नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख साल का दूसरा महीना होता है। इस वर्ष यह मास 13 अप्रैल से प्रारंभ होकर 12 मई को समाप्त होगा। यह महीना भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मास में किए गए स्नान, दान और पुण्य कर्म विशेष फलदायक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि वैशाख में पितरों के लिए किए गए तर्पण, पिंडदान और नाम से किए गए दान से पितृ दोष कम होता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और सुख आता है।
महत्व
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग की शुरुआत वैशाख माह में ही हुई थी। इसे ‘माधव मास’ भी कहा जाता है, जो भगवान विष्णु का ही एक नाम है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने तुलसी के पत्ते अर्पित कर श्रीहरि की पूजा, और रोजाना पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय होता है और भाग्य प्रबल होता है। इस महीने में कुछ विशेष उपाय करने से भी कई तरह के लाभ मिलते हैं।
शास्त्रों में क्या कहा गया है
“न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदवसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।”
इसका अर्थ है कि वैशाख से श्रेष्ठ कोई महीना नहीं, सतयुग जैसा कोई युग नहीं, वेदों से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं और गंगा जैसा कोई तीर्थ नहीं।
करियर में उन्नति के लिए उपाय
इस माह में प्रतिदिन नदी स्नान के साथ पितरों के नाम तर्पण करना लाभकारी होता है। साथ ही ‘ॐ माधवाय नमः’ मंत्र का जाप तुलसी की माला से सुबह और शाम 108 बार करना चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करें और ज़रूरतमंदों की सहायता करें। भूमि पर सोने से भी करियर में प्रगति और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
धन और समृद्धि
वैशाख मास में पंखा, अन्न, सफेद वस्त्र, तरबूज-खरबूज जैसे फल दान करने से घर में बरकत आती है। भगवान विष्णु और पितरों का ध्यान करने से धन और अन्न की वृद्धि होती है। साथ ही कुंडली के दोष भी शांत होते हैं। इस माह कोई भी अतिथि आपके घर आए तो उसे खाली हाथ न जाने दें, यह विशेष शुभ माना जाता है।
पितृ तृप्ति
यदि इस माह में प्याऊ लगाई जाए या किसी प्यासे को ठंडा पानी पिलाया जाए, तो पितर तृप्त होते हैं और त्रिदेवों की कृपा भी प्राप्त होती है। ऐसा माना गया है कि इस माह में शीतल जल पिलाने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।