Wednesday, July 16, 2025
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अधिकारियों की उदासीनता से युग हॉस्पिटल में हो रही मनमानी

  • हर बार शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करता स्वास्थ्य विभाग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: स्वास्थ्य विभाग लोगों की स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते युग हॉस्पिटल में मनमानी बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के फील गुड होने से शिकायतों के बावजूद इस अस्पताल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। इसी तरह कई अन्य नर्सिंग होमों में मरीजों के इलाज में लापरवाही से लोगों की जान जाने और अनाप-शनाप भुगतान के मामलों में भी स्वास्थ्य विभाग लीपापोती कर अपने फर्ज से मुंह मोड़ लेता है।

पिछले कुछ समय से गढ़ रोड स्थित युग हॉस्पिटल चर्चाओं में है। इस अस्पताल में गत दिनों दिल दहलाने वाली घटना हुई। यहां एक नवजात शिशु को उपचार के लिए भर्ती किया गया था। बच्चे को इंक्यूबेटर में रखा गया था। परिजनों ने जब उस बच्चे को देखा तो उसका शरीर जला हुआ था। उक्त बच्चे ने दम तोड़ दिया, जिसको लेकर परिजनों ने हंगामा किया। उसे हॉस्पिटल ने आनन-फानन में डिस्चार्ज कर दिया। परिजनों ने इस अस्पताल में बच्चे का इलाज कर रहे बाल रोग विशेष डा. विनोद आहुजा पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया।

मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, कमिश्नर व डीएम से की गई। डीएम ने सीएमओ को मामले की जांच के आदेश दिए। सीएमओ ने एक जांच कमेटी गठित कर शीघ्र रिपोर्ट देने के आदेश दिए। पिछले माह युग हॉस्पिटल में एक मरीज को आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क आपरेशन करने का भरोसा दिया, लेकिन आपरेशन के बाद उनसे 80 हजार रुपये की मांग की गई। उक्त मरीज के तीमारदारों ने हंगामा किया। इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से की गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले को दबा दिया

और कोई कार्रवाई नहीं की। इसी तरह इससे पूर्व भी कई अन्य मामलों को लेकर उक्त हॉस्पिटल चर्चाओं में रहा है। शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मामले को दबा देते हैं और कोई कार्रवाई नहीं करते। इस अस्पताल के अलावा भी कई अन्य नर्सिंग होमों में इलाज में लापरवाही से मरीजों की जान और मनमानी बिल वसूली की शिकायतें किए जाने के मामलों में भी स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता। इसलिए ऐसे नर्सिंग होमों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं।

जांच में दोषी पाए जाने पर होती है कार्रवाई: सीएमओ

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि इलाज में लापरवाही बरतने या अन्य मामलों की शिकायत मिलने पर जांच कराई जाती है। यदि जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो कार्रवाई की जाती है। यदि जांच में दोषी सिद्ध नहीं होता तो उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती।

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