नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज से छठ पर्व शुरू हो रहा है। बताया जाता है कि, यह पर्व कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि नहाय खाय से आरंभ होता है। पंचमी को खरना,षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है,क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है।
यह छठ का व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है।छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। चलिए जानते हैं इस पूजा में सूर्य भगवान के पूजन का महत्व
यहां जानें छठ पूजा में सूर्य भगवान के पूजन का महत्व…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण ने सूर्य को संसार के प्रत्यक्ष देवता बताते हुए कहा है कि इनसे बढ़कर दूसरा कोई देवता नहीं है। सम्पूर्ण जगत इन्हीं से उत्पन्न हुआ है और अंत में इन्हीं में विलीन हो जाएगा। जिनके उदय होने से ही सारा संसार चेष्टावान होता है एवं जिनके हाथों से लोकपूजित ब्रह्मा और विष्णु तथा ललाट से शंकर उत्पन्न हुए हैं। सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्य की किरणों में समस्त देव, गंधर्व और ऋषिगण निवास करते हैं।
सूर्य भगवान की पूजा के बिना तो किसी का कल्याण संभव नहीं
बताया जाता है कि, सूर्य भगवान की पूजा के बिना तो किसी का कल्याण संभव नहीं है, भले ही अमरत्व प्राप्त करने वाले देवता ही क्यों न हों। स्कंद पुराण में सूर्य को अर्घ्य देने के महत्व पर कहा गया है कि सूर्य को बिना जल अर्घ्य दिए भोजन करना भी पाप खाने के समान है। साथ ही सूर्योपासना किए बिना कोई भी मानव किसी भी शुभकर्म का अधिकारी नहीं बन सकता है।