- ट्रैफिक पुलिस ने कसी कमर, आज से नहीं चलने दी जाएंगी शहर की सड़कों पर अवैध ई-रिक्शाएं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर में करीब 50 हजार ई-रिक्शाएं हैं, जो जाम की वजह बनी हुई हैं। 50 हजार में से महज 3426 ई-रिक्शाएं ऐसी हैं, जिनको ट्रैफिक पुलिस वैध मानती हैं। मसलन 50 दिनी अभियान में जिन पर स्टीकर लगाए जा सके हैं।
दरअसल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नियम कायदों को रौंदते हुए सड़कों पर बेतहाशा दौड़ रहीं ई-रिक्शाओं की सुध ली गयीं। रूट निर्धारण का प्लान बनाया गया। तमाम लोग जमा हुए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। आज एक बार फिर से आॅपरेशन ई-रिक्शा शुरू होने जा रहा है, जिसमें अवैध ई-रिक्शाओं की धरपकड़ की जानकारी दी गयी है।
इनकी वजह से पूरे शहर का ट्रैफिक डि-रेल हो गया है। पीएल शर्मा रोड, लालकुर्ती पैंठ एरिया, सदर बाजार के अलावा शहर घंटाघर का खैरनगर, वैली बाजार, कोटला, कबाड़ी बाजार, लाला का बाजार, शहर सराफा बाजार और सबसे बुरा हाल जलीकोठी व अहमद रोड का बना हुआ है। उक्त इलाकों में कई बार तो हालात इतने ज्यादा खराब होता हैं कि पैदल निकला भी दुश्वार हो जाता है। वहीं, दूसरी ओर एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि आज से ई-रिक्शाओं के खिलाफ अभियान शुरू किया जा रहा है। सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।
बिजली चोरी और रेवेन्यू लॉस
दूसरी बात ये है कि ई-रिक्शा की चार्जिंग 80 फीसदी घरेलू कनेक्शन से की जा रही है, जो अवैध है। दरअसल, जितने ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, उस अनुपात में पीवीवीएनएल के कामर्शियल चार्जिंग स्टेशन नहीं है। यदि घरेलू कनेक्शन से ई-रिक्शा की बैट्री चार्ज की जा रही है तो वह भी राजस्व की हानि है।
न उम्र की सीमा और न ही लाइसेंस का बंधन
महानगर की सड़कों को रौंद रहे ई-रिक्शा के हैंडल जिनके हाथों में नजर आते हैं। उनमें अक्सर वो होते हैं, जिनके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। जैंडर की बात करना तो बेमान होगा। अक्सर भीड़ वाले इलाकों में किशारों के हाथों में ई-रिक्शा के हैंडल नजर आते हैं या फिर ऐसे उम्रदराज भी ई-रिक्शा दौड़ाते देखे जा सकते हैं, जो जिंदगी के 70 से ज्यादा बसंत देख चुके हैं। उम्र के इतर कभी भी ई-रिक्शाओं के लाइसेंसों की चेकिंग होते नहीं देखी जाती।
सुविधा नहीं, मुसीबत ही मुसीबत
शहर में ई-रिक्शा से लोगों को आने-जाने में सुविधा कम मुसीबत ज्यादा हो रही है। ई-रिक्शा का चलना शुरू हुआ। इसे सिर्फ मेन रोड में ही चलाने की अनुमति मिली। अब जहां देखो ई-रिक्शा ही दिखाई दे रहा है यह महानगर में ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का कारण भी बन रहा है। ठोस रुल्स एंड रेगुलेशन नहीं होने के कारण धड़ल्ले से कोई भी ई-रिक्शा खरीदकर या फाइनेंस कराकर रोड पर उतर जा रहा है। ई-रिक्शा वाले अनाप-शनाप किराया लेकर पब्लिक की जेब काट रहे हैं। बढ़ती ई-रिक्शों की संख्या अव्यवस्था फैला रही है। अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध ई-रिक्शों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।
यातायात माह की शुरुआत भयंकर जाम से
मेरठ: प्रदेश भर में हर साल पहली नवंबर से यातायात माह मनाया जाता है। इस साल भी पहली नवंबर से यातायात माह शुरू हो गया, इस दौरान पूरे सिस्टम का जोर सड़कों पर चलने वालों को नियम कायदों का पालान कराने पर होता है, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो यहां यातायात माह की शुरुआत जाम से हुई। जाम भी ऐसा कि काम तमाम हो गया।
हाइवे जहां से गाड़ियां फर्राटा भरती हुई निकली चाहिए दो दिन पहले वहां करीब छह घंटे भयंकर जाम रहा। हजारों गाड़ियां दौड़ना तो छोड़िए चलने के बजाए रेंग रही थीं। हालात बद से बदतर हो गए और नौबत एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा की खुद सड़क पर उतरने की आ गयी। भारी भरकम स्टॉफ के साथ वह मौके पर पहुंचे, तब जाकर कहीं जाम खुल सका।
जाम की लखनऊ तक गूंज
हाइवे के जाम की लखनऊ तक गूंज सुनाई दी थी। दरअसल, कई वीवीआईपी व वीआईपी इस जाम में फंस गए थे। लखनऊ में बैठे आला अफसरों के फोन घनघना दिए। पूछा कि मेरठ में कैसा सिस्टम है। यातायात माह चल रहा है और यह हाल है। 20 मिनट का रास्ता तय करने में दो घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। लखनऊ तक फोन खड़के तो अगले दिन आईजी नचिकेता झा ट्रैफिक कंट्रोल रूम आ धमके।
ट्रैफिक कंट्रोल रूम में लगे कैमरों की मदद से जाम की वजह तलाशने की कोशिश की गई तो कई खामियां पकड़ में भी आ गयीं। यह स्थिति तो तब है, जब यातायात माह चल रहा है। अधिकाारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन के चलते यातायात माह की हिदायतों व इंतजामों को धरातल पर उतरने में त्योहारी सीजन की वजह से इस बार देरी हो गई है, वैसे फाइलों में मेरठ में पहली नवंबर से यातायात माह शुरू हो गया है।
आज से अभियान
एसपी ट्रैफिक ने बताया कि बुधवार से विशेष अभियान की शुरुआत की जा रही है। किसी भी चौराहे पर जाम नहीं लगाने दिया जाएगा। इसके लिए सख्त हिदायत दी गयी हैं। लोगों को हर दशा में राहत मिलेगी।