- जिला अस्पताल में कैसे सुधरेगी स्वास्थ्य सेवाएं?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी व्यवस्था बेपटरी है। डॉक्टर समय पर नहीं आते तो कर्मचारी मरीजों से सलीके से पेश नहीं आते। हालात ये हैं कि डॉक्टर आते ही नहीं। मरीजों को पता ही नहीं कि कौन डॉक्टर और कौन वार्ड ब्वाय। मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा देने के सरकारी दावे हवाई नजर आ रहे हैं। जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। बावजूद इसके व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही हैं।
जिला अस्पताल के पुरुष वार्ड की स्थिति इतनी खराब है। डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आते। ऐसा मरीजों का आरोप है। हाल ही में लखनऊ के सरकारी अस्पताल का औचक डिप्टी सीएम ब्रिजेश पाठक ने दौरा किया। इसके बाद भी सरकारी सिस्टम सुधर नहीं रहा हैं। डॉक्टर जवाबदेही से क्यों बच रहे हैं?
काश! डिप्टी सीएम जिला अस्पताल मेरठ का भी दौरा करें, तो सिस्टम सुधर जाएगा। सरकारी सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा हैं। हालात बेहद खराब हैं। कोरोना काल में जिला अस्पताल और मेडिकल के मेडिकल सिस्टम पर खूब अंगूली उठी थी। लखनऊ तक बात पहुंची थी, जिसके बाद ही कुछ सुधार तो हुआ, लेकिन फिर से स्वास्थ्य सेवाएं पुराने ढर्रें पर आ गई हैं। क्या स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की दिशा में सरकार कदम उठायेगी?
केस-1
मानपुर जिला बिजनौर निवासी छोटे सिंह ने बताया कि वह पेशे से ड्राइवर है। शुक्रवार को उसका एक्सीडेंट हस्तिनापुर के पास हुआ था। जिसमें उसे जिला अस्पताल में लाया गया। इमरजेंसी वार्ड में इलाज कराने के बाद उसे पुरुष वोर्ड में रेफर कर दिया गया, लेकिन जब से जिला अस्पताल के पुरुष वार्ड के डॉक्टरों ने एक बार भी मरीज की स्थिति जानने का कष्ट नहीं किया और बताया अस्पताल आने के बावजूद इलाज नहीं मिलना बेहद निराश करने वाला विषय है। सरकारी अस्पतालों की ऐसी व्यवस्थाएं होंगी तो गरीबों का इलाज कैसे होगा?
केस-2
भाजपा नेता के भाई सारिक पर कुछ लोगों ने चाकू से हमला कर दिया था। सारिक घायल हैं, जो अपना उपचार जिला अस्पताल में करा रहा है। उसका कहना है कि शुक्रवार रात को पड़ोस के रहने वाले कुछ लोगों ने उस पर चाकू से हमला कर दिया, जिसके बाद वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उपचार के लिए उसे जिला अस्पताल लाया गया। पहले कुछ देर इमरजेंसी में रखने के बाद उसे पुरुष वार्ड में रेफर कर दिया, लेकिन पुरुष वार्ड में एक भी डॉक्टर उपस्थित नहीं होने से ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा। 24 घंटे बीत गए, लेकिन डॉक्टर का कुछ अता पता ही नहीं है। बावजूद इसके समय पर डॉक्टर की सेवा नहीं मिलना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।