बुजुर्गों की सेहत को लेकर इस साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लॉन्गिट्यूडनल एजिंग स्टडी इन इंडिया नामक एक रिपोर्ट जारी की गई है। यह बुजुर्गों की स्थिति पर भारत का पहला और दुनिया का संभवत: सबसे बड़ा सर्वे है। रिपोर्ट में भारतीय बुजुर्गों में व्याप्त भूख, कुपोषण व उनमें व्याप्त गंभीर बीमारियों पर बेहद चिंताजनक व चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार पैंतालीस या उससे अधिक आयु वर्ग के लगभग आधे भारतीय बुजुर्गों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) अनुपयुक्त व अवांछित है। इस आयु वर्ग के लगभग 21 प्रतिशत बुजुर्ग उम्र के मुकाबले कम वजन और इतने ही अधिक वजन से जूझ रहे हैं। वहीं सात प्रतिशत बुजुर्ग मोटापे का शिकार हैं। सर्वे के अनुसार शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों के बुजुर्गों में अल्पपोषण की समस्या अधिक गंभीर है। महिलाओं में उम्र के मुकाबले अधिक वजन और मोटापे की समस्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक है। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे दो बड़े राज्यों में इस आयु वर्ग के लोगों में अतिपोषण का मामला सर्वाधिक है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान की मानें तो भारतीय पुरुषों व महिलाओं का आदर्श वजन क्रमश: 65 और 55 किलोग्राम अपेक्षित है।
इस लिहाज से 60-79 आयु वर्ग के 27 प्रतिशत जबकि 45-59 आयु वर्ग के 16 प्रतिशत भारतीय बुजुर्ग उम्र के मुकाबले अधिक वजन के शिकार हैं। देश में बुजुर्गों में मोटापे की समस्या भी काफी चिंताजनक है। आंकड़े के अनुसार 45-59 आयु वर्ग के 33 प्रतिशत और 60-79 आयु वर्ग के 23 प्रतिशत बुजुर्ग मोटापे से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट में दिल्ली, चंडीगढ़ व पंजाब के पैंतालीस या उससे अधिक आयु वर्ग के लगभग आधे बुजुर्ग अतिपोषण हैं या फिर मोटापे का शिकार बताया गया है। मेघालय और छत्तीसगढ़ में इस आयु वर्ग के 15 प्रतिशत बुजुर्ग उम्र की अपेक्षा अधिक वजन वाले हैं जो किसी अन्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की तुलना में सर्वाधिक है।
पैंतालीस या उससे ऊपर आयु वर्ग के लोगों में अल्पपोषण का मामला भी काफी गंभीर है। इस मामले में छत्तीसगढ़ की तस्वीर सर्वाधिक खराब है जहां हर तीसरा बुजुर्ग इसका सामना कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड को छोड़कर ‘एंपावर एक्सन ग्रुप’ में शामिल भारत के आठ कम विकसित राज्यों से सात राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और राजस्थान में कुपोषण का मामला 21 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। गौरतलब है कि इस आयु वर्ग के 8 प्रतिशत लोग दुखद रूप से घरेलू खाद्य उपलब्धता का अभाव झेल रहे हैं, जिसके कारण वे कम भोजन नसीब होता फिर पूरा दिन बिना भोजन ही रहना पड़ जाता। मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश में ऐसे बुजुर्गों की संख्या सर्वाधिक जबकि राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में सबसे कम है। बिहार व उत्तरप्रदेश में इस आयु वर्ग के 6 जबकि मध्यप्रदेश के 7 प्रतिशत लोगों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रूप से पूरे दिन भोजन नसीब नहीं हो पाता। उपरोक्त तीनों राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे लोगों की संख्या पांच प्रतिशत से कम है।
इसके अलावा इस सर्वे के दौरान बुजुर्गों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी हेतु किए गए स्वास्थ्य जांच से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 7.5 करोड़ बुजुर्ग किसी न किसी गंभीर बीमारी जबकि 27 प्रतिशत बुजुर्ग एक से अधिक खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं। तकरीबन 40 प्रतिशत बुजुर्ग किसी न किसी रूप से अपंगता, 20 प्रतिशत बुजुर्ग मानसिक रोग से जूझ रहे हैं।
सर्वे में सिक्किम को छोड़कर शेष सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 45 वर्ष या उससे ऊपर के 72,250 स्त्री-पुरुषों का अध्ययन किया गया जिसमें 60 वर्ष या उससे ऊपर के 31,464 जबकि 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 6,749 बुजुर्ग शामिल हैं। इस दौरान साठ से अधिक उम्र के दो तिहाई बुजुर्गों का स्वास्थ्य जांच किया गया जिसमें 77 प्रतिशत हाइपरटेंशन, 74 प्रतिशत हृदय रोग, 83 प्रतिशत डाइबिटीज, 72 प्रतिशत फेफड़ा रोग, 75 प्रतिशत कैंसर जबकि 41 प्रतिशत मानसिक रोग झेल रहे बुजुर्गों का मामला सामने आया। इस दौरान इनमें बड़े पैमाने पर हाइपर टेंशन, दृष्टि हीनता के अलावा स्ट्रोक जैसी बीमारियों का भी पता चला है।
बुजुर्गों में व्याप्त व्यापक कुपोषण और खतरनाक बीमारियों की कई वजह हो सकती हैं। उम्र के साथ उनके अंदर आया शारीरिक और क्रियात्मक बदलाव सबसे प्रमुख कारण है। सर्वेक्षण के अनुसार लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्यों में पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्धता है जबकि केरल छोड़कर अन्य सभी दक्षिणी राज्यों इसकी कमी का मामला सामने आया है।
इसके अलावा सामाजिक संरचनात्मक परिवर्तन भी इसका एक कारण है, जहां बुजुर्ग की देखभाल ठीक ढंग से नहीं हो पाती। गौरतलब है कि दुनिया भर में बुजुर्गों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज हो रही है। दुनिया भर में 60 या उससे अधिक आयु के वृद्धों की संख्या वर्ष 2050 लगभग एक अरब पचास करोड़ अनुमानित है।
दुनिया के कुल बुजुर्गों की लगभग आठ प्रतिशत आबादी भारत में निवास करती है। वर्ष 2050 तक भारत बुजुर्गों की संख्या लगभग 31 करोड़ अनुमानित है। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट देश के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। यदि सरकार बुजुर्गों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए मजबूत नीतिगत योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं करती है तो देश भूख, खाद्य सुरक्षा के अलावा बेहतर पोषण व बेहतर स्वास्थ्य जैसे सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के सपने से काफी पीछे छूट जाएगा। भारत का वैश्विक शक्ति व विश्वगुरु बनने का सपना कमजोर और अधूरा पड़ जाएगा।