Friday, December 27, 2024
- Advertisement -

स्वास्थ्य सेवाओं में दोगुनी नर्सो की जरूरत

 

Nazariya 20


Dr. Rajender Sharma12 मई को ही दुनिया के देशों ने लेडी विद द लैंप यानी कि फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्म दिन अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया है। इस अवसर पर कहने को तो बड़े-बड़े आयोजन हुए और नर्सिंग कर्मियों को सम्मानित किया गया पर आज देश दुनिया में जिस तेजी से नर्सिंगकर्मियोें की कमी और समस्याएं है उसकी और गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि अभी कोरोना संकट पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और कोरोना के नित नए वेरियंट का डर सताता रहता है। कोरोना ही क्यों जिस तरह से आधुनिक जीवन शैली और प्रदूषण के चलते नित नई बीमारियां आती जा रही है उसी तरह से नर्सिंग कर्मियों की मांग बढ़ती जा रही है। देश दुनिया के देशों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो रहा है। जो बड़े देश अपने आप को स्वास्थ्य सेवा संपन्न मान रहे थे उनकी भी कोरोना ने पोल खोल कर रख दी है। कोरोना ने यह भी सबक दिया है कि दुनिया भर में कोरोना के कारण लाखों मौतें हुई हैं तो करोड़ों लोगोें की जान भी बचाई गई है।

आपके सितारे क्या कहते है देखिए अपना साप्ताहिक राशिफल 29 May To 04 June 2022

 

दरअसल कोरोना ने एक अलग तरह के ही हालात पैदा किए और आमआदमी ही क्या सरकारों तक को लाचार हालात में खड़ा कर दिया। जिस तरह से कोरोना की जंग डॉक्टरों के भरोसे लड़ी गई तो इस जंग में नर्सिंग कर्मियों और पेरामेडिकल स्टॉफ की भूमिका को भी एक कदम अधिक ही महत्व देना होगा। हालात ये हैं कि देश-दुनिया में कोरोना के अनुभवों को देखते हुए अस्पतालों में बेड और अन्य सुविधाएं तो बढ़ाने का सिलसिला जारी है, पर इन सुविधाओं को संचालित करने वाले चिकित्सकों, नर्सों और पेरामेडिकल स्टॉफ की कमी को दूर करने के प्रति अभी अधिक गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है।

देखा जाए तो चिकित्सक से भी एक कदम अधिक रिस्क नर्सों का होता है। मरीज की देखभाल और समय पर दवा, इंजेक्शन, ड्रेसिंग आदि की जिम्मेदारी नर्सिंग कर्मियोें पर ही होती है। चिकित्सक के साथ ही अस्पताल के नर्सिंग कर्मियों का मरीज और उनके परिजनों के साथ व्यवहार और सेवाभाविता बहुत मायने रखती है। भारतीय नर्सिंग परिषद की माने तो देश में 31 लाख नर्स पंजीकृत है। एक समय था जब नर्सिंग कार्य पर महिलाओं का ही एकाधिकार था और नर्सिंग कर्मी मतलब केरल की महिलाओं की अलग ही पहचान होती थी। सेवा भाव व ड्रेस कोड भी प्रभावी रहा है।

आज देश में एक हजार की आबादी पर दो से भी कम 1.7 नर्स हैं, जबकि आज की तारीख में यह आंकडा कम से कम दो गुणा होना चाहिए। विदेशों की कार्य कल्चर, वेतन भत्तों और सुविधाओं को देखते हुए देश की करीब 56 हजार नर्स तो अमेरिका, इंग्लैण्ड, कनाडा, आस्ट्रे्लिया सहित अन्य देशों में सेवाएं दे रही हैं।

यानी कि नर्सिंग कर्मियों की कमी और अधिक हो जाती है। हालांकि कोविड ने सभी देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल कर दी है पर फिर भी गरीब और अमीर देशों के बीच नर्सिंग सेवाओं का जो अनुपात है, वह अत्यंत चिंतनीय है। अमीर देशों में जहां एक लाख की आबादी पर 38.7 नर्स हैं, वहीं कम आय वाले देशों की स्थिति गंभीर है। कम आय वाले देशों में यह आंकड़ा एक लाख की आबादी पर 10.4 पर आकर टिकता है, जो करीब करीब तीन गुणा कम है।

