Friday, July 5, 2024
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भावनात्मक आघात, पैनिक अटैक

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‘पैनिक’ एक आम अनुभूति है। आदिमानव हो या इंटरनेट मानव, इस अनुभति से बच पाना किसी के लिए संभव नहीं है। चुनौतियों से टकराए बिना सभ्यता का विकास संभव नहीं है। वीरतम, धीरतम और गंभीरतम व्यक्ति भी अपने जीवन के किसी कमजोर क्षण में पैनिक से ग्रस्त अवश्य हो जाता है। पैनिक का अर्थ होता है अचानक आ जाने वाला भय या डर। यह भय किसी भी कारण से व्याप्त हो सकता है। अचानक अधूरा समाचार सुनकर, तगादेदार के आने पर, किसी चोरी या पाप कर्म के पकड़े जाने का भय या परीक्षा में फेल हो जाने का भय आदि अनेक कारण होते हैं जो पैनिक के कारण हो सकते हैं।  ‘पैनिक अटैक’ बार-बार होने वाला एक प्रकार का चिंता का रोग है, जो लगभग 25 प्रतिशत लोगों को अपने घेरे में ले चुका है। यह रोग पुरूषों की तुलना में स्त्रियों में दो-तीन गुना अधिक देखा जाता है।

इस रोग में निम्नांकित लक्षण अधिक देखे जाते हैं-

  • हृदय की गति का तेज हो जाना, धडकन का बढ़ जाना तथा हृदय के दाहिने भाग में शॉक-सा झटका लगना।
  • पसीना आना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
  • हाथ-पांव या पूरे शरीर में कंपन आ जाना, दम फूलना अथवा घुटन महसूस होना।
  • कंठ अवरूद्ध होना, छाती में दर्द, उल्टी तथा पेट में अकड़न के साथ गैस का अनुभव।
  • हाथ-पांव में झिनझिनी, उदासी, मृत्यु का भय बना रहना तथा मस्तिष्क पर नियंत्रण खो देने का डर बना रहता है।

ये लक्षण थोड़े समय के लिए ही होते हैं। सामान्यत: इनका अटैक 20 से 30 वर्ष के बीच पहली बार प्रकट होता है। जानकारी के अनुसार बच्चों और किशोरों में भी इसका अटैक होता है। चिंता, शोक, अधिक मैथुन, व्यभिचारिता आदि इस रोग के सामान्य सहचर कहे जाते हैं। मद्यपान, धूम्रपान, वेश्यागमन भी इसके कारण होते हैं।

आमतौर पर पैनिक का पहला अटैक स्वत: स्फूर्त होता है किंतु कभी-कभी उत्तेजना, थकान, कामक्रिया अथवा मामूली भावनात्मक आघात के बाद होता है। अटैक की अवधि 20-30 मिनट की होती है। जब कभी यह एक घंटे से अधिक बढ़ जाती है तो बड़ी पीड़ाप्रद हो जाती है।

पैनिक अटैक हृदय रोग के लक्षणों के समान होते हैं जिससे रोगी को हृदय रोग के हो जाने का भय हो जाता है और वह चिकित्सक के पास जाकर उपचार के लिए तत्पर हो जाता है, परंतु वास्तव में यह रोग एक मनोरोग है जिसका उपचार मनोरोग विशेषज्ञ ही कर सकते हैं।

पैनिक अटैक के रोगी को चाय, कॉफी, तम्बाकू, सिगरेट, शराब तथा अन्य नशीली वस्तुओं का एकदम से त्याग कर देना चाहिए। खान-पान पर नियंत्रण करके, नियमित व्यायाम तथा योगासन करके पैनिक अटैक के आघातों से बचा जा सकता है। पैनिक अटैक को मामूली समझना भी विनाशकारी होता है।

पैनिक की स्थिति का निदान अगर समय पर न किया जाए तो यह आत्मघाती भी हो सकता है। कुछ मामलों में यह शारीरिक थकावट या अनिद्रा का रूप ले सकती है या अन्य मामलों में यह शराब या मादक पदार्थों के सेवन की आदत को भी डाल सकती है। पैनिक की चरम अवस्था में एक स्थिति ऐसी भी आ जाती है, जब रोगी का व्यवहार बिलकुल उल्टा हो जाता है। वे एकदम अंतमुर्खी हो जाते हैं और दूसरों से बात करना तक पसंद नहीं करते।

पैनिक के रोगी का उपचार किस पद्धति से हो, यह आधारित होता है पैनिक के प्रकारों पर। यदि पैनिक तीव्र हो, रोगी का आत्महत्या करने का इरादा दिनों-दिन मजबूत होता जा रहा हो तो उसे इलेक्ट्रोथेरेपी का सहारा लेना पड़ता है। किसी अवैध संबंधों के कारण अगर पैनिक का अटैक होता है तो उस रोगी को आत्मविश्वास का सहारा लेना होता है और उस संबंध का त्याग करना होता है। रोग के उपचार के साथ ही निम्नांकित सुझावों पर अमल करके पैनिक अटैक से बचा जा सकता है।

  • आशावादी दृष्टिकोणों को अपनाकर अपनी असफलताओं, दुखों, बीती हुई बातों को छोड़कर सफलताओं और सुखों की घटनाओं का ही स्मरण करिए।
  • केवल अपने बारे में ही न सोचकर संसार के बारे में सोचें। दूसरों के दुखों का ध्यान करके अपने दुखों को भूलने का प्रयत्न कीजिए।
  • कभी खाली न बैठें क्योंकि खाली दिमाग आपके मन में अनेक कुविचारों को जन्म देगा। कोई न कोई काम करते रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है और पैनिक का अटैक कम होता है।
  • नींद की गोलियां कतई न लें और न ही मद्यपान करें। अगर नींद न आए तो शारीरिक श्रम या व्यायाम करें।
  • मनोरंजक साहित्य पढ़ें, ऐतिहासिक आध्यात्मिक घटनाओं पर आधारित चरित्रों का अध्ययन करें ताकि आत्मविश्वास में वृद्धि हो।
  • डरावने कथानक वाले साहित्य, भयानक दृश्यों वाले सीरियलों को देखना बंद कर दें।
  • प्रात:काल सूर्योदय से पहले जागने को चेष्टा कीजिए तथा रात्रि में सोने में शीघ्रता कीजिए।
  • ईश्वर के प्रति आस्था रखिए तथा किसी भी कार्य को निबटाने में विलंब मत करिए।

दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी मत सोइए क्योंकि इससे दिमागी तरंगें बढ़ जाती हैं जिससे उल्लासहीनता, बेचैनी और सामान्य सुस्ती तो पैदा होती ही है, बुरे स्वप्न भी दिखाई देते हैं। जो विचार हमारे अन्दर पनप रहे हैं, वही विचार स्वप्न के रूप में भी आते हैं। इस प्रकार पैनिक अटैक को बल मिलता है।

                                                                                                         आनंद कुमार अनंत


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