेट भरती देखी जा सकती हैं।

निराश्रित गोवंश के ठिकाने

कैंट काठ का पुल स्थित ढलावघर भूख-प्यास से बेहाल गोवंश का सबसे बड़ा ठिकाना है। इसके अलावा महताब ढलावघर पर भी भूख व बीमारी से बेहाल गोवंश बड़ी संख्या में भोजन की तलाश में भटकते देखे जा सकते हैं। बाउंड्री रोड पुलिस चौकी के पास खत्ता, सदर टंकी मोहल्ला व गंज बाजार का खत्ता भी निराश्रित गोवंश के पेट भरने के ठिकाने हैं।

शहर में बागपत रोड पर भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित खत्ते पर भी निराश्रित गोवंश दिनभर भटकते रहते हैं। इस नजारे से गोवंश प्रेम को समझा किया जा सकता है।

कई बार तो ऐसा होता है कि पन्नी में कांच होता है और भोजन के चक्कर में गोवंश पन्नी चबा जाते हैं। उसके अंदर के कांच से मुंह बुरी तरह से लहूलुहान हो जाता है।

घायलों की नहीं ली जाती सुध

सड़क हादसों में कई बार निराश्रित गोवंश घायल हो जाते हैं। ऐसे गोवंश की सुध लेने की विभाग को कभी फुर्सत नहीं होती। कुछ पशु प्रेमी भले ही अपनी ओर से घायल गोवंश की इलाज करा दें। ज्यादातर मामलों में घायल गोवंश की मौत ही हो जाती है।

गोश्रय स्थल का भी कोई पुरसा हाल नहीं

सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के बाद निराश्रित गोवंश के लिए परतापुर में कान्हा उपवन आश्रय स्थल बनाया गया था, लेकिन वहां भी ऐसे गोवंश का बुरा हाल है।

जनवाणी ने वहां गोवंश की हालत को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था। जनवाणी के खुलासे के बाद विभाग के कई बड़े अफसरों ने वहां का दौरा भी किया था।

कान्हा उपवन के आसपास रहने वालों का कहना है कि गोश्रय स्थल केवल गोवंश का कमेला साबित हो रहा है। आए दिन बड़ी संख्या में यहां गोवंश मरती हैं। जितने गोवंश करते हैं, उनकी संख्या को पूरी करने के लिए आश्रय स्थल के कर्मचारी बाजारों में घूमने वाले निराश्रित गोवंश पकड़कर संख्या को पूरा कर देते हैं।

मरने वाले गोवंशों को पास के जंगलों में जेसीबी से गहरे गड्ढे खोदकर उसमें दबा दिया जाता था। जनवाणी के खुलासे के बाद अब गोवंश को लोहियानगर के डंपिंग ग्राउंड पर ले जाकर दफनाया जाता है।

सूरजकुंड डिपो में भी मर रहा गोवंश

बीमार गोवंश के इलाज के नाम पर सूरजकुंड डिपो में इलाज का दावा निगम अफसरों की ओर से किया जाता है, लेकिन यहां जो पशु बीमार होने के बाद भेजे जाते हैं, उनमें से कितने वापस भेजे गए, इसका कोई ब्योरा नहीं है। गोश्रय स्थल में जो पशु बीमार हो जाता है उसको मरने के लिए ही यहां भेजा जाता है।

यहां से उस गोवंश को लोहियानगर डंपिंग ग्राउंड ले जाकर दफना दिया जाता है। इस बात की पुष्टि कांग्रेस सेवादल के प्रदेश सचिव रोहित गुर्जर ने भी की है। उन्होंने कई बार निगम की मृतक गोवंश लेकर पहुंचने वाली निगम की गाड़ियों को लौटाया भी है।

कैंट काजी हाउस शोपीस

निराश्रित गोवंश को पकड़कर उन्हें रखने के नाम पर कैंट बोर्ड की ओर से सदर थाना के पीछे तथा लालकुर्ती में दो कांजी हाउस बनाए गए हैं। यहां स्टाफ के नाम पर हर माह कई लोगों का वेतन जारी किया जाता है।

दो-दो कांजी हाउस होने के बाद भी कैंट में निराश्रित गोवंश का कोई ठिकाना नहीं हैं। उन्हें ढलावघरों पर पेट भरने के लिए रहना होता है।

ये कहना है जिला पशु अधिकारी का

जिला पशु अधिकारी डा. अनिल कंसल  भी मानते हैं कि महानगर में निराश्रित गोवंश की हालत बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि केवल गोशाला भिजवाना पर्याप्त नहीं। उचित देखभाल भी बेहद जरूरी है।

ये कहना है निगम पार्षद का

नगर निगम में भाजपा के पार्षद ललित नागदेव का कहना है कि निराश्रित पशुओं को लेकर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट आदेश हैं, लेकिन उसके बाद भी निराश्रित पशुओं को गोश्रय स्थल नहीं पहुंचया जाता। गोश्रय स्थल की भी हालात अच्छी नहीं।

