- इस डाकू ने इंदिरा गांधी तक को दी थी मारने की धमकी, मेरठ का बदमाश मोनू गुर्जर शामिल था गैंग में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कुख्यात बदमाश और गैंगस्टर अनिल दुजाना कुख्यात डाकू सुंदर के गांव का रहने वाला था। इस डाकू ने एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को जान से मारने की धमकी दी थी। नोएडा के बादलपुर का दुजाना गांव कभी कुख्यात सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू के नाम से जाना जाता था। 77 और 80 के दशक में सुंदर का दिल्ली-एनसीआर में खौफ था।
उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को जान से मारने की धमकी दे दी थी। पुलिस रिकॉर्ड में 2002 में गाजियाबाद के कवि नगर थाने में इसके खिलाफ हरबीर पहलवान की हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। अनिल दुजाना जेल में रहते हुए भी अपना गैंग चला रहा था।
मुजफ्फरनगर जेल में उसने कर्नल गिरी निवासी परीक्षितगढ़, नीरज निवासी किनौली थाना शाहपुर और मोनू गूर्जर निवासी अलीपुर मोरना हस्तिनापुर को अपने गैंग में शामिल कर लिया था। जिससे इसका गैंग मुजफ्फरनगर और मेरठ में भी हो गया था। पश्चिमी यूपी में गैंगवार की शुरुआत महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर गैंग के जमाने में हुई।
इसके बाद सुंदर भाटी और नरेश भाटी गैंग के बीच गैंगवार होने लगी। दोनों सतबीर गुर्जर के गुर्गे थे। सुंदर भाटी ने 2004 में जिला पंचायत अध्यक्ष बन चुके नरेश भाटी की हत्या कर दी। इसके बाद नरेश भाटी के भाई रणदीप और भांजे अमित कसाना ने बदला लेने की ठानी। इस काम में उन्होंने दुजाना को भी शामिल किया। साहिबाबाद स्थित भोपुरा में नवंबर 2011 को सुंदर भाटी के साले की शादी थी।
वहां पहुंचकर रणदीप, अनिल दुजाना और कसाना ने एके-47 से फायरिंग की। इसमें तीन लोग मारे गए, लेकिन सुंदर भाटी बच निकला था। तब से वह पश्चिमी यूपी में चर्चा में आ गया था। अनिल दुजाना तिहरे हत्याकांड में जनवरी 2012 में पकड़ा गया। इसी बीच सुंदर भाटी गैंग ने जनवरी 2014 में उसके घर पर हमला किया। फायरिंग में दुजाना के भाई जय भगवान की मौत हो गई।
पिता ने सुंदर भाटी समेत 8 लोगों को नामजद कराया था। इसके बाद दुजाना गैंग ने सुंदर के गुर्गे राहुल का मर्डर कर दिया था। अनिल दुजाना ने जेल में रहते हुए 2015 का जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था, जिसमें वो जीत गया था। बाद में गौतमबुद्ध नगर का चुनाव निरस्त कर दिया गया था।
मुजफ्फरनगर किसी की हत्या करने जा रहा था
एएसपी एसटीएफ ब्रजेश सिंह ने बताया कि अनिल दुजाना मुजफ्फरनगर में किसी का मर्डर करने के लिये निकला था। तभी उसकी एसटीएफ से मुठभेड़ हो गई।
बरामदगी
फैक्ट्री मेड पिस्टल 32 बोर,देशी पिस्टल 32 बोर, फैक्ट्री मेड पिस्टल 30 बोर, तमंचा 315 बोर, स्कार्पियो गाड़ी डीएल 08सीडीसी 4498, 35 कारतूस 30 बोर, 23 कारतूस 32 बोर आदि बरामद हुआ।
बुलेटप्रूफ जैकेट में होती थी दुजाना की पेशी
कुख्यात बदमाश अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व कायम रखना चाहता था, जिसके चलते उसकी कई गैंगस्टरों से दुश्मनी थी और पुलिस अभिरक्षा में अनिल दुजाना पर हमलरा किये जाने के इनपुट पुलिस को मिलते रहते थे,
