Friday, July 5, 2024
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रजवाहे और माइनरों का सूखा हलक, नसीब नहीं हो रहा पानी

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  • अधिकारी बने मौन, ट्यूबवेल से फसलों को सीच रहे धरतीपुत्र
  • सफाई के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति, टेल तक नहीं पहुंच रहा पानी

जनवाणी संवाददाता |

परीक्षितगढ़: जहां सरकार द्वारा किसानों को नि:शुल्क पानी देने के सिंचाई विभाग को आदेश दिये हुए हैं। वहीं, सिंचाई विभाग की नाकामी का असर किसानों को भारी पड़ रहा है। माइनरों व रजवाहों में पानी न आने के कारण किसानों की फसल खराब होने की और है। जबकि माइनरों व रजवाहे की साफ सफाई के नाम पर हर वर्ष लाखों रुपये का बजट आता है, लेकिन विभागीय अधिकारी की मिलीभगत के कारण माइनरों में पानी की जगह कटीली झाड़ियां व सूखे पड़े हुए हैं। फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसान खेतों पर ट्यूबवेल लगाकर फसलों की सिंचाई करने को मजबूर है। जनवाणी संवाददाता ने किसानों से रूबरू होकर धरतीपुत्रों का दर्द जाना।

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मध्य गंगनहर से दो रजवाहे नगर के पूठी रेगुलेटर से संचालित है। जिसमें यूपी गढ़ व गढ़ रजवाहे द्वारा फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलता है, लेकिन माइनर व रजवाहों की साफ-सफाई न होने से उनमें कटीली झाड़ियां व उनका नसीब सूख गया है। वहीं, दूसरी ओर पानी नहीं आने से फसलों की समय से सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसानों को फसल खराब होने का डर सता रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के हित में खेती करने के लिए नई नई तकनीकी अपना रहे हैं। विभागीय अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। जिसका खामियाजा किसानों की जेब पर पड़ रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की नाकामी से क्षुब्ध किसान फसल की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगवाने को मजबूर हैं। रजवाहे व माइनरों की दुर्दशा बद से बदतर बनी हुई है।

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विभाग द्वारा महज खानापूर्ति के लिए माइनर व रजवाहों की साफ-सफाई की जाती है। इस संबंध में सिंचाई विभाग अवर अभियंता हेमंत कुमार ने बताया कि माइनर व रजवाहे की सफाई के लिए बजट का पता डिवीजन से लग पायगा परीक्षितगढ़ से लेकर किठौर तक है। पिछले वर्ष रजवाहे और माइनर के लिए साफ-सफाई को बजट आया था। जो खर्च कर दिया गया। इस वर्ष कोई भी बजट नहीं आया है।

पानी के इंतजार में किसान

किसानों को फसलों की सिंचाई करने के लिए रजवाहे व माइनरों में पानी आने का इंतजार होता है। फसलों की सिंचाई को माने जाने वाले मुख्य स्त्रोत माइनर रजवाहे में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। ताकि समय से फसलों की सिंचाई कर सके, लेकिन माइनर व रजवाहे की हालत बद से बदतर है। विभागीय अधिकारियों को किसानों की कोई चिंता नहीं है।

हर वर्ष होते हैं लाखों खर्च

माइनर और रजवाहे की साफ-सफाई कराकर सूरत बदलने के लिए सिंचाई विभाग लाखों रुपये खर्च करता है, लेकिन हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। माइनर व रजवाहे गंदगी व जगह-जगह से टूटे पडेÞ हुए हैं। साफ-सफाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति कर इतिश्री कर ली जाती है।

ये बोले-धरतीपुत्र

किसान छिद्दा त्यागी का कहना है कि प्रदेश सरकार किसानों की सुविधा के लिए तत्पर है तथा सिंचाई विभाग की हठधर्मिता के चलते किसानों की फसलों की समय पर सिंचाई नहीं हो रही है। फसलों को बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर खेतों पर ट््यबवेल लगा रहे हैं।

विपिन त्यागी का कहना है कि फसल को समय पर पानी न मिलने से फसल खराब होने का डर सता रहा है तथा कुछ किसानों की फसल सूखने के कगार पर है। किसानों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले अन्नदाता की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विभागीय अधिकारी अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।

अंकित गुर्जर का कहना है कि पानी न मिलने से फसल सूख रही है। किसान पहले से ही आर्थिक बोझ के नीचे दबा हुआ है। सरकार को किसानों की समस्या को देखते हुए लापरवाह अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि धरतीपुत्र के परिवार में भी खुशहाली बनी रहे और बच्चों का पालन-पोषण ठीक से कर सके।

धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि बारिश का पानी खेतों तक पानी पहुंचता है। साफ-सफाई न होने से केमिकल व गोबर युक्त पानी फसलों को नष्ट कर देता है। इसकी वजह से बड़ी तादाद में मच्छर व बीमारी फैलने का अंदेशा बना हुआ है। माइनरों व रजवाहे की साफ-सफाई कराकर पानी छोड़ देना चाहिए। जिससे किसानों को भी फायदा मिलेगा, साथ ही लोगों को भी बीमारी से बचाया जा सकता है।

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