सीडीओ को गोशालाओं के निरीक्षण में मिलीं खामियां

सीएम ने गोशालाओं के निरीक्षण के आदेश पर हरकत में आए जिले के आला अफसरों को गोशालाओं के निरीक्षण में खामियां ही खामियां मिल रही हैं।

सीडीओ को सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट गोशाला में मिली खामियों के बाद अधिकारियों पर सख्त तेवर अपनाने शुरू कर दिए हैं, जबकि सीडीओ व मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने गोशालाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में बजट नहीं दिए जाने से अधिकांश गोशालाओं की हालत बेहद खराब है।

वहीं, एसडीएम मेरठ के निरीक्षण रिपोर्ट में गोशालाओं की बदहाली का सच सामने आ गया। एसडीएम ने अधिकांश गोशालाओं में हालत सुधारने के सख्त आदेश जारी किए हैं।

बता दें, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर की गोशालाओं की हालत सुधारने के लिए अफसरों को सख्त आदेश जारी कर रखें हैं, जिसके चलते जनपद की सभी गोशालाओं के निरीक्षण के लिए सीडीओ ईशा दूहन ने टीम गठित कर निरीक्षण का कार्य यथाशीघ्र पूरा करने के आदेश दिए थे।

मेरठ को तीन भागों में बांटकर गोशालाओं का निरीक्षण करना शुरू किया गया, जिसमें मेरठ, मवाना और सरधना तहसील क्षेत्र में जिले को विभाजित कर अधिकारियों को निरीक्षण करना था।

मेरठ और सरधना की गोशालाओं का निरीक्षण एसडीएम व पशुपालन विभाग की संयुक्त टीमों ने किया, जिसमें एसडीएम संदीप भागिया को अधिकांश गोशालाओं की स्थिति बेहद खराब मिली।

कई गोशाला संचालकों ने अपनी व्यथा एसडीएम को सुनाई। बताया कि प्रयाप्त मात्रा में बजट नहीं मिल रहा है। निरीक्षण में अधिकारियों ने पाया कि अधिकांश गोवंश हरा चारा एवं पर्याप्त मात्रा में मिनरल मिक्चर न मिलने के कारण अत्यधिक कमजोर हो रहे हैं।

कमजोरी की हालत में कई गोवंश बीमार है, साथ ही कुछ की असमय देखभाल के अभाव में मौत हो चुकी है। इस बारे में जब सीडीओं कार्यालय में बातचीत की गई तो मौजूद वरिष्ठ क्लर्क नैपाल सिंह ने बताया कि गोवंश के लिए उनके पास पर्याप्त मात्रा में बजट नहीं हैं, वहीं मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा. अनिल कंसल ने बताया कि मेरठ व सरधना की सभी गोशालाओं का निरीक्षण लगभग पूरा हो चुका है, मवाना की गोशालाओं का निरीक्षण अभी बाकी है।

न पर्याप्त दवाई और न डॉक्टर

निरीक्षण के दौरान गोशालाओं में जो गोवंश देखरेख के अभाव में बीमार पड़ गए हैं। उनके लिए पर्याप्त मात्रा में न तो दवाइयां मिली, और न ही पशुचिकित्सक का कोई इंतजाम।

गोशालाओं में गोवंश के स्वास्थ्य के प्रति सीएम योगी आदित्य नाथ द्वारा दिए गए आदेशों की हवा हवाई ढुलमुल कार्रवाई जारी है। वहीं सरकारी आंकडों में सब कुछ टनाटन दर्शाया जा रहा है।

मेरठ जिले में है 23 गोशाला

जिले में संचालित अस्थाई एवं स्थाई गोशालाओं की संख्या 23 है, जिनमें से अधिकांश गोशालाओं में गोपशुओं को चारे के अभाव का सामना करना पड रहा है।

साथ ही बीमारी की अवस्था में दवाईयों का कोई माकूल इंतजाम नहीं है। गोशालाओं में गोवंश को बरसात एवं धूंप से बचाने के लिए भी मुकम्मल इंतजाम नहीं किए हैं।

गोसेवा आयोग से भी मिलता है अनुदान

गोवशों के लिए जो बजट शासन द्वारा मिलता है, उसके अलावा उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग से भी काफी अनुदान मिलता है। लेकिन इसके बावजूद भी गोवंश का पेट नहीं भर पाता। बताया जा रहा है कि अधिकांश गोशालाओं में चारे का घोटाला किया जा रहा है। जिसपर अफसर मौन साधे बैठे हैं।

स्वच्छता के प्रति बरती जा रही घोर लापरवाही

मेरठ की गोशालाओं में स्वच्छता के प्रति भी घोर लापरवाही बरती जा रही है, एक-एक सप्ताह तक अधिकांश गोशालाओं का गोबर नहीं उठाया जाता, जिसके चलते अधिकांश गोशाला में गंदगी व्याप्त है। जिसके कारण गोवंश को संक्रमण रोगों का सामना करना पड़ रहा है।

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