Wednesday, October 16, 2024
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इलेक्टॉनिक वॉरफेयर भविष्य के लिए खतरनाक

Samvad 47

08 14लेबनान बेरुत में एक दिन पहले पेजर और उसके बाद वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम में विस्फोट से दर्जनों मौत और हजारों की संख्या में हताहत के बाद अब यह साफ हो गया है कि दुनिया के किसी भी कोने के कोई भी व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करता हो तो यह उसकी गलतफहमी होगी। दरअसल, लेबनान की घटना विरोधी से बदला लेने का नया हथियार सामने आ गया है। दुर्भाग्यजनक बात यह है कि यह दुश्मन से बदला लेने का साधन नहीं होकर के आतंक का नया हथियार भी हो सकता। दुनिया में आतंकवादी गतिविधियों को इससे बढ़ावा ही मिलेगा। इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर का यह नया अंदाज अपने आप में गंभीर और अत्यधिक चिंताजनक हो गया है। मौत के तांडव का यह नया तरीका और भी अधिक विनाशक होने के साथ ही गंभीर है। लगता है जैसे विनाश का हथियार विनाशक लोगों के हाथ में आ गया है। अब इसके दुरुपयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हो गई है।

लेबनान में हजारों पेजरों, वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम में विस्फोट से यह साफ हो गया कि इलेक्ट्रोनिक डिवाइसों का उपयोग विनाश, आतंक फैलाने या इसी तरह की दूसरी गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है। लेबनान में एक साथ हजारों की संख्या में पेजरों में विस्फोट को लेकर संभावनाओं का बाजार गर्म है। होने में तो यह एक तरह का साइबर अटैक कहा जा सकता है पर चूंकि अभी आरंभिक स्थिति है ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि या तो डिवाइस को हैक करके यह कार्रवाई की गई है या फिर पेजर जहां से खरीदे गए हैं वहां से ही इसमें कोई विस्फोटक प्लांट किया गया है और जिसका परिणाम मौत और हताहतों के रूप में सामने आ रहा है। जानकारों के अनुसार एक तरह से इसे इलेक्ट्रोनिक वॉरफायर भी कहा जा सकता है। हालांकि इस घटना के लिए इस्राइल पर निशाना साधा जा रहा है, वहीं पेजर सप्लाई करने वाली ताइबान की कंपनी भी शक के दायरे में हैं। लगभग यही स्थिति वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम के विस्फोट को लेकर है।

ईरान समर्थित हिज्जबुल्ला संगठन हमास पहले से ही इस तरह की घटना के प्रति इस मायने में सचेत था कि उसे यह शक था कि सेलफोन के माध्यम से इस तरह की घटना के साथ ही हमास की गतिविधियों की जासूसी संभावित है। ऐसे में हमास ने अपने प्रमुख समर्थकों को पेजर का उपयोग करने की ही सलाह दी इुई थी। पिछले दिनों ही ताइबान से 5000 पेजर मंगवाये गए थे। वॉकी-टॉकी भी लगभग पांच माह पहले खरीदे गए थे। यह कयास लगाया जा रहा है कि पेजर सप्लाई करने से पहले उसमें कोई इस तरह की चिप इंप्लांट कर दी गई थी जो एक निश्चित तापमान पर आते ही विस्फोट हो जाए। दूसरी और यह भी कयास है कि पेजर को हैक करके बैटरी का तापमान बढ़ाकर विस्फोट किया गया हो। लगभग यही कुछ वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम को लेकर है।

सवाल यह नहीं है कि इन विस्फोटों से कितने लोग मरे या हताहत हुए, सवाल यह भी नहीं है कि इसके लिए निर्माता कंपनियां दोषी हैं या हैक करने वाले, सवाल यह भी नहीं हैं कि आपसी बदले की भावना से यह किया गया है या अन्य कोई कारण, सवाल यह भी नहीं है कि यह किसके द्वारा करवाया गया है। सवाल सीधा सीधा यह है कि आर्थिक उदारीकरण के दौरान दुनिया सिमट के रह गई है। अधिकांश जरूरत की चीजों में चिपों का इस्तेमाल आम है। इलेक्ट्रोनिक्स और इलेक्ट्रिकल क्रांति के इस युग में देखा जाए तो फिर कुछ भी सुरक्षित नहीं है। पेजर, वॉकी-टॉकी या सोलर सिस्टम तो एक बहाना है। यदि इस तरह की संभावनाएं है तो इलेक्ट्रोनिक क्रांति के चलते क्या गरीब और क्या अमीर सभी के पास एंड्रोइड मोबाइल व अन्य उत्पाद आम है। इसके साथ ही कंम्प्यूटर, टेबलेट्स, नोटबुक, लेपटॉप आदि का उपयोग आम है और इनको हैक किया जाना तो आसान माना जाता है। पिछले दिनों जिस तरह से माइक्रोसॉफ्ट को चंद समय के लिए हैक कर दिया गया था या सोशियल मीडिया साइट वाट्सएप आदि को हैक कर भले ही कुछ समय के लिए ही हो पर हैकरों ने अपनी ताकत दिखा ही दी। हालत तो यह है कि अब तो लक्जरी गाड़ियों में डिवाइस का उपयोग होने लगा है। इसी तरह से घर में दैनिक उपयोग के एसी, फ्रिज, इंडक्शन, अन्य उत्पाद आदि जिस जिस में भी डिवाइस लगी होती है, उसमें सिस्टम में कुछ भी गलत कर सप्लाई करने और कभी भी दुरुपयोग करने की संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता है।

डिजिटल अरेस्ट, साइबर क्राइम आदि जब आज आम होता जा रहा है तो इलेक्ट्रोनिक वारॅफेयर तो नए जमाने का नया संकट पैदा हो गया। ऐसे में किसी भी सिरफिरे व्यक्ति या आतंकी नेता या देश द्वारा इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने की संभावनाएं बढ़ गर्इं। यह अपने आपमें मानवता के लिए नया संकट हो गया है। समय रहते इसकी काट बनानी होगी नहीं तो किसी के पागलपन का शिकार निर्दाेष लोगों को होना पड़ सकता है। यह अपने आप में गंभीर और चिंतनीय स्थिति है। यह कोई लेबनान की समस्या नहीं है, ना ही यह पेजर, वॉकी-टॉकी और सोलर सिस्टम में ब्लास्ट तक सीमित है। बल्कि यह तो नए तरह का आतंक है। सीरियल बम विस्फोट से भी अधिक गंभीर है इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर। जब दुनिया के किसी कोने में बैठा खुराफाती किसी भी कम्प्यूटर, लेपटॉप आदि को हैक कर नुकसान पहुंचा सकता है, आपकी सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, उस जानकारी के दुरुपयोग की संभावनाएं और अधिक हो गर्इं हैं। क्योंकि जिस तरह से हमारी निर्भरताएं इलेक्ट्रोनिक उत्पादों पर लगातार बढ़ती जा रही हैं, उसी तरह से विनाश की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं।

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