Friday, July 5, 2024
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इलेक्टोरल बांड पर सवाल उठाने वाले बेनकाब, भाजपा के बाद ममता की टीएमसी और कांग्रेस ने सर्वाधिक बांड कैश कराए, सपा के अखिलेश यादव भी पीछे नहीं, पढ़िए पूरी सूची

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग रविवार को एक चुनावी बॉन्ड से जुड़े ताजा आकंड़े जारी है। जिसमें पार्टी को मिले चंदे का जिक्र किया गया है। जारी आकंड़ों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड के सबसे बड़े खरीदार फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके को 509 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।

2018 में चुनावी बॉन्ड की शुरुआत के बाद से मिले धन के मामले में भाजपा सबसे आगे है, कुल ₹6,986.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला। भाजपा के बाद तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड को भुनाए। पश्चिम बंगाल की टीएमसी को 1397 करोड़, कांग्रेस को 1334 करोड़ और बीआरएस को 1322 करोड़ का चंदा मिला।

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क्षेत्रीय पार्टियों पर नजर डाली जाए तो ओडिशा की बीजू जनता दल(बीजेडी) को 944.5 करोड़, डीएमके को 656.5 करोड़, वाईएसआर कांग्रेस को 442.8 करोड़ रुपये का चंदा मिला। जबकि जद(एस) को 89.74 रुपये का चंदा मिला, जिसमें चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़े खरीददार मेघा इंजीनियरिंग से 50 करोड़ रुपये भी शामिल है।

तेलगू देशम पार्टी(टीडीपी) ने 181.35 करोड़ रुपये, शिवसेना ने 60.4 करोड़ रुपये, राजद ने 56 करोड़ रुपये, समाजवादी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये, अकाली दल ने 7.26 करोड़ रुपये, एआईएडीएमके ने 6.05 करोड़ रुपये, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 50 लाख रुपये के बॉन्ड भुनाए।

चुनावी बॉन्ड के जरिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 50 लाख का चंदा मिला है। आम आदमी पार्टी ने समेकित दान का आंकड़ा नहीं दिया, लेकिन SBI के रिकॉर्ड से पता चलता है कि उसे 65.45 करोड़ मिले।

भारतीय स्टेट बैंक ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करने के लिए अधिकृत वित्तीय संस्थान है।

एसबीआई को 12 मार्च तक उन संस्थाओं का विवरण चुनाव आयोग को सौंपा था, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे थे और राजनीतिक दलों ने उन्हें भुनाया था। शीर्ष अदालत के आदेश के मुताबिक, निर्वाचन आयोग द्वारा जिसे सार्वजनिक किया गया।

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