दीमक : बुवाई से पहले अंतिम जुताई के समय खेत में क्यूनालफोस 1.5 प्रतिशत या क्लोरोपैरिफॉस पॉउडर की 20-25 किलो ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला देनी चाहिए।
कातरा : इस कीट की लट पौधों को आरम्भिक अवस्था में काटकर बहुत नुकसान पहुंचती है। कतरे की लटों पर क्यूनालफोस 1 .5 प्रतिशत पाउडर की 20-25 किलो ग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव कर देना चाहिए|
सफेद मक्खी और हरा तेला : इनकी रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 डब्ल्यू एसी या मिथाइल डिमेटान 25 ईसी 1.25 लीटर को प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
फली छेदक : फली छेदक को नियंत्रित करने के लिए मोनोक्रोटोफास आधा लीटर या मैलाथियोन या क्युनालफांस 1.5 प्रतिशत पॉउडर की 20-25 किलो हेक्टयर की दर से छिड़काव /भुरकाव करनी चहिये।
रस चूसक कीट : इन कीट की रोकथाम के लिए एमिडाक्लोप्रिड 200 एस एल का 500 मिली. मात्रा का प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। आवश्कता होने पर दूसरा छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।
चीती जीवाणु रोग : इस रोग की रोकथाम के लिए एग्रीमाइसीन 200 ग्राम या स्टेप्टोसाईक्लीन 50 ग्राम को 500 लीटर में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
पीत शिरा मोजैक : यह रोग एक मक्खी के कारण फैलता है। इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल डेमेटान 0.25 प्रतिशत व मैलाथियोन 0.1प्रतिशत मात्रा को मिलकर प्रति हेक्टयर की दर से 10 दिनों के अंतराल पर घोल बनाकर छिड़काव करना काफी प्रभावी होता है।
तना झुलसा रोग : इस रोग की रोकथाम हेतु 2 ग्राम मैकोजेब से प्रति किलो बीज दर से उपचारित करके बुवाई करनी चहिए। बुवाई के 30-35 दिन बाद 2 किलो मैकोजेब प्रति हेक्टयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चहिए ।
पीलिया रोग : इस रोग के कारण फसल की पत्तियों में पीलापन दिखाई देता है। इस रोग के नियंत्रण हेतू गंधक का तेजाब या 0.5 प्रतिशत फैरस सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए।
जीवाणु पत्ती धब्बा, फफुंदी पत्ती धब्बा और विषाणु रोग: इन रोगों की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम , स्ट्राप्टोसाइलिन की 0.1 ग्राम और मिथाइल डेमेटान 25 ई सी की एक मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में एक साथ मिलाकर पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।