Monday, July 1, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादबालवाणीबच्चे के व्यवहार परिवर्तन में महत्वपूर्ण हैं प्रोत्साहन और सम्मान

बच्चे के व्यवहार परिवर्तन में महत्वपूर्ण हैं प्रोत्साहन और सम्मान

- Advertisement -

आज बच्चा सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों से बहुत प्रभावित नजर आता है। अभिभावक और शिक्षक को इसी प्रभाव का लाभ उठाकर, सोशल मीडिया और संचार माध्यमों के सकारात्मक पक्ष का प्रयोग करते हुए उसे अच्छी बातों के लिए प्रोत्साहित करना है। जैसे बच्चे के द्वारा स्वरबद्ध की गई किसी कविता को सोशल मीडिया पर अपलोड करके आदि आदि कई ऐसी गतिविधियां हैं, जो बच्चे में अच्छे संस्कारों और गुणों का समावेश कर सकती हैं।

क्या बच्चों को मान सम्मान देकर, उनके व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाए जा सकते हैं या ऐसा करने से बच्चे के और अधिक बिगड़ने का जोखिम रहता है? यह एक ऐसा प्रश्न है, जिस पर शिक्षा विशेषज्ञों की राय अलग-अलग हो सकती है। परिवर्तन जीवन का एक शाश्वत सत्य है। इस परिवर्तन प्रक्रिया के साथ साथ मनुष्य की प्रकृति, प्रवत्ति और व्यवहार में भी परिवर्तन होना स्वाभाविक हैं।

यदि हम अपने समय की बात करें तो हमारे सामने शिक्षक की छवि सेना के किसी सख्त अधिकारी से कम नहीं थी, जिसके एक हाथ में सदैव एक छड़ी रहती थी। पढ़ाई से संबंधित कुछ भी समझ नही आ रहा, एक छड़ी पड़ती थी तो समझिए सब कठिनाई दूर और समझ आना शुरू हो जाता था।

फिर एक समय आया जब बच्चे को छड़ी और प्यार दोनो की जरूरत पड़ने लगी अर्थात न तो छड़ी पूरी तरह से प्रभावी रही और न ही लाड प्यार। दोनों की समान मात्रा बच्चे के लिए प्रभावी सिद्ध होने लगी। एक वर्तमान समय है, जब छड़ी पूरी तरह से गायब हो चुकी है। अब बच्चों की दो ही श्रेणी रह गई है। एक वे जो शिक्षा से या पढ़ाई से मन नहीं चुराते और शिक्षक हो या न हो, ये अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर रहते हैं।

दूसरे वे विद्यार्थी हैं, जिन्हें पढ़ना है ही नहीं। उनके लिए किसी छड़ी कर प्रयोग पूर्णत: वर्जित और गैर कानूनी घोषित किया जा चुका है। उनके व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाने के लिए उनसे मित्रतापूर्वक बरताव करके, उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए तैयार करना, शिक्षक का प्रमुख कर्तव्य बन चुका है।

यह विज्ञान सम्मत भी है। बच्चे में पढ़ाई के प्रति भय उत्पन्न नहीं करना है, बल्कि पढ़ाई के प्रति रुचि और जागरूकता उत्पन्न करनी है, ताकि बच्चा शिक्षा के महत्व को अनुभव करे और स्वयं शिक्षा ग्रहण के प्रति गंभीर बने।

बच्चे के शिक्षा के प्रति व्यवहार में और उसके व्यक्तित्व में वांछित परिवर्तन लाने के लिए बच्चे को हमें एक सेलिब्रिटी बनाना होगा। उसको महसूस करवाना होगा कि वह एक आम विद्यार्थी नहीं है, बल्कि अन्य बच्चे उसका अनुसरण करना चाहते हैं। आज नन्हे नन्हे बच्चों में भी अपने ‘अहम’ को लेकर गंभीरता और संजीदगी देखने को मिलती है। कोई उनके ‘अहम’ को ठेस पहुंचाए, तो उन्हें अच्छा नहीं लगता है।

अभिभावक और विद्यालय मिलकर ऐसी रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन कर सकते हैं, जो सभी बच्चों को सेलिब्रिटी की श्रेणी में ला खड़ा करे। जैसे पिछले दिनों एक विद्यालय ने पक्षी सरंक्षण पर सबसे अधिक स्लोगन लिखने की प्रतियोगिता आयोजित की जिस में लगभग विद्यालय सभी बच्चों ने मिलकर कई सुंदर स्लोगन लिख एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड रच डाला।

जिससे सभी प्रतिभागियों की उपलब्धि को संपूर्ण मीडिया जगत में स्थान दिया गया। देखते ही देखते बच्चे सेलिब्रिटी बन गए या आम से विशेष हो गए। जिसका प्रभाव बच्चों के व्यक्तित्व और व्यवहार पर पड़ा। अब वे पहले से अधिक अनुशासित, गंभीर और जिम्मेदार हो गए। वे कुछ भी गलत करने से परहेज करने लगे जैसे अपशब्द बोलना या किसी को तंग करना आदि।

इसी प्रकार की रचनात्मक सहगामी गतिविधियों द्वारा बच्चों के ‘अहम’ को सम्मान दिलवाकर हम बच्चों में वांछित परिवर्तन ला सकते हैं। बच्चों की गलतियों पर उन्हें भरी कक्षा में डांटना या घर आए उसके सहपाठियों के सामने उसे भला बुरा कहना, बच्चे के मासूम, मुलायम हृदय को ठेस पहुंचाता है।

और हमारा यही व्यवहार बच्चे में हमारे प्रति अविश्वास और नफरत पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चा भविष्य में आपकी बातों पर गौर करना ही बंद कर देगा या फिर धीरे धीरे आपसे दूरी ही बना लेगा। क्योंकि उसे पता है कि कोई भी गलती होने पर आप उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाएंगे या फिर उसका अपमान करेंगे। जबकि हमारा उद्देश्य बच्चे की गलतियों को सुधार लाकर उसे एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है, जिसे अभिभावक और शिक्षक बिना किसी दंड के सकारात्मक सोच और रचनात्मक गतिविधियों के द्वारा सरलता से बना सकते हैं।

आज बच्चा सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों से बहुत प्रभावित नजर आता है। अभिभावक और शिक्षक को इसी प्रभाव का लाभ उठाकर, सोशल मीडिया और संचार माध्यमों के सकारात्मक पक्ष का प्रयोग करते हुए उसे अच्छी बातों के लिए प्रोत्साहित करना है। जैसे बच्चे के द्वारा स्वरबद्ध की गई किसी कविता को सोशल मीडिया पर अपलोड करके आदि आदि कई ऐसी गतिविधियां हैं, जो बच्चे में अच्छे संस्कारों और गुणों का समावेश कर सकती हैं। हमारा मकसद तो बच्चे को अनुशासित, संस्कारवान और अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर बनाना है, जो उसके व्यक्तित्व का अस्थाई न होकर स्थाई अंग बने।

राजेंद्र कुमार शर्मा


janwani address 9

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments