जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: वन आरक्षित क्षेत्र हस्तिनापुर के वन्य जीव विहार के आरक्षित जंगलो मे हो रहा अतिक्रमण विभागीय अधिकारियों की मिली भगत के चलते रूकने का नाम नही ले रहा है। जिसके चलते वन्य जीव विहार का कोई महत्व नही रह जाता है। जबकि सरकार के सख्त निर्देश है कि वन्य जीव विहार के आरक्षित क्षेत्र मे किसी भी तरह का अतिक्रमण रोका जाना चाहिए। परंतु सरकार के नुमाइंदे ही सरकार के नियमो की अनदेखी कर आंख मूंदे बैठे है।
हस्तिनापुर वन्य जीव विहार लगातार अतिक्रमण की जद मे जकडता जा रहा है। इसी हस्तक्षेप के चलते वन्य जीव प्रभावित हो रहे है। आये दिन बाहरसिंघाए तंदुऐ आदि जीव जंगलो मे बढते मानवीय हस्तक्षेप के कारण बस्तियो की ओर रूख कर रहे है। ऐसा ही मामला यहंा वन्य जीव विहार मे जंबूद्वीप से आगे मध्य गंग नहर तक जाने वाले मार्ग पर चैडीकरण कार्य चल रहा है। जबकि वह वन्य जीव विहार का आरक्षित क्षेत्र है। कई बार लोगो ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियो से की परंतु उन्होने इस तरफ ध्यान देना गंवारा नही किया।
एक सप्ताह पूर्व ही रूका था कार्य
वन विभाग के अधिकारी स्वयं अपने बुने जाल मे स्वयं ही फंसते नजर आ रहे हैं। जिस कार्य को वन विभाग ने एक सप्ताह पूर्व ही बिना प्रदेशीय वन्य जीव बोर्ड की अनुमति न होने के कारण बंद करा दिया था। इतना ही नही सडक के चैडीकरण करने वाले ठेकेदार की जेसीबी भी रेंज कार्यालय पर खडी कर दी गयी थी तथा वन्य जीव अधिनियम की धाराओ के उल्लंघन के तहत कार्यवाही करते हुए जुर्माना भी वसूला था। परंतु अब उसी सडक के चैडीकरण का कार्य धडल्ले से प्रारंभ हो गया हैं। पंरतु अब उस पर कार्यवाही करने से वन विभाग के अधिकारी गुरेज कर रहे है।
रसूखदारो के लिए नियम नही
उक्त मार्ग जम्बूद्वीप से मध्य गंग नहर पटरी तक लगभग दो किमी का पेंच वन्य जीव विहार के आरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरता है। जहां भारी संख्या मे वन्य जीव निवास करते हैं। वही इस जंगल मे अजगर भी अधिकांश दिखाई देते रहते है। वही कुछ जैन मंदिर भी इसी मार्ग पर आते हैं तो लोगो का कहना है कि क्या वन विभाग के नियम रसूखदार लोगो पर नही लागू होते है या फिर केवल आमजनमानस पर ही हंटर चलता है।
पहले भी हुई थी कार्यवाही
लगभग एक दशक पूर्व उपरोक्त रास्ते के समीप ही महाभारत के पितामह मुकेश खन्ना को शूटिंग के दौरान वन विभाग ने कैमरे की चिप जब्त कर ली थी।
गंगा नदी के भीकुंड पुल व अप्रोच रोड को वन विभाग ने सेंचुरी मे बिना अनुमति के निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए ठेकेदार व पीडब्लयूडी के इंजीनियरो के खिलाफ एफआईआर तक करा दी थी। जिस कारण पुल का कार्य अधर में लटका रहा था और वन विभाग की अनुमति के बाद ही पुल पर नियमों के अनुरूप ही कार्य प्रारंभ हो सका था। 3 बी ब्लाक मे सामाजिकी वानिकी प्रशिक्षण केंद्र के पीछे नाले के निर्माण को भी रूकवा दिया था।
जिला वन अधिकारी
जिला वन अधिकारी राजेश कुमार ने बडा ही हास्यासपद बयान दिया कि जब कार्य रूकवाया गया था। तब अनुमति नही थी परंतु अब उन्हे अनुमति प्रदान हो गयी है। परंतु यह समझ से परे है कि आखिर अनुमति के लिए सालो चलने वाली प्रक्रिया एक सप्ताह मे कैसे पूर्ण हो गयी।