Friday, June 13, 2025
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राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव, ऐसे होता है यह इलेक्शन

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। देश के तीन राज्यों की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी चल रही है। इन सीटों पर 24 जुलाई को मतदान होगा।

आइये जानते हैं कि तीन राज्यों में राज्यसभा चुनाव का चुनाव कैसे होता है? यहां के मौजूदा समीकरण क्या हैं?

निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा की 10 सीटों के लिए मतदान का ऐलान कर दिया है। 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। आयोग की घोषणा के मुताबिक अधिसूचना छह जुलाई को जारी की गई है। नामांकन की अंतिम तारीख 13 जुलाई है। मतदान और मतगणना 24 को होगी।

बता दें कि गोवा की एक, पश्चिम बंगाल की छह और गुजरात की तीन सीटें शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में डोला सेन, डेरेक ओ’ब्रायन, प्रदीप भट्टाचार्य, सुष्मिता देव, सुखेंदु शेखर रे और शांता छेत्री का कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा, गुजरात में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, दिनेश जेमलभाई अनावडिया और लोखंडवाला जुगल सिंह माथुरजी का कार्यकाल भी इसी तारीख को खत्म हो रहा है। गोवा में विनय तेंदुलकर का कार्यकाल 28 जुलाई को खत्म होने जा रहा है।

कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा सदस्य

राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होता है। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव उस राज्य की विधानसभा के चुने हुए विधायक करते हैं, जिस राज्य से वह उम्मीदवार है।

राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव से काफी अलग है, क्योंकि इस सदन के लिए मतदान सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं। चूंकि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। राज्यसभा चुनावों के नतीजों के लिए एक फॉर्मूला भी तय किया गया है।

ये है चुनाव नतीजों फॉर्मूला

जिस राज्य की राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हो रहे हैं, उस राज्य के विधायक इसमें वोट डालते हैं। इन चुनाव में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह वोट नहीं पड़ते। यहां विधायकों को वरीयता के आधार पर वोट डालना होता है।

विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। इसी तरह विधायक चाहे तो सभी उम्मीदावारों को वरीयता क्रम दे सकता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट अमान्य हो जाता है। इसके बाद विधानसभा के विधायकों की संख्या और राज्यसभा के लिए खाली सीटों के आधार पर जीत के लिए आवश्यक वोट तय होते हैं। जो उम्मीदवार उस आवश्यक संख्या से अधिक वोट पाता है वह विजयी घोषित होता है।

इसे समझने के लिए गुजरात का उदाहरण लिया जा सकता है। यहां विधायकों की कुल संख्या 182 है। वहीं, कुल तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। हर एक सदस्य को राज्यसभा पहुंचने के लिए कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए इसके लिए एक तय फॉर्मूला है। यह फॉर्मूला यह है कि कुल विधायकों की संख्या को जितने राज्यसभा सदस्य चुने जाने हैं, उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है।

इस बार यहां से तीन राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है। इसमें एक जोड़ने से यह संख्या चार होती है। अब कुल सदस्य 182 हैं तो उसे चार से विभाजित करने पर 45.5 आता है। यानी गुजरात से राज्यसभा सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को 46 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। अगर विजेता का फैसला प्रथम वरीयता के वोटों से नहीं होता तो उसके बाद दूसरी वरीयता के वोट गिने जाते हैं।

कांग्रेस ने गुजरात में उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा क्यों की?
कांग्रेस ने गुजरात से राज्यसभा उम्मीदवरों के नाम की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस ने कहा कि क्योंकि उसके पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं, इसलिए हम अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, ‘हमने राज्य में आगामी राज्यसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को नामांकित नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि हमारी पार्टी के पास 182 सदस्यीय विधानसभा में आवश्यक संख्या बल नहीं है। इसके अतिरिक्त, हम चुनावी जीत हासिल करने के लिए अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों की खरीद-फरोख्त से बचते हैं।’

दरअसल, राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा में 156 सीटें भाजपा के पास हैं और कांग्रेस के महज 17 विधायक हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 46 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। भाजपा को छोड़कर अगर अन्य दलों के विधायकों का भी समर्थन कांग्रेस को मिल जाता है तो भी यह आंकड़ा 26 तक ही पहुंचेगा। जो जीत के लिए पर्याप्त नहीं है।

तो क्या गुजरात की तीनों सीटों पर भाजपा की जीत तय है?
संख्या बल के लिहाज से भाजपा का तीनों सीट पर जीतना तय है। वहीं, गोवा में भी भाजपा के उम्मीदवार का जीतना तय माना जा रहा है।

बंगाल में सबसे ज्यादा छह सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। यहां टीएमसी ने सोमवार को ही अपने छह उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। राज्य में 294 विधानसभा सीटें हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 43 वोट की जरूरत होगी। अभी राज्य में टीएमसी गठबंधन के 221 विधायक हैं। ऐसे में उसके पांच उम्मीदवारों का जीतना तय माना जा रहा है। वहीं एक सीट के लिए भाजपा की दावेदारी मजबूत है। जिसके सदन में 70 विधायक हैं।

जिन सांसदों का कार्यकाल खत्म होने वाला है, उनमें सबसे बड़ा चेहरा विदेश मंत्री एस जयशंकर का है। उन्होंने गांधीनगर में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। हालांकि, भाजपा ने आधिकारिक तौर पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है, लेकिन एस जयशंकर का नामांकन निश्चित था।

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