जिसके चलते जब भी अनिल दुजाना की पेशी मुजफ्फरनगर की अदालत में होती थी, तो वह बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ आता था। अनिल दुजाना के साथ भारी सुरक्षा बल भी मौजूद रहता था। विक्की त्यागी की मौत के बाद अनिल दुजाना को सुंदर भाटी गैंगस से जान का खतरा बना हुआ था।
दिल्ली से 60 किमी़ दूर स्थित दुजाना गांव निवासी कुख्यात अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना जरायम की दुनिया में बड़ा नाम था। उसके विरुद्ध जिला मुजफ्फरनगर सहित विभिन्न थानों में हत्या, रंगदारी, लूट आदि के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। अपराध की दुनिया में दुजाना एक जाना-पहचाना नाम था।
दुजाना की दुश्मनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े-बडेÞ अपराधियों से थी। दुजाना से अदावत रखने वालों में जहां मुजफ्फरनगर के विक्की त्यागी का नाम प्रमुख था, वहीं सुंदर भाटि गैंग से भी उसकी पुरानी अदावत थी। विक्की त्यागी की कोर्ट रूम में हत्या के बाद यह दुश्मनी को लगभग खत्म हो गयी थी, परन्तु सुंदर भाटी गैंग से उसकी दुश्मनी बरकरार थी।
अनिल दुजाना के जेल में बंद होने के कारण पुलिस को इनपुट मिलता रहता था कि अनिल दुजाना पर सुन्दर भाटी गैंग पुलिस अभिरक्षा में हमला कर सकता है, जिसके चलते पुलिस प्रशासन काफी चौकस रहता था और जब भी अनिल दुजाना की पेशी होती थी, तो उसके बुलेट प्रूफ जैकेट में लेकर आया जाता था और अनिल दुजाना के साथ बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद रहते थे। 2014 में पुलिस कस्टडी में दुजाना गैंग के सदस्य रोबिन त्यागी पर हुए हमले के बाद पुलिस ज्यादा चौकस हो गयी थी।
दुजाना गैंग के रोबिन त्यागी पर पुलिस कस्टडी में हुआ था हमला
छपार में करोड़ों की जमीन के विवाद में हुई खाद व्यापारी की हत्या के बाद रोबिन त्यागी का नाम सुर्खियों में आया था। रोबिन त्यागी को दुजाना गैंग का सक्रिय सदस्य बताया जाता था। रोबिन त्यागी का नाम जरायम की दुनिया में मशहूर हो गया था ओर दुजाना गैंग का सदस्य होने के कारण उसकी भी कई गैंगस्टरों से दुश्मनी हो गयी थी, जिनमें जिला कारागार में बंद कुख्यात गैंगस्टर विक्की त्यागी भी शामिल था।
खाद व्यापारी की हत्या के बाद जब अनिल दुजाना व रोबिन त्यागी जिला कारागार मुजफ्फरनगर में बंद थे, तो उनके तथा जेल में पहले से बंद विक्की त्यागी के बीच ठन गयी थी, जिसको लेकर जेल प्रशासन परेशान हो गया था। अनिल दुजाना, रोबिन त्यागी व उनके साथी अमित शर्मा को प्रशासन ने रासुका में निरुद्ध कर दिया था, जिसके बाद अनिल दुजाना को बांदा जेल तथा रोबिन त्यागी व उसके परिजनों को बुलन्दशहर जेल स्थानान्तरित कर दिया गया।
2014 में खाद व्यापारी की हत्या के मामले में रोबिन त्यागी, गिरीश मोहन त्यागी व अमन को एडीजे पंचम की कोर्ट में पेश किया गया था। बुलंदशहर पुलिस लाइन से दारोगा उधम सिंह, सिपाही नरेंद्र सिंह, मलखान सिंह, प्रदीप कुमार, चालक कांस्टेबल लाल बाबू तीनों बंदियों को पुलिस अभिरक्षा में मुजफ्फरनगर पेशी पर लाए थे। दोपहर बाद उक्त सभी पुलिसकर्मी तीनों को पुलिस वाहन से लेकर लौट रहे थे।
वहलना चौक से शहर कोतवाली में तैनात सिपाही बुलंदशहर के गांव पचौंडा निवासी गजेंद्र भी पुलिस वाहन में बैठ गया। गजेंद्र दो दिन के अवकाश पर घर जा रहा था। करीब पौने चार बजे पुलिस वाहन नेशनल हाइवे पर धौला पुल के पास पहुंचा, तभी बोलेरो और टाटा सफारी में सवार बदमाशों ने पुलिस वाहन पर एके-47 और पिस्टल आदि से अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
