- माइनर और रजवाहे को बरसों से सफाई का इंतजार
जनवाणी संवाददाता |
फलावदा: क्षेत्र में स्थित रजवाहे और माइनर विभागीय उदासीनता के कारण किसानों के लिए बेमानी साबित होने लगे हैं। बजट में कटौती होने के कारण सफाई का कार्य अधर में लटका हुआ है। पानी टेल तक नहीं पहुंच पाने के कारण समय पर सिंचाई न होने से किसानों फसलें सूख रही है। इसके बावजूद सरकारी नुमाइंदे किसानों को सिंचाई की तमाम सुविधाएं मिलने का राग आलापने से नहीं चूक रहे हैं।
क्षेत्र के दर्जनो गांवों में किसानों के खेती की सिंचाई रजवाहे तथा माइनर पर निर्भर है। गांव झिंझाडपुर नंगला खुर्द, खाता, बड़ा गांव सनोता, दादूपुर बातनौर महलका गुडंब, मंदवाड़ी, फलावदा, खालिदपुर, सकौती नागौरी आदि तमाम गांवों के किसानों के खेतों की सिंचाई क्षेत्र में स्थित रजवाहे और माइनर के पानी से होती रही है। किसानों ने बताया कि सरकार की उदासीनता के चलते रजवाहे की सफाई बरसों से अधर में लटकी हुई है।
सालों से रजवाहे तथा माइनर की सफाई का कार्य नहीं कराया गया है। आलम ये है की कभी-कभी पानी की आपूर्ति होती है, लेकिन पानी सफाई के अभाव में टेल तक नहीं पहुंच पाता। सिंचाई का पानी नहीं मिलने के कारण किसानों की फसलें सूखने लगी है। हालांकि किसान समय-समय पर रजवाहे की सफाई की मांग करते रहे हैं, लेकिन उनके हिस्से में सिर्फ आश्वासन ही रहा है।
बताया जा रहा है कि शासन स्तर से सिंचाई विभाग को सफाई के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते सफाई का कार्य अधर में लटका रहता है। सिर्फ कागजों में ही सफाई हो रही है। इसके बावजूद सरकारी नुमाइंदे किसानों को पर्याप्त सिंचाई का पानी उपलब्ध होने का राग अलापने से नहीं चूकते। अक्सर किसानों को रजवाहे के पानी का इंतजार ही रहता है।
समय-समय पर सफाई के दावे किए जाते हैं, लेकिन सफाई न होने के कारण बदहाली की सूरत में तब्दील रजवाहे दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। रजवाहे में कभी-कभी नजर आने वाला पानी बच्चों के लिए तरणताल बनकर रह जाता है। किसानों को खेती की सिंचाई करने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कीमत भले ही ले लो सरकार, लेकिन पानी तो दो
रजवाहे में पाने टेल तक नहीं पहुंच पाने से आहत किसान सोहनपाल सिंह का कहना है कि मुलायम सरकार द्वारा सिंचाई का पानी मुफ्त किया गया था, लेकिन टेल तक पानी पहुंचना बंद हो गया। छोटे किसानों को रजवाहे से सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है, वही कुछ दबंग लोगों द्वारा कुलाबे दबाकर पानी को दूसरे किसानों को नलकूप के पानी के साथ विक्रय भी किया जाता है। उनका कहना है कि सरकार भले ही सिंचाई के पानी की कीमत वसूल है, लेकिन किसानों को समय पर सिंचाई के लिए सुचारू रूप से पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था अवश्य कराएं।
बड़े रजवाहे की सफाई के लिए आधा बजट ही मिल पा रहा है। बजट पूरा न मिलने के कारण सफाई भी आधी ही हो पा रही है। सफाई का कार्य आमतौर पर रबी और खरीफ के समय होता था। पानी के साथ रेत आने से तमाम समस्याएं रहती हैं। आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में सफाई का कार्य होता है, लेकिन फिलहाल सफाई का कार्य मुकम्मल तौर पर नहीं हो पा रहा है। शासन को बजट के लिए विभाग की ओर से लगातार प्रस्ताव भेजा जा रहा है। किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं।
-मनोज कुमार, एसडीओ, सिंचाई विभाग