- सूचना क्रांति के दौर में भी किताबों को पढ़ने का दौर नहीं हुआ कम
- 3029 किताबों से 1967 में शुरू हुई विवि की लाइब्रेरी
- लाइब्रेरी में सुबह से ही लगने लगता है पढ़ने वाले छात्रों का जमावड़ा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यह डिजिटल दौर है,जहां किताबों के पन्ने पलटने में भी वक्त नहीं लगता। बस एक क्लिक कीजिए, तमाम तरह की किताबें कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएंगी। सूचना क्रांति के दौर में कई बार लगता है कि किताबों का भविष्य नहीं है, लेकिन पुस्तकों को पढ़ने का क्रेज इस दौर में भी कम नहीं है।
आज भी असली मजा किताबों को हाथ में लेकर पढ़ने में आता है। यही कारण है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में पढ़ने वालों की संख्या कम नहीं है। छात्र-छात्राओं के लिए यह लाइब्रेरी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक संचालित की जाती है। बता दें कि अब यह लाइब्रेरी पूरी तरह से हाइटेक हो चुकी है।
बता दें कि विवि की इस लाइब्रेरी से पढ़ाई कर बहुत से लोगों ने देश और विदेश में अपना नाम रोशन किया है। प्रदेश की राज्य विवि की लाइब्रेरियों में इसका नंबर सबसे ऊपर आता है। 1967 में राजा महेंद्र प्रताप लाइब्रेरी को 3029 किताबों के साथ शुरु किया गया था। धीरे-धीरे यह कुतुबखाना विशाल होता गया।
ई-बुक से भी पढ़ते हैं छात्र
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में राजा महेंद्र प्रताप लाइब्रेरी आज पूरी तरह से डिजिटल है। फिर भी एक लाख 66 हजार 333 किताबें और एक लाख से अधिक रिसर्च पेपर रखे गए हैं। डिजिटल प्लेटफार्म में 30 लाख ई-बुक हैं। लाइब्रेरी में आज भी ई-बुक से अधिक छात्र-छात्राएं पुस्तकें पढ़ना पसंद करते हैं।
हर रोज लाइब्रेरी में 700 से अधिक विद्यार्थी पुस्तकों के साथ वक्त बिताते हैं। लाइब्रेरी में कई दुर्लभ किताबें हैं। डा. जमाल अहमद सिद्दकी विभागाध्यक्ष पुस्तकालय विभाग का कहना है कि अभी भी हर पाठक तक कंप्यूटर की पहुंच नहीं है। ई-बुक तकनीक से जुड़ी है। किताबों में ऐसी कोई समस्या नहीं है।
अब भी आनलाइन कंटेंट की गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता है, जबकि किताबों की गुणवत्ता उसके लेखक और प्रकाशक से जुड़ी होती है। ऐसे में किताबें कभी कम नहीं होंगी। किताबों को कभी भी कहीं भी पढ़ने की आजादी भी इसे ई-बुक से अलग करती है।