- गुजरात की तर्ज पर सहकारी समितियों को सीएससी में तब्दील करके 300 सेवा देने का रखा गया है लक्ष्य
- जनपद की सहकारी समितियों में कॉमन सर्विस सेंटर बनाने के बावजूद नहीं मिल पा रहीं आम सुविधाएं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कहां तो तय था चरागां हर एक घर के लिए/कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए। हिन्दी गजल के सुप्रसिद्ध शायर दुष्यंत कुमार का यह शेर प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (पैक्स) को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) बनाकर करीब 300 सेवा देने की योजना के संदर्भ में एकदम सटीक बैठता है। जनपद में 84 सहकारी समितियों को सीएससी बनाने का खूब प्रचार प्रसार किया गया, लेकिन इन सेंटरों को अभी तक बिजली के बिल और मोबाइल रिचार्ज कराने तक सीमित रखा गया है।
ठीक एक साल पहले फरवरी 2023 में सीएससी एसपीवी ने अपने बड़े क्षेत्र बहुउद्देश्यीय सोसायटी (एलएएमपीएस) और प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) के नेटवर्क को सामान्य सेवा केंद्रों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए सहयोग मंत्रालय और नाबार्ड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। जिसके आधार पर समूचे देश में 63 हजार लैम्प/पैक्स को सीएससी के रूप में काम करने और ग्रामीण समुदायों को 300 सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाने की योजना बनाई गई थी।
जिसमें पैक्स के 13 करोड़ किसान सदस्य भी शामिल करने का कार्यक्रम बनाया गया था। इस ड्रीम प्रोजेक्ट को परवान चढ़ाने के लिए सरकार, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में नाबार्ड और सीएससी एसपीवी के मध्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।उम्मीद जताई गई थी कि प्रौद्योगिकी और वित्तीय हस्तक्षेप के माध्यम से लैम्प/पैक्स सहकारी समितियों को मजबूत किया जाएगा और उन्हें विभिन्न नागरिक-केंद्रित सेवाओं के साथ ग्रामीण और आदिवासी समुदायों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
इस पहल का उद्देश्य सामान्य सेवा केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को पैक्स के माध्यम से ग्रामीण आबादी तक उपलब्ध कराना रहा। इसके जरिये नागरिकों को सीएससी योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर सूचीबद्ध सभी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया जाना रहा है। जिसमें बैंकिंग, बीमा, आध नामांकन/ अद्यतन, कानूनी सेवाएं, कृषि उपकरण जैसी सेवाओं के साथ-साथ बस और हवाई टिकट संबंधी सेवाएं प्रदान करना शामिल किया गया।
इस योजना में दी जाने वाली सेवाओं की सूची काफी विस्तृत है, जिनकी संख्या 300 के पार बनाई गई है। इसके पहले चरण में आधार, बिजली बिल भुगतान, बैंकिंग, आयुष्मान भारत, कृषि एफपीओ प्रोत्साहन सेवाएं जैसी सेवाएं प्रदान की जानी थीं। वहीं, इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में सहकारी समितियों को गुजरात मॉडल पर विकसित करने की योजना बनाई गई। जिसमें योजना बनाई गई कि प्रदेश की सहकारी समितियां अब सिर्फ खाद-बीज वितरण और कृषि ऋण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पेट्रोल पंप, रसोई गैस एजेंसी का संचालन भी कर सकेंगी।
गांव स्तर पर ही ग्रामीणों को जरूरी सामानों की आपूर्ति के लिए आउटलेट की सुविधा भी मिलेगी। इसके अलावा समितियों पर एलआईसी किस्त जमा करने, बिजली बिल का भुगतान, आॅनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार से पेमेंट, खतौनी, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम से पैसा निकालने, आय जाति निवास प्रमाण पत्र, मनी ट्रांसफर, रेलवे, बस का टिकट, वाहन बीमा जैसी सुविधाएं भी देने की बात कही गई।
वहीं मेरठ जनपद में संचालित 84 सहकारी समितियों में सीएससी बनाए जाने का काम करके शासन स्तर पर रिपोर्ट भी प्रेषित कर दी गई, लेकिन इन सीएससी पर अभी तक बिजली के बिजली जमा किए जाने और मोबाइल रिचार्ज किए जाने की सुविधा ही प्रदान की जा सकी है। जनवाणी ने तीन समितियों पर संचालित केन्द्रों से बात की, जहां से बताया गया कि अभी तक बिजली बिल और मोबाइल रिचार्ज की सुविधा ही उपलब्ध है।
सहकारी समितियों को कॉमन सर्विस सेंटर बनाए जाने का काम प्रारंभिक चरण में है। जहां एक-एक करके सभी प्रमुख सुविधाएं शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले कुछ दिनों में कॉमन सर्विस सेंटर पर ग्रामीणों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। -विमल शर्मा, चेयरमैन, जिला सहकारी बैंक समिति, मेरठ-बागपत
सहकारी समितियों में इस समय स्टाफ की कमी आड़े आ रही है। इसके बावजूद कॉमन सर्विस सेंटर पर सभी प्रस्तावित सुविधाएं जल्दी से जल्दी शुरू कराए जाने की दिशा में प्रयास जारी हैं। -सुमनवीर सिंह, सचिव, जिला सहकारी बैंक समिति, मेरठ-बागपत