- लॉकडाउन में छिने युवाओं के रोजगार, दूर-दूर तक उम्मीद नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या भी प्रबल होती जा रही है। कुछ युवा प्राइवेट नौकरी करके अपने परिवार का लालन-पालन कर रहे थे, लेकिन कोविड-19 से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से आम जनमानस के जीवन पर भी काफी असर देखने को मिल रहा हैं।
हालात यह हो चुके हैं, जिनके घर में एक ही कमाने वाला है, उसका रोजगार भी छिन गया है। जिससे कि घर का खर्चा चलाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, दूसरी ओर युवाओं के जीवन पर भी इसका काफी असर पड़ा है। नौकरी के सपने संजोए युवाओं के सपने भी चकनाचूर होते जा रहे हैं।
डिग्री पास, रोजगार की नहीं आस
अभिभावक खुद अनेकों परेशानियों का सामना करते हुए अपने बच्चों को शिक्षित करते है। जिससे कि युुवा शिक्षित होने के बाद अच्छी नौकरी करके घर का लालन-पालन कर सकें, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में युवा शिक्षित होने के बाद भी रोजगार के लिए इधर से उधर भटक रहा हैं।
युवाओं को भाजपा सरकार से काफी उम्मीदे थी कि केन्द्र में भाजपा आने के बाद रोजगार मिलेगे। मगर अब युवाओं की उम्मीद भी टूटने लगी है। जिसका उदाहरण ट्वीट पर देखने को मिल रहा है। युवा अब खुलकर सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए सरकार से रोजगार मांग रहे हैं।
सरकारी नौकरी में सिर्फ परीक्षा ही परीक्षा
सरकारी नौकरी की बात की जाए तो जैसे ही सरकार की तरफ से भर्ती खोली जाती हैं। एक-एक पद के लिए हजारों युवा आवेदन करते हैं। सरकार की तरफ से परीक्षाएं तो आयोजित करा ली जाती हैं, लेकिन उनका परिणाम जारी करने की प्रक्रिया और नौकरी देने की इतनी देरी होती है कि युवाओं की उम्मीदे टूट जाती हैं। प्राइवेट सेक्टर की बात की जाए तो लॉकडाउन में प्राइवेट सेक्टर की कमर टूट चुकी है। जिससे कि वहां भी अब रोजगार की संभावनाएं कम है।
जतिन लिसाड़ी ने कहा कि कहा तो तय था कि चराग हर एक घर के लिये, यहां चराग मयस्सर तक नहीं शहर के लिये। उन्होंने कहा कि सरकार की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वह रोजगार के नए अवसर प्रदान करे।
विक्रांत कसाना ने कहा कि केन्द्र सरकार व यूपी सरकार ने चुनाव के समय तो बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया। आज युवा सबसे ज्यादा परेशान है। मगर रोजगार न मिलने के कारण अनेक प्रकार की परेशानियों से जूझ रहा है।
विपिन बैंसला ने कहा कि सरकार द्वारा युवाओं को सपने तो बहुत बड़े-बड़े दिखाए थे। इसलिए युवाओं ने वोट भी दिया था, लेकिन युवाओं को मिला कुछ नहीं। वोट देने के पश्चात भी युवा अपने को ठगा-सा महसूस कर रहा है।
आशीष कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा चुनाव के समय रोजगार को लेकर किए किए गए सभी मुद्दे जुमला साबित हुए हैं। आज युवा बेरोजगारी की वजह से काफी परेशान है। यहीं नहीं आना वाला समय भी युवाओं के लिए सुखद नहीं है। क्योंकि सरकार की कोई नीति ही ठोस नहीं हैं।
अंजलि ने कहा कि बताया कि उनके घर में कमाने वाला कोई नहीं है। उनकी भी लॉकडाउन के कारण नौकरी छूट गई। सरकार से काफी उम्मीदे हैं कि सरकार कुछ करेगी। घर में हम छह बहनें हैं। ऐसे में अनेकों समस्याएं उत्पन्न हो रही है। सरकार को युवाओं व मध्यम वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करने चाहिए। तभी कुछ हो सकता है। जिससे बेरोजगार युवकों को काफी हद तक राहत मिल सकती है।