दुनिया भर में दो करोड़ 80 लाख नर्सें रोगियों की सेवा में जुटी हैं। कोविड में जिस सेवा भाव से दुनिया के देशों में चिकित्सकों के साथ ही नर्सिंग और पेरामेडिकल स्टाफ ने मानवता के लिए काम किया है, अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना लोगों को जीवनदान दिया है और यहां तक तो कई ने तो अपने जीवन की आहुति देकर अपना धर्म निभाया है, ऐसे में मेडिकल और पेरामेडिकल सेवाओं के विस्तार और सेवा शर्तों में सुधार की आज सर्वाधिक आवश्यकता हो गई है।

जिस तरह के हालात हैं और जो भविष्य दिखाई दे रहा है, उसमें स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की अत्यधिक आवश्यकता महसूस हो गई है। यदि हमारे देश ही की बात करें और भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई की मानें तो देश में 2030 तक 60 लाख नर्सों की आवश्यकता होगी। इसका मतलब यह कि देश में 2030 तक दोगुनी नर्सों की आवश्यकता होगी। इसमें दो राय नहीं कि कोविड के दौरान देश के नर्सिंग कर्मियों ने बेहतरीन सेवाएं दी है। पर कहीं ना कहीं यह सोचना होगा कि जो सेवा भाव व प्रतिबद्धता एक जमाने की केरल की नर्सों में देखी जाती थी, उसमें कमी साफ दिखाई दे रही है।

महिलाओं के साथ ही पुरुष नर्सिंग कर्मी भी पूरी सेवा भाव से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। पर एक चिंतनीय परिदृश्य और सामने आ रहा है कि जिस तरह से देश में कुकुरमुत्ते की तरह से इंजीनियरिंग कालेज खुले और जिस तरह से एमबीए का दौर चला और अध्ययन का स्तर बनाए नहीं रखने के कारण इन संस्थाओं में से कई को तो बंद करने और कई को चलाए रखने में भी मुश्किलात आ रही हैं ऐसे में जिस तरह से गली-गली में नर्सिंग कालेज खुल रहे हैं, वहां शिक्षण प्रशिक्षण का स्तर बनाए रखना बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

ऐसे में सरकार और संस्थान दोनों का ही दायित्व हो जाता है कि वे लोगों के जीवन मरण से जुड़े इस पवित्र क्षेत्र की गरिमा को बनाए रखने वाली टीम तैयार करें, ताकि बीमार और परिजन नर्सिंग कर्मियों में फ्लोरेंस नाइटेंगल की झलख देख सके। यह मानवीय सेवा का क्षेत्र है|

सेवा शर्तों और सुविधाओं का ध्यान रखना सरकार या संस्थान का है तो रोगी के प्रति सेवा भाव रखना नर्सिंग कर्मियों का हो जाता है। ऐसे में नर्सिंग कर्मियों की ऐसी नई पीढ़ी तैयार की जानी है, जिसमें केरल की नर्सों जैसी मानवीयता और अनुशासन हो तो फ्लोरेंस नाइटेंगल जैसी सेवा, प्रेम और स्नेह का सागर हो।


janwani address 208

What’s your Reaction?
+1
0
+1
3
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Baghpat News: संसद भवन के पास पेट्रोल छिड़ककर युवक ने की आ​त्महत्या,परिजनों में मचा कोहराम

जनवाणी संवाददाता | छपरौली: बागपत जनपद के कस्बा छपरौली निवासी...

Educational News: दिल्ली विश्वविद्यालय में पंजीकरण करने की बढ़ी तिथि, ऐसे करें आवेदन

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

साहस और मुक्ति

बुद्ध एक गांव में ठहरे थे। उस राज्य के...
spot_imgspot_img