Friday, May 9, 2025
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डीजीपी के आदेश हवा में, ट्रैफिक पुलिस कमाई में

  • ट्रैफिक होमगार्ड के हवाले, पुलिस लगी खुद के राजस्व बढ़ाने में

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ट्रैफिक पुलिस कर्मी और अफसर भी वहीं हैं, सिर्फ एसएसपी प्रभाकर चौधरी बदले हैं। उनके कार्यकाल में ट्रैफिक की लूट पूरी तरह से बंद थी। सड़क पर चेकिंग के नाम पर वाहनों को रोकते हुए ट्रैफिक पुलिस कर्मी घबराते थे, वहीं पुलिस कर्मी अब बेलगाम हो गए हैं। शहर की कोई एक भी ऐसी सड़क नहीं बची, जहां पर ट्रैफिक पुलिस वाहनों की चेकिंग के नाम पर लूट-खसौट नहीं कर रही हैं।

ट्रैफिक पुलिस की इसमें बदनामी भी खूब हो रही हैं। मीडिया में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की लूट सुर्खियों में बनी हुई हैं, लेकिन पुलिस कर्मियों को कतई शर्म नहीं लगती। हर रोज ट्रैफिक कंट्रोल करने के नाम पर चेकिंग करते हुए दिखाई दे जाएंगे।

एक तरफ वाहनों को रोककर खड़े दिखाई देंगे और फिर सौदेबाजी ही चल रही होती हैं। अधिकारी भी इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। लगता है इन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को खुली लूट की छूट दे रखी हैं, तभी तो बैखोफ वसूली अभियान चल रहा हैं। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं हैं।

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पूर्व एसएसपी प्रभाकर चौधरी के समय ट्रैफिक पुलिस की लूट पर लगी लगाम अब पूरी तरह से बंधनमुक्त हो गई है। अब होमगार्डस तो संभाल रहे हैं ट्रैफिक और ट्रैफिक पुलिस के सिपाही अपना राजस्व बढ़ाने में लगे हुए हैं। जबकि डीजीपी की तरफ से साफतौर पर कहा गया है कि कागज चेक करने के नाम पर लोगों को रोक कर परेशान ने किया जाए।

इसके बावजूद पुलिस दूसरे जनपदों और राज्यों की गाड़ियों पर ऐसे झपटती है मानों कोई दौलत हाथ से निकल कर जा रही हो। प्रभाकर चौधरी ने अपनी कप्तानी में ट्रैफिक पुलिस पर अंकुश लगा दिया था। दौराला से लेकर परतापुर, मेडिकल कालेज तक या फिर बागपत रोड हो या रुड़की रोड पर पुलिस की बेनाम उगाही बंद हो चुकी थी।

पुलिस ट्रैफिक संचालन में लगी हुई थी। प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर होते ही दो चार दिन बाद से ट्रैफिक पुलिस अपने पुराने रंगत में आ गई। मवाना रोड पर डेयरी फार्म के पास दूसरे जनपदों और राज्यों की गाड़ियों की चेकिंग के नाम उत्पीड़न शुरु हो गया है। पुलिस ने कागज चेक करने के नाम कमाई शुरू कर दी।

यही नजारे परतापुर तिराहे, मेट्रो प्लाजा, जीरो माइल, तेजगढ़ी चौराहों पर दिखने शुरू हो गए। जिन चौराहों पर आईटीएमएस के तहत संचालन हो रहा है। उनमें होमगार्ड सड़क के एक किनारे पर खड़े होकर संचालन कर रहे हैं। वहीं, चौराहे से थोड़ी दूर सिपाही खड़े होकर निजी काम में व्यस्त हो जाते हैं।

दिल्ली रोड पर परतापुर तिराहे से लेकर जीरो माइल तक होमगार्डों के जरिये वाहनों को रुकवाया जाता है। फिर चेकिंग का खास अंदाज शुरू होता है। जिनके पास कागज मौजूद हैं वो तो सम्मान के साथ चले जाते हैं। बाकी लोग सिपाही के रहमोकरम पर टिक जाते हैं।

दूसरे राज्यों की गाड़ियों को खास परिस्थितियों को छोड़कर चेकिंग न करने के निर्देश दिये गए हैं। इसके बावजूद सुबह से लेकर शाम तक ट्रैफिक के बजाय कुछ ट्रैफिक पुलिसकर्मी वसूली में लग जाते हैं और चौराहों पर लग रहे जाम पर ध्यान नहीं जाता है।

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