- नीट परीक्षा पास करने वाले केवल 15 प्रतिशत छात्रों को ही मिल पाता है देश के प्रसिद्ध कॉलेजों में प्रवेश
- देश के प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस एक करोड़
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है। यूक्रेन के नागरिक तो देश छोड़ ही रहे हैं, अन्य देशों के जो नागरिक यूक्रेन में फंसे हैं, वे भी जल्द से जल्द युद्धग्रस्त देश से निकल जाना चाहते हैं। इसमें बड़ी तादात भारतीयों की भी है। भारत के करीब 20 हजार छात्र यूक्रेन में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
बता दें कि भारतीय छात्र यूक्रेन के अलग-अलग प्रांतों में मेडिकल पढ़ाई करने जाते है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारत के छात्रों ने डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन को ही क्यों चुना। जिसमें अधिकतर लोगों का कहना था कि भारत के मेडिकल प्राइवेट कॉलेजों से पढ़ाई करने पर हर साल 15 से 20 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन यूक्रेन में यह पढ़ाई अपने देश के मुकाबले बेहद सस्ती है।
भारत में मेडिकल की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और काफी महंगा भी। अपने देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को नीट की परीक्षा देनी होती है। हर साल औसतन 15 लाख छात्र नीट की परीक्षा देते हैं, लेकिन उसमें से केवल 15 प्रतिशत छात्रों को ही देश के प्रसिद्ध कॉलेजों में पढ़ाई करने का मौका मिल पाता है। हर साल नीट परीक्षा में साढ़े सात लाख छात्र फेल हो जाते हैं और उन्हें मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पाता है।
वहीं, जो छात्र इस परीक्षा में पास हो जाते है उनकी मुश्किलें भी कम नहीं होती है। देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कुल मिलाकर एक लाख 10 हजार सीटें है। यानि नीट परीक्षा में पास तो सात लाख छात्र होते हैं, लेकिन दाखिला केवल एक लाख 10 हजार छात्रों को ही मिल पाता है और इस तरह लगभग 14 लाख छात्र मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ही नहीं ले पाते हैं। ऐसे में अब सोचने वाली बात है कि यह छात्र कहा जाएंगे।
क्योंकि इन्हें तो मेडिकल की पढ़ाई करनी है। ऐसे में छात्र यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं। हालांकि इसके पीछे फीस भी एक बड़ी वजह है। देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई का एक साल का खर्च तीन लाख रुपये है। जबकि प्राइवेट कॉलेजों में एक साल का यही खर्च औसतन 20 लाख रुपये है। ऊपर से प्राइवेट कॉलेजों में छात्रों के माता-पिता को भारी भरकम डोनेशन भी देना पड़ता हैं, जो लाखों रुपये में होता है।
कुल मिलाकर देखे तो भारत के प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस की पांच साल की पढ़ाई का खर्च एक करोड़ रुपये हैं। जबकि यूक्रेन में हमारे देश के छात्र कम खर्च में एमबीबीएस और दूसरे कोर्स की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत आकर छात्रों को एक परीक्षा भी पास करनी होती है, जिसे एफएमजीई कहते हैं। इस परीक्षा को पास करने वाले छात्र जो यूक्रेन से पढ़ाई कर आते भारत में वह आसानी से प्रेक्टिस कर सकते हैं।