हमलावर चंद मिनटों में ही गोलियां बरसा कर फरार हो गए थे। फायरिंग में सिपाही नरेंद्र, गजेंद्र, दारोगा उधम सिंह और विचाराधीन कैदी रोबिन त्यागी गोली लगने से घायल हो गए थे। दारोगा और कैदी रोबिन को बेगराजपुर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। जिला चिकित्सालय में सिपाही नरेंद्र को मृत घोषित कर दिया गया था और गंभीर रूप से घायल गजेंद्र को मेरठ रेफर कर दिया गया था।
इस मामले का जब खुलासा उस समय हुआ, जब पुलिस ने विनोद उर्फ काला और सुनील उर्फ सोनू को 32 बोर की पिस्टल और कई जिंदा कारतूसों के साथ गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ था कि मुजफ्फरनगर जिला कारागार में बंद विक्की त्यागी ने यह हमला कराया था। यह हमला वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कराया गया था। इससे पहले विक्की त्यागी का नाम बंदी रक्षक चुन्नीलाल हत्याकांड में भी आया था।
गैंगस्टर अनिल दुजाना का मुजफ्फरनगर में भी था आतंक
एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे गये कुख्यात अनिल दुजाना का आतंक मुजफ्फरनगर में भी रहा है। छपार थाने में अनिल दुजाना के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला, गैंगस्टर व एनएसए समेत लगभग आठ मुकदमे दर्ज हैं, जिसके चलते उसकी मुजफ्फरनगर कोर्ट में पेशी हुआ करती थी।
मुजफ्फरनगर के गांव छपार में 2012 में खाद व्यापारी राजीव त्यागी की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। राजीव त्यागी हत्याकांड के चश्मदीद तथा मृतक का भाई संजीव त्यागी पुलिस सुरक्षा में रहता था। 2015 में संजीव त्यागी की भी पुलिस सुरक्षा के दौरान ही गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी।
सहारनपुर जनपद के गांव जड़ौदा पांडा निवासी सतपाल त्यागी की गांव छपार में करोड़ों की कीमत की जमीन के विवाद में गत आठ जनवरी 2012 को छपार निवासी खाद व्यापारी संजीव त्यागी की स्वचालित हथियारोें से हमला करके उस समय हत्या कर दी गयी थी। जब वह अपनी दुकान पर बैठा हुआ था। संजीव की हत्या के संबंध में 50 हजार के इनामी रहे चर्चित अनिल दुजाना, रोबिन त्यागी, अनिल शर्मा व आनंद के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया।
पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। खाद व्यापारी संजीव त्यागी के भाई राजीव त्यागी ने इस हत्याकांड की पैरवी की, तो गत 18 सितम्बर 2013 को उसकी भी उसी अंदाज में हत्या कर दी गयी, जिस ढंग से उसके भाई संजीव की हत्या की गयी थी।
उस समय संजीव की हत्या में नामजद अनिल दुजाना व रोबिन त्यागी समेत चारों आरोपी जेल में बंद थे। राजीव हत्याकांड में अनिल दुजाना व रोबिन त्यागी को 120बी का आरोपी बनाया गया था, जबकि प्रमोद त्यागी, भारत, सैंकी, अखिलेश व एक अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया। अपने दोनों भाइयों की पैरवी मनोज त्यागी ने करनी शुरू की।
मनोज की जान को खतरा मानते हुए उसे पुलिस की सुरक्षा उपलब्ध करा दी गयी थी। पुलिस सुरक्षा के बावजूद विगत 12 नवम्बर 2013 व 11 मई 2014 को एके 47 से उसके घर पर ही अंधाधुंध फायरिंग की गयी थी। दोनों बार मौके से एके 47 के खोखे भी बरामद किये गये। पुलिस की माने तो अनिल दुजाना गैंग के पास स्वचालित हथियार थे, जिनमें एके 47 भी शामिल थी।